मुनव्वर फ़ारूक़ी के साथ जेल जाने वाले कॉमेडियन नलिन यादव की ज़िंदगी में कितना कुछ बदल गया

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VISHNUKANT TIWARI/BBC कॉमेडियन नलिन यादव. साल 2021 में गिरफ़्तारी के बाद इनकी ज़िंदगी उलट- पुलट हो गई है

एक जनवरी 2021 की बात है. मध्य प्रदेश के इंदौर में कुछ स्थानीय कॉमेडियन ने एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, इसमें कॉमेडियन मुनव्वर फ़ारूक़ी को बुलाया गया.

इसी कार्यक्रम के दौरान एक हिंदूवादी संगठन के लोगों ने आपत्ति जताई.

अगले दिन पुलिस ने मुनव्वर फ़ारूक़ी के साथ चार अन्य लोगों को गिरफ़्तार कर लिया. 

इनमें एक स्थानीय कॉमेडियन नलिन यादव भी थे. इसके बाद के कुछ सालों में मुनव्वर फ़ारूक़ी को काफ़ी शोहरत मिली, लेकिन इस घटना ने नलिन यादव की ज़िंदगी को पूरी तरह पटरी से उतार दिया.

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बीबीसी हिंदी से बात करते हुए नलिन यादव कहते हैं कि एक ही घटना से कैसे किसी की ज़िंदगी पूरी तरह से बदल सकती है, इसका उदाहरण वह ख़ुद हैं.

नलिन यादव कहते हैं, ''मुझे एक मुस्लिम कॉमेडियन के साथ खड़े होने की सज़ा आज भी मिल रही है. उस रात मैं कॉमेडी और इंसानियत के नाते उनके साथ खड़ा था. हालाँकि जेल जाने और वहाँ से निकलने के बाद, मेरे लिए जीवन बहुत कठिन हो गया है.''

क्या था मामला SCREEN GRAB/NALIN YADAV इंदौर में हो रहे कॉमेडी शो के दौरान मुन्नवर फ़ारूक़ी और हिन्दुत्ववादी नेता एकलव्य गौड़ बातचीत करते हुए. इस बातचीत के बाद मुन्नवर और नलिन समेत अन्य को गिरफ़्तार कर लिया गया था.

दरअसल  एक जनवरी 2021 को इंदौर की विधायक और पूर्व मेयर मालिनी गौड़ के बेटे एकलव्य गौड़ ने इंदौर पुलिस को एक शिकायत की थी.

इसके बाद पुलिस ने नलिन और मुनव्वर सहित पाँच लोगों को कथित तौर पर हिंदू देवी-देवताओं पर अशोभनीय टिप्पणी करने और धार्मिक भावनाओं को भड़काने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया था.

इस मामले पर इंदौर कमिश्नरेट की अपराध शाखा में तैनात अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त डॉ. राजेश दंडोतिया ने बताया, ''पुलिस ने इस मामले में अपनी जाँच पूरी कर ली है. अभी चार्जशीट पेश नहीं की गई है. दरअसल, ये मामला भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा-295 ए के तहत दर्ज़ किया गया था. (इस धारा के मुताबिक, किसी वर्ग के धार्मिक विश्वासों या धर्म का अपमान या ऐसा करने की कोशिश करना अपराध है.) ''

उन्होंने कहा ''ऐसे में इसकी चार्जशीट पेश करने से पहले हमें राज्य सरकार से कुछ अनुमति लेनी होती है. हमने सरकार को कई बार अनुमति के लिए पत्र लिखा है. जैसे ही वह मिल जायेगी, इस मामले में चार्जशीट दाख़िल कर दी जाएगी.''

उस वक़्त नलिन इंदौर के उभरते हुए कॉमेडियन थे. कॉमेडी के मामले में शहर में इनकी पहचान बनने लगी थी. वे मूलतः धार ज़िले के पीथमपुर के रहने वाले हैं. उनका कहना है कि इस घटना के बाद अब उन्हें शहर में काम नहीं मिल रहा और वो परेशान हैं.

VISHNUKANT TIWARI/BBC नलिन यादव कॉमेडी के क्षेत्र में अपनी जगह बनाने में लगे थे, लेकिन उसी दौरान वो गिरफ़्तार हो गए.

भले ही इंदौर पुलिस नलिन यादव पर लगे आरोपों के संबंध में अभी तक चार्जशीट पेश नहीं कर पाई है, लेकिन इस घटना ने उनकी ज़िंदगी पटरी से उतार दी है.

अपने घर की छत पर खड़े नलिन, सड़क की ओर निहारते हुए कहते हैं, ''रोज़ सुबह एक जंग के लिए उठता हूँ. जिस दिन से जेल से निकला हूँ तब से लेकर आज तक चीज़ें पूरी तरह से सही नहीं हो पाई हैं.''

नलिन और मुनव्वर की गिरफ़्तारी से पहले क्या हुआ था ? SCREENGRAB/NALIN YADAV इंदौर के तुकोगंज थाने में नलिन यादव और मुनव्वर फ़ारूक़ी.

दरअसल एक जनवरी 2021 को इंदौर के मुनरो कैफ़े में एक कॉमेडी का कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इस कार्यक्रम में मुनव्वर फ़ारूक़ी मुख्य कॉमेडियन थे. नलिन यादव कार्यक्रम की आयोजन समिति में थे. मुनव्वर से पहले इन्होंने 10 मिनट की प्रस्तुति की थी.

नलिन ने कहा, ''मैंने 10 मिनट का ओपनिंग एक्ट किया था. इसके बाद मुनव्वर का एक्ट था. वह बमुश्किल  पाँच  मिनट भी एक्ट नहीं कर पाए थे, जब कुछ हिंदूवादी नेताओं ने कार्यक्रम में ख़लल डाल दिया. वे आरोप लगा रहे थे कि मुनव्वर ने अपने पहले किसी शो में हिंदू देवी-देवताओं के ख़िलाफ़ अभद्र बोला है.''

नलिन ने बताया कि स्टेज पर ही मुनव्वर और हिंदूवादी नेताओं की बहस हो रही थी. इस बीच, उनके साथ आई भीड़ ने कार्यक्रम में आए लोगों को भगाना चालू कर दिया.

नलिन ने बताया, ''उस वक्त वहाँ अफ़रा-तफ़री का माहौल हो चुका था. उन्होंने हमसे कहा कि थाने चलकर माफ़ी माँगो. फिर वे लोग हमें छोड़ देंगे. हमने भी थाने जाना बेहतर समझा. वहाँ पहुँचने के बाद पता चला कि हम पर एफ़आईआर हो गई है. अगले दिन हमें जेल भेज दिया गया.''

'जेल जाने के दो महीने पहले ही माँ को खोया था' VISHNUKANT TIWARI/BBC नलिन ने बचपन में ही अपने पिता को खो दिया था. गिरफ़्तारी से कुछ महीने पहले उनकी माँ भी गुज़र गईं.

नलिन हमें अपने साथ अपने कमरे पर ले गए. वहाँ एक तरफ़ बिस्तर लगा हुआ था. दूसरी तरफ़ कुछ पोस्टर, कुछ किताबें और एक लैपटॉप रखा था.

नलिन बताते हैं कि कॉमेडी शुरू करने के कुछ साल पहले ही पता चला कि उनकी माँ को कैंसर है. वे कभी उन्हें प्रस्तुति करते हुए देख नहीं पाईं.

बकौल नलिन, ''जब मैं 14  साल का था, तब मेरे पिता जी नहीं रहे. जैसे-तैसे माँ ने हम दोनों भाइयों को पाला था. मैंने भी घर में हाथ बँटाने के लिए बारहवीं के बाद पढ़ाई छोड़कर नौकरी करनी शुरू कर दी थी. कुछ समय बाद स्टैंडअप कॉमेडी में हाथ डाला. फिर वहीं से अच्छे पैसे कमाने लगा. मेरा मनपसंद काम ही अब पेट भी भरने लगा था. इसी बीच, अक्तूबर 2020 में मेरी मम्मी का देहांत हो गया.''

नलिन ने हमें अपनी माँ की तस्वीर दिखाते हुए बताया कि उनकी मृत्यु के बाद लगभग दो  महीने तक वे बहुत परेशान थे.

इसी बीच, एक दिन उनके एक दोस्त ने उन्हें मुनव्वर फ़ारूक़ी का कार्यक्रम आयोजित करने का न्योता दिया था .

जेल जाने के बाद के हालात का ज़िक्र हुए नलिन बताते हैं, ''जेल जाने के तीन-चार दिन बाद भी भाई मिलने नहीं आया. कोई हालचाल नहीं ले रहा था. बाहर की कोई जानकारी नहीं मिल रही थी. तब धक्का लगा. यह सोचकर ही मेरे होश उड़ गए थे कि जेल के बाहर एक नाबालिग भाई के अलावा मेरा तो कोई है ही नहीं. कौन मेरी ज़मानत करवाएगा? कौन मेरे भाई को देखेगा? मैंने अपने आप को अकेला ही पाया. उस दिन बहुत दुख हुआ था. दिल भारी हो गया था.''

राष्ट्रविरोधी कहा गया VISHNUKANT TIWARI/BBC नलिन को  57 दिन बाद ज़मानत मिली थी.

मायूसी में डूबे नलिन ने बताया, ''जब मैं जेल में था तो मैंने अपने आप को समझाया कि ये समस्या सिर्फ़ जेल तक ही सीमित है. जेल के बाहर मेरे लोग हैं. मेरा शहर है. वे लोग हैं, जिनके साथ मैंने इस शहर में बहुत काम किया है. जब बाहर निकला तो पता चला कि वही लोग, वही रेस्त्राँ और कैफ़े के मालिक जो मुझे अपने यहाँ कार्यक्रम करने के लिए बुलाते थे, उन्होंने बात तक करने से मना कर दिया.''

नलिन कहते हैं कि काम तो दूर उनके पड़ोसियों और मोहल्ले वालों ने भी उनसे से दूरी बना ली.

नलिन कहते हैं, ''जिनके साथ मैंने अपना बचपन बिताया, वही लोग मुझे ऐसे देखते थे जैसे मैंने कोई बहुत बड़ा अपराध कर दिया हो. न जाने कितनी ही बार मुझे राह चलते लोगों ने राष्ट्रविरोधी कहा. गालियाँ दीं… मैं डर के कारण घर से निकलने से बचने लगा था.''

VISHNUKANT TIWARI/BBC अपनी दास्ताँ बयान करते-करते नलिन अक्सर मायूस हो जाते हैं

नलिन से जब हमने उनके भाई से बात करने की इच्छा जताई तो उन्होंने हाथ जोड़ लिया. नलिन कहते हैं कि उनके भाई ने बहुत कुछ झेला है. वो नहीं चाहते कि उस पर किसी तरह की आँच आए.

नलिन के मुताबिक, ''मैंने कुछ गलत नहीं किया. ये समाज... ये लोग किसी की सुनते नहीं हैं. मेरे 17 साल के भाई को, जिसका भाई जेल में था, जिसके माँ-बाप मर चुके थे, उसको भी लोगों ने अपराधी की नज़र से देखा. वैसे ही व्यवहार किया. उसने बहुत कुछ झेला है. उसकी पढ़ाई छूट चुकी है. उसका बचपन बर्बाद हो गया. मुझे डर है कहीं कोई उसका चेहरा मेरे साथ देख ले तो कुछ नुक़सान न हो जाए. मैं यह नहीं चाहता हूँ.''

दिहाड़ी मज़दूरी करनी पड़ी VISHNUKANT TIWARI/BBC एक समय नलिन को पेट भरने के लिए दिहाड़ी मज़दूरी करनी पड़ी

नलिन ने बताया कि जेल से निकलने के बाद पैसों की बहुत तंगी थी. बाहर काम न मिलने की वजह से उन्हें दिहाड़ी मज़दूरी करनी पड़ी थी.

नलिन कहते हैं, ''मुझे इतना बुरा जेल में भी नहीं लगा था जितना बुरा बाहर आने के बाद लगा. ऐसा लग रहा था मानो दुख का कोई पहाड़ टूट पड़ा हो. घर पर एक छोटा भाई और जेब में इतना भी पैसा नहीं था कि उसका पेट भर जाए. जेल से निकलने के बाद मैंने कई जगह कोशिश की.  सबने मुँह फेर लिया. फिर मैंने पास की एक फ़ैक्ट्री में दिहाड़ी मज़दूरी शुरू कर दी. भूख के आगे सब करना पड़ता है.''

बोलते-बोलते वे भावुक हो जाते हैं.

नलिन की मज़दूरी करने की ख़बर जब अख़बारों में छपी तो मुंबई और दिल्ली के कुछ स्टैंडअप कॉमेडियन ने उनकी आर्थिक मदद की.

वे बताते हैं, '' उसके बाद मैंने जैसे-तैसे कुछ पैसे इकट्ठे किए. दिल्ली चला गया. मैं कॉमेडी नहीं छोड़ना चाहता था. मगर एक साल दिल्ली और एक साल मुंबई में रहने के बाद भी जब कोई सफलता नहीं मिली तो मैं वापस आ गया.''

नलिन अब कई तरह के काम करने लगे हैं. नाटक लिखते हैं. शादियों में कॉमेडी करते हैं.

नलिन ने कहा, ''जो मैं करना चाहता था, जिसमें मैं अच्छा कर रहा था, वह सब तो छीन लिया गया. मैंने कॉमेडी के अलावा कुछ और सीखा नहीं था. अब फ़िल्मों की शूटिंग में भी मदद कर देता हूँ और नाटक लेखन में भी. ये काम भी हमेशा नहीं मिलते हैं. इसलिए इनसे मिले पैसे बहुत सोच-समझकर ख़र्च करता हूँ.''

इंदौर के युवा कॉमेडियन नलिन के बारे में क्या कहते हैं VISHNUKANT TIWARI/BBC सुभाष जैसे कॉमेडियन के लिए प्रेरणा हैं नलिन

हमने इंदौर के कुछ युवा कॉमेडियन से भी बात की. इनका कहना है कि नलिन यादव कॉमेडी में इंदौर का उभरता सितारा थे.

26 साल के सुभाष यादव लगभग पाँच साल पहले टीकमगढ़ से इंदौर आए थे. कॉमेडी में पहली बार उनकी मदद नलिन यादव ने ही की थी.

सुभाष यादव ने बताया, ''हम तो पढ़ने-लिखने में अच्छे नहीं थे. इंदौर आने के बाद पता चला कि एक भैया हैं, जो कॉमेडी और ओपन माइक जैसे कार्यक्रम करवाते हैं. बस पहुँच गया नलिन भैया के पास. हम जैसों के लिए नलिन यादव बहुत बड़ा सहारा थे. इन्होंने हमें जगह दी. ये लोगों को अपना काम रोककर कॉमेडी शो में बैठने के लिए मजबूर कर देते थे. इंदौर जैसे शहर में लोगों ने कॉमेडी शो में जाने के लिए पैसे देना शुरू किए. इस तरह कॉमेडियन को ताली के साथ नोट भी मिलने लगे. इनकी गिरफ़्तारी के बाद कॉमेडियन में डर बैठ गया था.''

सुभाष कहते हैं, ''इनकी गिरफ़्तारी के बाद हम लोगों ने ओपन माइक बंद कर दिए थे. काफ़ी दिनों तक कुछ नहीं हुआ. हमने चुटकुले सुनाने के लिए विषयों का चयन कर लिया था. राजनीतिक, धार्मिक या अन्य किसी भी संवेदनशील मुद्दे पर बात करनी बंद कर दी थी. कार्यक्रम में कुछ भी राजनीतिक या धार्मिक बात नहीं होगी, इन्हीं शर्तों पर एक लंबे समय के बाद शहर के कैफ़े और होटलों ने हमें जगह देनी शुरू की.''

VISHNUKANT TIWARI/BBC बहुत कुछ झेलने के बाद भी नलिन कहते हैं, वे पीछे नहीं हटेंगे.

एक अन्य कॉमेडियन ने बताया कि नलिन की गिरफ़्तारी ने कइयों के हौसलों को बाँध दिया था.

युवा कॉमेडियन जाग्रत कहते हैं, ''अगर कोई चुटकुले सुनाने के लिए जेल जा सकता है तो फिर नए लोग कैसे चुटकुले सुनाएँगे?  सबको पता है कि नए ज़माने के लोगों को कैसे चुटकुले पसंद हैं. नलिन भैया के साथ राजनीति हो गई. इनका तो कोई दोष भी नहीं था. ये सिर्फ़ एक मुस्लिम कॉमेडियन के साथ खड़े थे, इसलिए इन्हें ये सब झेलना पड़ा.''

इन सब के बावजूद नलिन कहते हैं, ''लोग अभी भी पूछते हैं कि उस दिन वह स्टैंड लेना ज़रूरी था? उस दिन अगर मुनव्वर के साथ कुछ ग़लत हो जाता तो शायद कोई और कॉमेडियन दोबारा इंदौर नहीं आता. उस दिन मेरा खड़ा रहना ज़रूरी था. मैंने कुछ ग़लत नहीं किया, इसलिए पछतावा नहीं होता है. बस कभी-कभी ग़ुस्सा आता है.''

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