चीन के साथ BRI को लेकर दुविधा में फंसा नेपाल, चीनी राजदूत दबाव बनाने में जुटे, समझें कहां नहीं बन रही बात?
काठमांडू: नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली दिसंबर में चीन की यात्रा पर जाने वाले हैं। इस दौरान बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के कार्यान्वयन योजना (Implementation Plan) पर हस्ताक्षर को लेकर नेपाल दुविधा में हैं। नेपाल में नेपाली कांग्रेस और CPN-UML के गठबंधन वाली सरकार है। दोनों ही इस योजना पर हस्ताक्षर को लेकर अलग-अलग विचार रखते हैं।
काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, बीआरआई योजना पर सहमति के लिए चीनी राजदूत नेपाल में समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। चीनी राजदूत चेन सोंग पीएम ओली और वरिष्ठ UML नेताओं के साथ संपर्क कर रहे हैं। साथ ही पीएम की चीन यात्रा से पहले नेपाली कांग्रेस के अंदर प्रयास तेज कर दिए हैं।रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस नेताओं के मुताबिक चीनी दूत ने पार्टी के उपाध्यक्ष पूर्ण बहादुर खड़का, वरिष्ठ नेता शेखर कोइराला, बिमलेंद्र निधि और मिनेंद्र रिजल समेत अन्य लोगों से मुलाकात की है। ओली और उनकी पार्टी BRI कार्यान्वयन योजना पर जल्द से जल्द हस्ताक्षर करना चाहती है।
लेकिन कांग्रेस इसे लेकर अलर्ट है। हालांकि कांग्रेस बीआरआई को मान्यता देने के साथ-साथ उसके प्रोजेक्ट के नेपाल में बनने को लेकर इच्छुक है। क्या चाहती है नेपाली कांग्रेस?रिपोर्ट के मुताबिक नेपाली कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने कहा कि 2018 में अपनी चीन यात्रा के दौरान ओली ने बीआरआई के तहत 35 परियोजनाओं का प्रस्ताव दिया था। लेकिन बाद में चीन के अनुरोध पर इसे घटाकर 9 कर दिया गया। उन्होंने आगे कहा, 'हम बीआरआई के तहत एक-एक परियोजनाओं पर बातचीत के समान तरीके का पालन करना चाहते हैं। इसके अलावा निवेश का मॉडल भी ऐसी बातचीत से तय करना चाहते हैं।' कांग्रेस महासचिव गगन थापा ने कहा, 'बीआरआई परियोजनाओं पर हमारी स्थिति स्पष्ट है।
चाहे वह ऋण हो या अनुदान, हम चीन के साथ प्रत्येक परियोजना पर बातचीत के आधार पर फैसला करेंगे।' ड्राफ्ट को लेकर चिंताएंकांग्रेस नेता बीआरआई योजना के रणनीतिक और राजनीतिक प्रभावों को लेकर चिंतित हैं। दस्तावेज द्विपक्षीय संबंधों और सहयोग को मजबूत करने के चीन के दृष्टिकोण को दिखाता है। लेकिन बुनियादी ढांचा, ऊर्जा और व्यापार जैसे क्षेत्रों में चीन के हितों को प्राथमिकता देता है। नेपाल का विदेश मंत्रालय और वित्त मंत्रालय योजना की समीक्षा कर रहे हैं। अधिकारी ऐसे संशोधन का सुझाव दे रहे हैं, जिससे अधिक न्यायसंगत लाभ और नेपाल की जरूरतों को पूरा करने वाले प्रोजेक्ट शामिल हैं।
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