MahaKumbh: महाकुंभ के लिए 6 दिन में 1300 किमी का सफर, स्कूटी में पत्नी को लेकर संगम पहुंचा 58 साल का पति, बताया कैसे बना जाने का प्लान

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अशोकनगर: देश में आस्था के महाकुंभ में हर सनातनी की यह इच्छा है कि वह प्रयागराज पहुंचे और आस्था की डुबकी लगाए। ऐसे में श्रद्धालु तमाम परेशानियां का सामना करते हुए प्रयागराज पहुंच रहे हैं। चाहे रेलवे स्टेशन हो या बस स्टैंड हर जगह श्रद्धालुओं की भीड़ की भीड़ नजर आ रही है। मध्य प्रदेश के अशोकनगर के रहने वाले एक दंपत्ति ने भी गंगा स्नान का प्लान बनाा और अनोखे तरीके से संगम तट पर पहुंचे।
अब उनकी चर्चा हो रही है। पति-पत्नी ने स्कूटी से 650 किलोमीटर का सफर तय किया और संगम तट पर जाकर गंगा स्नान किया।प्रयागराज में 144 साल बाद बने योग के महाकुंभ में देश सहित विदेश से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। ऐसे में जहां रेलवे स्टेशन पर पैर रखने जगह नहीं है। सड़कों पर वाहनों की लंबी कतार लगी है। अशोकनगर के रहने वाले 58 वर्षीय मोहन प्रसाद शर्मा अपनी पत्नी के साथ स्कूटी से 650 किलोमीटर सफर करके प्रयागराज पहुंच गए। मोहन प्रसाद शर्मा ने बताया कि वह 11 फरवरी को अपने घर से निकले थे और 13 फरवरी को प्रयागराज पहुंचे।
वह अपनी गाड़ी से संगम घाट तक पहुंचे और महाकुंभ में तीन दिन रुके 15 फरवरी को वहां से घर के लिए निकले और 17 को अशोकनगर वापस लौट आए। इस बीच उन्होंने आना जाने में 1300 किलोमीटर की यात्रा स्कूटी से पूरी की। ट्रेनों में भीड़ और सड़कों पर जाममोहन प्रसाद शर्मा ने बताया कि वह अपने पत्नी के साथ प्रयागराज जाने का विचार बना रहे थे लेकिन जैसे ही भगदड़ की बात सुनी तो मन में घबराहट हुई। जिसके बाद मीडिया के माध्यम से सड़कों पर लग रहे कई किलोमीटर लंबे जाम और ट्रेनों में चल रही भीड़ को देखकर पत्नी के साथ जाने की हिम्मत नहीं कर पाए।
इसके बाद उन्होंने 11 फरवरी को कदवाया स्थित बिजासन माता के दर्शन किए और फिर प्रयागराज जाने का प्लान बना लिया। इस बात की जानकारी उन्होंने परिवार को दी। इसके बाद दोनों गंगा स्नान के लिए निकल गए। यादगार रहा सफरमोहन शर्मा ने बताया कि स्कूटी से उनका सफर काफी यादगार रहा। उन्होंने कहा कि उन्हें कहीं जाम नहीं मिला। इसके साथ ही दोनों ने मजे से सफर का आनंद लिया। उन्होंने कहा कि यह मेरी जिंदगी का सबसे यादगार सफर है। खुद के साथ गाड़ी को कराया स्नानउन्होंने बताया कि महाकुंभ का यह संयोग 144 साल बाद बना है और इस कुंभ की यात्रा उन्होंने अपने वाहन से पूरी की।
ऐसे में वह तो भाग्यशाली थे ही वही उनका वाहन भी भाग्यशाली था जो कुंभ नगरी प्रयागराज पहुंचा। उन्होंने कहा कि हम उसे संगम तट तक हमें लेकर गए और गंगा जल से स्नान भी करवाया।