हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने छह संसदीय सचिवों की नियुक्ति को किया रद्द, CM सुक्खू को लगा बड़ा झटका

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शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में छह संसदीय सचिवों की नियुक्ति को रद्द कर दिया है। झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बीच कांग्रेस शासित प्रदेश में आए इस फैसले को बीजेपी मुद्दा बना सकती है। हाईकोर्ट ने छह मुख्य संसदीय सचिवों यानी सीपीएस की नियुक्ति बुधवार को रद्द कर दी और उस कानून को भी अमान्य घोषित कर दिया, जिसके तहत ये नियुक्तियां की गई थीं। हाईकोर्ट के इस फैसले को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के लिए झटके के तौर पर देखा जा रहा है। सीएम सुक्खू ने अपने मंत्रिमंडल के विस्तार से पहले आठ जनवरी 2023 को छह सीपीएस-अर्की विधानसभा क्षेत्र से संजय अवस्थी, कुल्लू से सुंदर सिंह, दून से राम कुमार, रोहड़ू से मोहन लाल बराकटा, पालमपुर से आशीष बुटेल और बैजनाथ से किशोरी लाल की नियुक्ति की थी। तत्काल प्रभाव से फैसला लागू
जस्टिस विवेक ठाकुर और जस्टिस बिपिन चंद्र नेगी की बेंच ने इन सीपीएस को हासिल सभी सुविधाओं और विशेषाधिकार को भी तत्काल प्रभाव से वापस लेने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ता, शक्तियां, विशेषाधिकार और संशोधन) अधिनियम, 2006 को निष्प्रभावी घोषित कर दिया। फैसला सुनाते हुए जस्टिस नेगी ने कहा कि ये पद सार्वजनिक संपत्ति को हड़पने वाले हैं और इनके तहत दी जाने वाली सभी सुविधाएं तत्काल प्रभाव से वापस ली जाएं। हाईकोर्ट ने सीपीएस की नियुक्ति को रद्द करने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर दैनिक आधार पर सुनवाई के बाद जून में मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। हिमाचल में कई मोर्चे पर घिर सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के लिए यह फैसला नया परेशानी बन सकता है।