खाना नहीं पचा पाते तो थाली में रखें ये 5 फूड ग्रुप के आहार, गैस-अपच सब से मिलेगा छुटकारा

Hero Image
पाचन तंत्र का सही ढंग से काम करना हमारे पूरे शरीर और स्वास्थ्य के लिए काफी जरूरी होता है। वहीं, कुछ फूड्स ऐसे होते हैं जो पेट के लिए काफी भारी होते हैं, जिससे गैस, अपच जैसी परेशानी होने लगती है। खासतौर से बाहर का खाना, ज्यादा तेल-मसाले वाले खाने जिन्हें पचाना मुश्किल हो जाता है।

ऐसे में अगर किसी को हमेशा ही डाइजेशन से जुड़ी समस्या रहती है, तो यह जरूरी है कि अच्छे डाइजेशन के लिए कुछ फूड केटेगरी पर ध्यान दिया जाए। कुछ फूड ग्रुप्स ऐसे होते हैं जो पचाने में आसान होते हैं।

साथ ही ये पेट के लिए ज्यादा भारी नहीं होते हैं, जिससे गैस, अपच या भारीपन जैसी परेशानियों का जोखिम कम होता है। अगर आप हल्के और डाइजेशन में आसान फूड ग्रूप की तलाश में हैं, तो यहां हम ऐसे टॉप 5 फूड ग्रुप्स की चर्चा करेंगे जो पाचन के लिए आसान और हेल्दी होते हैं।
अच्‍छी तरह से पकाई गई सब्‍जी

कच्ची सब्जियों को डाइजेस्ट करना मुश्किल होता है, ऐसे में जिन्हें पहले से ही डाइजेशन की समस्या है, उन्हें हमेशा अच्छे से कुक की हुई सब्जियों का सेवन करना चाहिए।

जब सब्जियों को पकाया जाता है, तो उनकी प्लांट सेल वॉल नरम हो जाती हैं और उनके घटक, जैसे- स्टार्च, शरीर में पाचन एन्जाइम्स के लिए ज्यादा आसानी से डाइजेस्ट किये जा सकते हैं (ref)। जिससे वे डाइजेस्टिव सिस्टम के लिए ज्यादा सॉफ्ट हो जाते हैं।


लो फैट डेयरी प्रोडक्ट्स

डेयरी प्रोडक्ट्स भी डाइजेशन फूड केटेगरी में ही आते हैं। अगर आप लैक्टोज इन्टॉलरेंट हैं, तो डेयरी आपके डाइजेशन को खराब कर सकती है या दस्त का कारण बन सकती है। ऐसे में उन प्रोडक्ट्स की तलाश करें जो लैक्टोज फ्री हों या जिनमें लैक्टोज कम हो।

अन्यथा, कम फैट वाले डेयरी में फाइबर कम होता है और कई लोगों के लिए इसे पचाना आसान हो सकता है। आप लो फैट दही जो प्रोबायोटिक्स की केटेगरी में आते हैं, दूध, पनीर अपने डाइट में शामिल कर सकते हैं।


छीले हुए या बिना छिलके के फल

कई ताजे फलों में फाइबर ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। इन फलों में फाइबर की सबसे ज्यादा क्वांटिटी इनके छिल्के या बीज में होता है, जिसे कई बार डाइजेस्ट करना मुश्किल हो जाता है।

ऐसे में आप कम फाइबर वाले फल जैसे - तरबूज, केला अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। इसके अलावा, आप सेब, नाशपाती जैसे फलों के छिल्के निकालकर खा सकते हैं।

आप कैंड फ्रूट भी खा सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे वैसे कैंड फ्रूट्स को चुनें जो पानी में पैक किए गए हों नाकि सिरप में। इससे आप एक्स्ट्रा शुगर का सेवन करने से बच सकते हैं।


सूप, स्मूदी या प्यूरी

खाने का डाइजेशन कैपेसिटी उसके बनाने के तरीके पर भी निर्भर करता है। जैसे कच्चे सब्जी को डाइजेस्ट करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। वहीं, सब्जी को अगर उबाला जाए, उसकी प्यूरी या स्मूदी बनाई जाए तो उसे डाइजेस्ट करना आसान हो जाता है। इसलिए आप अपनी डाइट में सब्जी या फलों की प्यूरी, स्मूदी या सूप को भी ऐड कर सकते हैं।


सॉफ्ट या हल्का प्रोटीन

एनिमल प्रोटीन में भले ही फाइबर न हो, लेकिन उनमें फैट की मात्रा ज्यादा होती है और उसे डाइजेस्ट करना मुश्किल होता है। ऐसे में नरम, चबाने में आसान प्रोटीन चुनें जिसमें कम या मीडियम क्वांटिटी में डायटरी फैट हो। इसके लिए आप स्क्रैम्ब्लड अंडा, उबले अंडे, प्लांट प्रोटीन जैसे - टोफू का ऑप्शन चुन सकते हैं।पेट को हल्का और स्वस्थ रखने के लिए सही फूड ग्रुप्स सिलेक्शन करना जरूरी है। हल्का और पचने में आसान खाना न केवल पेट की सेहत को बेहतर बनाता है, बल्कि शरीर को जरूरी पोषक तत्व भी प्रदान करता है।