शाहरुख ने कहा- ''मैं अपने बाथरूम में बहुत रोता हूं'', असफल हो जाएं, तो किंग खान से सीखें इससे निपटने के तरीके

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बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान से हर कोई इंस्‍पायर है। भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी उनके लाखों चाहने वाले हैं। शाहरुख खान से लेकर किंग खान तक का सफर उन्‍होंने यूं ही तय नहीं किया। लाख असफलताओं के बाद उन्होंने बॉलीवुड और लोगों के बीच अपनी पहचान बनाई है, इसलिए वे आज किंग खान के नाम से मशहूर हैं।हाल ही में शाहरुख खान ने दुबई में हुए ग्लोबल फ्रेट समिट में अपनी असफलताओं के बारे में बात की है।
उन्‍होंने बताया कि वे असफल होने पर बाथरूम में बहुत रोते हें और किसी को दिखाते नहीं हैं। जो बच्‍चे असफल होने पर उम्‍मीद और हौंसला खो देते हैं, एक्‍टर के टिप्‍स उन्‍हें जीवन में आगे बढ़ने में मदद कर सकते हैं। स्‍वीकार करें दुनिया आपके खिलाफ नहीं हैएक्‍टर के अनुसार, असफल होने पर हम अक्‍सर दुनिया को दोष देते हैं। पर आपको विश्‍वास करना होगा कि दुनिया आपके खिलाफ नहीं है। चीजें आपकी वजह से खराब नहीं हुई और न ही इसे किसी ने खराब किया है। यह स्वीकार कर लें कि आपने इस पर मेहनत नहीं की। मूव ऑन करना बहुत जरूरीफिल्‍मों में आने से पहले एक्‍टर को कई लोगों ने रिजेक्‍ट किया।
लेकिन वह चुप रहे, उठे ओर जीवन में आगे भी बढ़े। एक्‍टर का कहना है कि जब भी वे असफल होते हैं, तो नए उत्‍साह के साथ अपने काम को फिर से शुरू करने के लिए तैयार हो जाते हैं। गलतियों का पता लगाएंलाइफ में कई बार फेल होने पर हम सोचते हैं कि चीजें हमारे साथ ही गलत क्‍यों होती हैं। पर ऐसा नहीं है। एक्‍टर के अनुसार, जो हो रहा है, आप उसके लिए अपने जीवन को दोष नहीं दे सकते। आपको यह याद रखना है कि आपने कुछ गलत तो किया है। जो गलत हुआ है, उसका पता लगाएं, जांचे और फिर से कम बैक करें। आत्मनिरीक्षण करना चाहिएशाहरुख की सलाह है कि हर किसी को असफलताओं पर ध्यान देने के बजाय आत्मनिरीक्षण करना चाहिए।
खुद के अंदर जो कमियां हैं, उस पर ध्‍यान दें और फिर से उठने की कोशिश करें। यह जीवन का संघर्ष है, इसके बिना कुछ नहीं मिलता। पॉजिटिव एटीट्यूड दिलाता है सफलतालाइफ में पॉजिटिव एटीट्यूड रखना कितना जरूरी है, यह बच्‍चों को शाहरुख खान से सीखना चाहिए। कम उम्र में माता-पिता को खाने के बाद उन्‍हाेंने अपने दम पर ही अपनी पहचान बनाई। उनके अनुसार, नकारात्मकता को खुद पर हावी न होने दें, यह करियर पर बुरा असर डालती है। असफल होना गलत नहीं है, बल्कि इसके बाद नकारात्‍मक सोचना गलत है। इससे उभरें और सकारात्‍मक बनें।