'ट्रंप इसके लिए जिम्मेदार', भारतीयों के बीच खत्म हो रहा H-1B वीजा क्रेज, लोगों ने बताई अपनी परेशानी

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US H-1B Visa: अमेरिका में नौकरी करने के H-1B वीजा भारतीयों के बीच काफी ज्यादा पॉपुलर है। इसके जरिए भारतीय अमेरिका जाकर टेक से लेकर हेल्थकेयर जैसे सेक्टर्स में जॉब करते हैं। हालांकि, इस साल H-1B वीजा को लेकर दिलचस्पी कम होती हुई दिख रही है। इसकी दो प्रमुख वजहें हैं, जिसमें पहली अमेरिका में नौकरियों को लेकर अनिश्चितता है और दूसरी वीजा के लिए बढ़ी हुई फीस।
वीजा रजिस्ट्रेशन की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई खास हलचल नहीं दिख रही है। टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, हैदराबाद के स्थानीय एजेंट्स ने कहा है कि आमतौर पर H-1B वीजा के लिए ढेरों कॉल आते थे, लेकिन इस बार हलचल नहीं दिखी है। कुछ ऐसे भी एजेंट्स रहे हैं, जिन्हें एक भी कॉल नहीं आया है। H-1B वीजा प्रोग्राम के तहत हर साल 65,000 वीजा जारी होते हैं। इसके अलावा, अमेरिका से मास्टर डिग्री या उससे ऊपर की पढ़ाई करने वालों के लिए 20,000 अतिरिक्त वीजा भी जारी होते हैं। H-1B वीजा हासिल करने में भारतीय सबसे आगे हैं, लेकिन उनके लिए कोई कोटा नहीं है।
किन वजहों से चलते H-1B वीजा नहीं चाह रहे भारतीय?कंसल्टेंसी फर्म चलाने वाले अर्जुन तेजा बुक्कापरापु ने कहा, "मुझे अभी तक H-1B फाइलिंग को लेकर एक भी कॉल नहीं आया है।" उन्होंने इसके पीछे डोनाल्ड ट्रंप के 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' (MAGA) प्रोग्राम को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। इसके अलावा एप्लिकेशन फीस भी 10 डॉलर से बढ़कर 215 डॉलर हो गई है। उन्होंने कहा, "नए नियमों के तहत अब एक पासपोर्ट पर सिर्फ एक ही आवेदन हो सकता है, जबकि पहले कई कंपनियों के जरिए कई आवेदन किए जा सकते थे।"H-1B वीजा को लेकर बढ़ा हुआ शुल्क भी लोगों के लिए एक बड़ी रूकावट बना है।
आईटी इंडस्ट्री में 10 साल से ज्यादा का एक्सपीरियंस रखने वाले के साईं ने कहा, "पिछले साल मैंने आवेदन प्रक्रिया पर 5 लाख रुपये से ज्यादा खर्च किया, लेकिन मेरा वीजा रिजेक्ट हो गया था। इस साल भी मैं अप्लाई करना चाहता था, लेकिन बढ़ी हुई फीस को लेकर चिंता हो रही है। इस साल कंसल्टेंसी की फीस भी लगभग 50% बढ़ गई है।" इस वजह से भी साईं जैसे कई सारे लोग H-1B वीजा को लेकर हिचकिचा रहे हैं। अमेरिका कंपनियां भी नहीं दिखा रहीं दिलचस्पीअमेरिका की कई कंपनियां भी अब अपने कर्मचारियों के लिए H-1B वीजा के लिए आवेदन करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रही हैं।
पहले, वे दो-तीन साल के एक्सपीरियंस वाले लोगों के लिए भी आवेदन करती थीं। पिछले साल लोगों को छह महीने का एक्सपीरियंस होने पर भी H-1B मिला था। यह एक समस्या बन गई है, क्योंकि H-1B मिलने के तुरंत बाद कंपनियों को एक नया आवेदन शुरू करना पड़ता है। इसकी वजह ये है कि H-1B के विस्तार की आवेदन प्रक्रिया में लगभग चार से छह महीने लगते हैं।