क्या विराट, रोहित के लिए ऑस्ट्रेलियाई सिरीज़ आख़िरी मौका?

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ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच बॉर्डर-गावस्कर टेस्ट सिरीज़ शुक्रवार से ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में शुरू हो रही है.

जिसमें टेस्ट क्रिकेट की दो बेहतरीन टीमें एक-दूसरे के ख़िलाफ़ खेलेंगी.

दोनों देशों के बीच पिछली चार सिरीज़ ज़बरदस्त रही हैं. भारत ने ये चारों सिरीज़ जीती थीं जिनमें से दो तो ऑस्ट्रेलिया में खेली गई थीं.

लेकिन हाल ही में न्यूज़ीलैंड के हाथों मिली हार ने भारत के कुछ दिग्गज खिलाड़ियों के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए है.

मौजूदा सिरीज़ में सभी की निगाहें अनुभवी खिलाड़ियों रोहित शर्मा, विराट कोहली, आर अश्विन और रवींद्र जडेजा पर रहेंगी. जो पिछले एक दशक से सभी क्रिकेट फॉर्मेट में भारत की जीत में अहम योगदान देते रहे हैं.

हालांकि इन खिलाड़ियों की बढ़ती उम्र और हाल ही में ख़राब प्रदर्शन के कारण लोगों के मन में ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या वे अब भी टॉप फॉर्मेट में अपना अच्छा प्रदर्शन दे सकते हैं?

BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए विराट कोहली की ख़राब फॉर्म
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भारतीय टीम के लिए सबसे बड़ी चिंता, उनके स्टार बल्लेबाज़ विराट कोहली की ख़राब फॉर्म हैं.

लेकिन बीते पांच साल से टेस्ट में वो पहले जैसे फॉर्म में नहीं हैं. जहां एक तरफ पहले वह आसानी से शतक बना लेते थे. पिछले पांच सालों में उन्होंने केवल दो ही शतक बनाए हैं. जबकि वे इससे पहले 27 शतक जड़ चुके हैं.

उनका टेस्ट बल्लेबाजी औसत, जो कभी 50 से 55 के आस-पास हुआ करता था, वह अब 48 से नीचे गिर गया है. जहां पहले कई लोगों को लग रहा था कि वे सचिन तेंदुलकर के रिकॉर्ड को तोड़ देंगे, वह अब असफल होते हुए नज़र आ रहे हैं.

कोहली को ऑस्ट्रेलिया के मैदान काफी रास आते हैं. उन्होंने 2011 में ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड में ही अपना पहला टेस्ट शतक बनाया था. वहीं ऑस्ट्रेलिया में खेली गई 2014-15 सिरीज़ में उन्होंने जबरदस्त बल्लेबाजी की, जिसने उन्हें दुनिया के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटरों में शामिल कर दिया था.

कोहली की आक्रामक बल्लेबाजी, ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के खेलने के तरीक़े से काफी मिलती-जुलती है, जिसके कारण उन्हें ऑस्ट्रेलिया के प्रशंसकों से सम्मान और प्यार मिला. जब उन्होंने भारत को 70 साल में ऑस्ट्रेलिया में पहली बार टेस्ट सिरीज़ में जीत दिलाई, तो वह भारत में बहुत लोकप्रिय व्यक्ति बन गए.

BBC विराट कोहली ने टेस्ट करियर में 29 शतक लगाए हैं रोहित शर्मा भी रहे नाकामयाब Getty Images

भारतीय टीम के कप्तान रोहित शर्मा ने देर से टेस्ट क्रिकेट खेलना शुरू किया. हालांकि उन्हें कोहली के मुकाबले टेस्ट क्रिकेट में उतनी सफलता नहीं मिली है, लेकिन फिर भी विरोधी टीमें उनका बहुत सम्मान करती हैं.

उन्होंने अपने पहले दो टेस्ट मैचों में शतक बनाए, लेकिन उसके बाद उन्हें संघर्ष का सामना करना पड़ा और कुछ समय तक उन्हें टीम में जगह नहीं मिली. हालांकि 2019 में रोहित को ओपनिंग करने का मौका मिला और अगले तीन साल तक वो टीम के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ रहे.

वह वनडे क्रिकेट में अपनी बेहतरीन बल्लेबाज़ी के लिए जाने जाते हैं, जहां टीम की ज़रूरत के मुताबिक वह तूफ़ानी और शानदार बल्लेबाज़ी कर सकते हैं. हालांकि, वह एक बहुत अच्छे टेस्ट बल्लेबाज़ भी हैं.

हालांकि लोग अक्सर रोहित शर्मा की आलोचना करते हैं कि वे लगातार बड़े स्कोर नहीं बना पाते, लेकिन सभी इस बात पर सहमत हैं कि जब रोहित शर्मा अच्छी फॉर्म में होते हैं तो भारत के मैच जीतने की संभावना बढ़ जाती है.

रोहित शर्मा का प्रदर्शन कोहली की तरह लंबे समय तक ख़राब नहीं रहा है. लेकिन हाल ही में रोहित शर्मा बांग्लादेश और न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ टेस्ट मैचों में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं.

अपनी पिछली खेली 10 पारियों में रोहित शर्मा और कोहली दोनों में से किसी ने भी 200 रन के आंकड़े को नहीं छुआ हैं. हालांकि शर्मा और कोहली की योग्यता और क्लास पर कोई विवाद नहीं है. लेकिन परेशानी यह है कि क्या दोनों अपनी खेलने की उम्र की सीमा को पार कर चुके हैं.

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अश्विन और जडेजा कर सकते हैं कुछ चमत्कार! Getty Images

अश्विन और जडेजा दोनों ही बेहतरीन ऑलराउंडर हैं. जहां अश्विन ने टेस्ट मैचों में 500 से ज़्यादा विकेट लिए हैं और 3,000 से ज़्यादा रन बनाए हैं.

वहीं जडेजा ने भी हाल ही में 300 विकेट के आंकड़े को पार कर लिया है. उनका यह प्रदर्शन दिखाता है कि दुनिया की कोई भी क्रिकेट टीम उन्हें अपनी टीम में पाकर खुश होगी.

साथ ही, दोनों ने बहुत बार विरोधी टीमों के ऊपर कहर बरपाया है. लेकिन विदेशों में दोनों का रिकॉर्ड बेहद सामान्य है.

अश्विन ने ऑस्ट्रेलिया में 10 टेस्ट मैच खेले हैं, जिसमें उन्होंने 42.15 की औसत से 39 विकेट लिए हैं. वहीं, जडेजा ने केवल चार टेस्ट मैचों में 21.78 की शानदार औसत से 14 विकेट चटकाए हैं. जो अश्विन की औसत से काफ़ी बेहतर है, भले ही उन्होंने कम मैच खेले हों.

लेकिन ये आंकड़े कभी-कभी सच्चाई से दूर भी हो सकते हैं.

अश्विन एक ऐसे गेंदबाज हैं जो अपनी गेंदबाजी में काफ़ी मिश्रण करते हैं. वह अक्सर अलग-अलग तरह की गेंदों से बल्लेबाजों के होश उड़ा देते हैं. साल 2021 में उन्होंने अपनी गेंदबाजी से स्टीव स्मिथ और मार्नस लाबुशेन जैसे दिग्गज ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों के पसीने छुडा दिए थे.

दूसरी तरफ, जडेजा बहुत नियंत्रित गेंदबाज हैं. वह बहुत किफ़ायती गेंदबाजी करते हैं और खासकर धीमी पिच पर वह बहुत ख़तरनाक साबित हो सकते हैं.

अश्विन और जडेजा अच्छे गेंदबाज होने के साथ-साथ अच्छे बल्लेबाज भी हैं. 2021 की यादगार सिरीज़ में अश्विन ने बल्ले की मदद से भारत को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी.

वहीं जब टीम का टॉप ऑर्डर गिरता है, तो जडेजा ने अपने शानदार डिफेंस और बल्लेबाजी की बदौलत भारतीय टीम को मज़बूती प्रदान की है. वह एक बहुत अच्छे फील्डर भी हैं और मैदान पर टीम के लिए 30-35 रन भी बचा लेते हैं.

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अश्विन और जडेजा को लेकर लोग परेशान हैं क्योंकि न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ हाल ही में हुई टेस्ट सिरीज़ में दोनों खिलाड़ियों ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं किया.

अश्विन ने 66.33 की स्ट्राइक रेट से नौ विकेट लिए, जो उनकी सामान्य औसत से ज़्यादा है. वहीं जडेजा ने 37.93 की स्ट्राइक रेट से 16 विकेट लिए, जिसमें उनका औसत सामान्य से ज़्यादा रहा.

इस सिरीज़ में न्यूज़ीलैंड के स्पिनरों ने अश्विन और जडेजा की तुलना में अच्छा प्रदर्शन किया. वहीं भारत ने लगातार 18 टेस्ट सिरीज़ में जीत दर्ज करने के बाद पहली बार घरेलू मैदान पर टेस्ट सिरीज़ हारी.

इससे लोग यह बात सोचने पर मजबूर होते हैं क्या अश्विन और जडेजा भी शर्मा और कोहली की तरह अपना फॉर्म खो रहे हैं.

लेकिन महज़ कुछ ख़राब प्रदर्शनों के आधार पर इन दिग्गज खिलाड़ियों की ताकत का अनुमान लगाना अच्छी बात नहीं होगी.

इन खिलाड़ियों के पास बहुत अनुभव और आत्मविश्वास है, जो उन्हें मुश्किल हालातों से उबरने और टीम की सबसे ज़्यादा ज़रूरत के समय अच्छा प्रदर्शन करने में मदद करता है.

हालांकि, जैसे-जैसे ये खिलाड़ी अपने करियर के आख़िरी दौर में पहुंच रहे हैं, वे मौजूदा सिरीज़ में कैसा प्रदर्शन करेंगे, वह टीम और ख़ुद उनके लिए भी काफ़ी अहम होगा.

अगर ये अनुभवी खिलाड़ी इस सिरीज़ में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो इससे पता चलेगा कि वे अभी भी सक्षम हैं और भारत के लिए खेलना जारी रख सकते हैं.

साथ ही इससे उन्हें कई प्रतिभाशाली युवा खिलाड़ियों से भी आगे रहने में मदद मिलेगी, जो टीम में अपने मौके का इंतज़ार कर रहे हैं.

लेकिन अगर वे अच्छा प्रदर्शन नहीं करते हैं, तो इससे टीम में बदलाव की मांग को और बढ़ावा मिलेगा.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित

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