कांग्रेस के इस नेता सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, सरकारी जमीन पर होटल और अवैध बिजली कनेक्शन पर देना होगा जवाब

जयपुर/अलवर: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री की ओर से सरकार जमीन पर होटल संचालन करने और अवैध रूप से बिजली कनेक्शन लेने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया हैं। मामला अलवर जिले के सरिस्का से जुड़ा है जहां पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह पर अतिक्रमण करने और अवैध बिजली कनेक्शन लेने के आरोप लगे थे। मामला कई वर्ष पुराना है। करीब दस साल पहले आरटीआई एक्टिविस्ट अशोक पाठक ने इस प्रकरण से जुड़े दस्तावेज मीडिया के सामने पेश करने के बाद राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। दो साल पहले हाईकोर्ट ने पाठक की याचिका को खारिज कर दिया तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कांग्रेस नेता भंवर जितेंद्र सिंह, उनकी पत्नी अंबिका सिंह और प्रदेश के मुख्य सचिव सहित 10 पक्षकारों को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। जानिए किस जमीन से जुड़ा है मामला
आरटीआई एक्टिविस्ट अशोक पाठक की ओर से हाईकोर्ट में जो याचिका लगाई गई। उसमें अलवर जिले के सरिस्का क्षेत्र में सरकार जमीन पर कांग्रेस नेता द्वारा होटल संचालित करने का आरोप है। याचिका में कहा गया कि कुशलगढ़ में पूर्व महाराजा स्वर्गीय तेज सिंह की आठ बीघा जमीन सीलिंग एक्ट के तहत वर्ष 2005 में जब्त होने के बाद भी अलवर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य और पूर्व केन्द्रीय मंत्री भंवर जितेन्द्र सिंह ने जमीन का कब्जा नहीं छोड़ा है। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि भंवर जितेंद्र सिंह की पत्नी अंबिका सिंह ने वर्ष 2011 में वहां होटल खोलकर किसी अन्य व्यक्ति को लीज पर दे दिया। अवैध बिजली कनेक्शन और शराब परोसने का भी आरोप
पाठक द्वारा लगाई गई याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि 18 मई 2012 को बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन करने पर जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड ने 16 लाख 57 हजार 836 रुपए की डिमांड जारी की थी लेकिन बाद में भंवर जितेंद्र सिंह ने राजनैतिक रसूखात के जरिए अफसरों पर दबाव बनाया क्योंकि उन दिनों प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। बाद में 20 सितंबर 2012 को बिजली कंपनी ने री-कनेक्शन के नाम पर डिमांड राशि घटा कर 2 लाख 89 हजार 768 कर दी। उक्त होटल में आबकारी विभाग से शराब लाइसेंस लिये बिना ही होटल में शराब परोसे जाने के आरोप भी लगाए गए। हाईकोर्ट ने क्यों खारिज की याचिका
राजस्थान हाईकोर्ट में लंबे समय तक केस चला। भंवर जितेंद्र सिंह, उनकी पत्नी, बिजली कंपनी सहित कई पक्षकारों को नोटिस भी जारी किए गए। 15 सितंबर 2023 में राजस्थान हाईकोर्ट ने अशोक पाठक की याचिका को ही खारिज कर दिया। उन दिनों भी राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी। तत्कालीन सरकार की मिलीभगत से अफसरों ने ऐसे दस्तावेज पेश किए कि याचिका टिक नहीं पाई। उन दिनों राजस्थान हाईकोर्ट ने यह कहते हुए अशोक पाठक की याचिका को खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ चार आपराधिक केस दर्ज है। याचिका खारिज करने के फैसले के खिलाफ पाठक ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करने के आधार को गलत माना
सोमवार 17 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में अशोक पाठक की एसएलपी पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान पाठक के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई केस दर्ज होने से आरोपी का निर्दोष होना जरूरी नहीं है। हालांकि याचिकाकर्ता के खिलाफ जो भी केस दर्ज हुए, उन सब में वह बरी हो चुके हैं। ऐसे में हाईकोर्ट द्वारा याचिका खारिज करना न्यायोचित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को स्वीकार किया और 15 सितंबर 2023 को याचिका खारिज करने के फैसले को रद्द कर दिया। साथ ही कांग्रेस नेता भंवर जितेंद्र सिंह सहित 10 पक्षकारों से जवाब मांगा है।
Next Story