पीएचडी के साथ करें मोटी कमाई! रिसर्च फेलोशिप देने में IIT और NIT से आगे निकला दिल्ली का कॉलेज, देश में सबसे अव्वल
इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, दिल्ली (आईआईआईटी-दिल्ली) ने रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए अपनी फेलोशिप राशि को 37 हजार रुपये से बढ़ाकर 60 हजार रुपये प्रति महीने कर दी है। दिल्ली सरकार के इस इंस्टिट्यूट के प्रशासन ने बताया कि यह रकम देश में सबसे अधिक है। यह यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन (UGC) और डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नलॉजी (DST) के निर्धारित मानकों से कहीं ज्यादा ऊपर है और इसका उद्देश्य रिसर्च स्कॉलर्स को पूरी तरह से इनोवेशन और खोज के लिए आर्थिक सुरक्षा देना है, ताकि छात्र पूरी तरह रिसर्च पर फोकस कर सकें और भारत में शोध संस्कृति को मजबूती मिले।
'ताकि रिसर्च पर पूरा ध्यान लगाएं छात्र...'आईआईआईटी-दिल्ली के डायरेक्टर प्रो. रंजन बोस ने कहा, पीएचडी फेलोशिप को बढ़ाने का मकसद देश के टॉप स्टूडेंट्स को आकर्षित करना है, ताकि हम हाई क्वॉलिटी रिसर्च को बढ़ावा दे सकें, जिसका प्रभाव भी नजर आए। इस कदम से हमारी रिसर्च को ग्लोबल साइंटिफिक डिवेलपमेंट के लिए योगदान देने का भी मौका मिलेगा। ग्लोबल रिसर्च साझेदारी को, विविधता को बढ़ावा देने और एक मजबूत रिसर्च इकोसिस्टम बनाने के लिए हमारा इंस्टिट्यूट प्रतिबद्ध है। IIIT दिल्ली में मिलेगी इतनी रकम:फेलोशिप के तहत स्टूडेंट्स को 60 हजार हर महीने (एचआरए सहित) मिलेंगे।
इंटरनैशनल लैब्स के दौरे के लिए 1.5 लाख रुपये की अतिरिक्त सहायता भी मिलेगी, ताकि रिसर्च स्कॉलर्स को विश्वभर के टॉप रिसर्च स्कॉलर्स शोधकर्ताओं के साथ काम करने का अवसर मिलेगा। 2.5 लाख रुपये का प्रोफेशनल डिवेलपमेंट अलाउंस (पीडीए), जो रिसर्चर्स को प्रतिष्ठित मंचों पर अपने शोध प्रस्तुत करने में सक्षम बनाएगा।जरूरी रिसर्च के खर्चों को पूरा करने के लिए अगले पांच साल तक के लिए 20 हजार रुपये हर साल मिलेंगे। लैपटॉप के लिए 50 हजार रुपये मिलेंगे, विश्व स्तर की लैब्स, हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग रिसोर्सेज और इंस्ट्रुमेंट्स के लिए दिए जाएंगे।
पैसे के साथ कई सुविधाएं:स्टूडेंट्स को एआई, साइबर सेफ्टी, मैथ्स और सोशल साइंस, संक्रामक जीव विज्ञान जैसे कई फील्ड में काम करने का मौका मिलेगा और गाइडेंस के लिए फैकल्टी भी मिलेगी। डीन अकैडमिक अफेयर्स डॉ. सुमित दारक ने कहा कि नई पीएचडी फेलोशिप और सब्सिडी वाले हॉस्टल इंडस्ट्रियल सेक्टर और सैलरी के गैप को कम करने में जरूरी कदम है।
Next Story