गाजा में लड़ते हुए इंडियन-इजरायली सैनिक की मौत, 21 साल के हैरी का भारतीय समुदाय से था खास रिश्ता
तेल अवीव: गाजा में चल रही लड़ाई में एक भारतीय इजरायली सैनिक की जान गई है। गाजा में हमास से लड़ाई के दौरान मारे गए सैनिक का नाम गैरी लालरुइकिमा जोलाट था। बेनी मेनाशे समुदाय के गैरी जोलाट की उम्र सिर्फ 21 साल थी। वह अनिवार्य सैन्य सेवा के तहत इजरायली फौज में काम कर रहा था। गाजा में एक शिविर को हटाते समय गिरे गोले की चपेट में आने से गैरी की मौत हो गई।
गैरी के करीबियों का कहना है कि वह अपनी अनिवार्य सैन्य सेवा के आखिरी हिस्से में था और परिवार के लोग जल्दी ही उसके घर लौटने की उम्मीद कर रहे थे। टेलीग्राफ की रिपोर्ट कहती है कि उत्तरी गाजा में मारे गए भारतीय-यहूदी सैनिक हैरी इजरायल की तकरीबन गुम हो चुकी जनजातियों में से एक से था। वह उत्तर पूर्वी भारत के बेनी मेनाशे समुदाय से आता था। इस समुदाय को इजरायल में मनश्शे की प्राचीन इजरायली जनजाति के खोए हुए वंशज के रूप में मान्यता दी गई है। बेनी मेनाशे समुदाय के इजरायल में 5 हजार लोगइजरायल रक्षा बल (आईडीएफ) ने अपने बयान में कहा, 'स्टाफ सार्जेंट जोलट अपनी सेवा पूरी करने ही वाले थे कि सोमवार को तीन दूसरे सैनिकों के साथ एक विस्फोट में उनकी मौत हो गई।
वह केफिर ब्रिगेड की 92वीं बटालियन में थे। ये बटालिन उत्तरी गाजा में लड़ रही है, जहां इजरायली सेना ने अक्टूबर में नया जमीनी आक्रमण शुरू किया है।' गैरी के पिता डेगन जोहमिंगलियाना 2006 में अपने परिवार को इजरायल आए थे। उन्होंने कहा कि उनका बेटा एक योद्धा बनना चाहता था। मैंने रविवार रात को उनसे बात की थी और अगले दिन ही उसकी जान चली गई। स्टाफ सार्जेंट जोलट की दो बड़ी बहनें भी आईडीएफ में हैं। इस साल सितंबर में 24 वर्षीय स्टाफ सार्जेंट गेरी गिदोन हांघल, बेनी मेनाशे समुदाय के पहले सदस्य थे, जो युद्ध में मारे गए थे।
बनी मेनाशे मिजोरम और मणिपुर के उत्तर-पूर्वी भारतीय राज्यों से हैं। ये मनश्शे जनजाति के वंशज के रूप में पहचाने जाते हैं, जो 10 इजरायल की खोई हुई जनजातियों में से एक है, जिन्हें पहले मंदिर काल के अंत में असीरिया के राजा द्वारा निर्वासित किया गया था। इस समुदाय के करीब 5,000 लोग इजरायल में है। बेनी मेनाशे के 215 लोग वर्तमान में आईडीएफ में हैं।
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