हिजबुल्लाह के कैप्टागन और शाबू से जंग लड़ रहा सऊदी अरब, क्राउन प्रिंस सलमान के लिए पाकिस्तानी बने मुसीबत
नई दिल्ली: साल 2022 का अप्रैल महीना। एक खबर ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। सऊदी अरब के पूर्वी प्रांत में नशीली दवा लेने वाले एक व्यक्ति ने भयानक हत्याकांड को अंजाम दिया। उसने रमजान के दौरान अपने घर में आग लगा दी, जिसमें उसके परिवार के 4 लोग जलकर खाक हो गए। सऊदी पुलिस के अनुसार, आरोपी व्यक्ति एक ड्रग्स मेथामफेटामाइन जिसे आमतौर पर लोग शाबू कहते हैं, उसके प्रभाव में था। अब आइए पढ़ते हैं हाल ही में आई एक खबर के बारे में। सऊदी अरब ने इस साल अब तक 101 विदेशियों को मौत की सजा दी, जो मौत की सजा के मामले में एक रिकॉर्ड बन गया। 2023 और 2022 34-34 विदेशियों को मौत के घाट उतारा गया था। इन मौत की सजा के मामलों में सबसे ज्यादा नशीली दवाओं से संबंधित अपराधों से जुड़े थे। इस साल नशीली दवाओं के अपराधों से जुड़ी 92 फांसी में से 69 में विदेशी नागरिक शामिल थे। जानते हैं सऊदी अरब में ड्रग्स को लेकर पाकिस्तानी जैसे विदेशियों को सबसे ज्यादा मौत की सजा क्यों मिलती है? यह भी जानते हैं कि क्राउन प्रिंस सलमान का वह दावा क्या था, जिसे झूठा बताया जा रहा है। ड्रग्स डीलर के जाल में फंस रहे विदेशी लोगयूरोपीय-सऊदी ऑर्गेनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स (ईएसओएचआर) के कानूनी निदेशक ताहा अल-हज्जी के अनुसार, सऊदी अरब में विदेशी लोग सबसे कमजोर समूह हैं। वे अक्सर ड्रग डीलरों के शिकार होते हैं और उन्हें यह अंजाम भुगतना पड़ता है। जैसे-जैसे फांसी की संख्या बढ़ती जा रही है, मौत की सजा पाए लोगों के परिवारों में दहशत का माहौल है। सबको यही लगता है कि अगला नंबर उन्हीं का है। सऊदी में ड्रग्स को लेकर मौत की सजा तक का सख्त प्रावधान है। पाकिस्तानी जैसे कई विदेशी इन ड्रग डीलरों के जाल में अक्सर पैसे की लालच में आकर फंस जाते हैं।
पाकिस्तान के नागरिकों को सबसे ज्यादा मौत की सजाइस साल जिन विदेशियों को फांसी दी गई उनमें पाकिस्तान के 21, यमन के 20, सीरिया के 14, नाइजीरिया के 10, मिस्र के 9, जॉर्डन के 8 और इथियोपिया के 7 लोग शामिल हैं। इनमें सूडान, भारत और अफगानिस्तान से तीन-तीन और श्रीलंका, इरिट्रिया और फिलीपींस से एक-एक व्यक्ति शामिल था। चीन और ईरान के बाद सऊदी में सबसे ज्यादा मौत की सजासऊदी में मौत की सजा को लेकर अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां जांच कर रही हैं और सवाल भी खड़े कर रही हैं। एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने सऊदी अरब को चीन और ईरान के बाद दुनिया भर में कैदियों को फांसी देने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश बताया है। क्या झूठ बोल रहे हैं सऊदी क्राउन प्रिंस सलमानइस साल अब तक इतने बड़े पैमाने पर मौत की सजा को लेकर यह बहस भी छिड़ गई है कि क्या सऊदी अरब के वास्तविक शासक क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान झूठ बोल रहे हैं, जिन्होंने 2022 में द अटलांटिक के साथ एक इंटरव्यू में कहा था कि सऊदी ने हत्या जैसे अपराध करने वाले व्यक्तियों से जुड़े मामलों को छोड़कर मौत की सजा को समाप्त कर दिया है। सऊदी में सबसे ज्यादा डिमांड कैप्टागन गोलियों कीocindex.net के अनुसार, सऊदी में नशीली दवाओं को लेकर अक्सर भंडाफोड़ होते रहे हैं। 2022 में ही सऊदी अधिकारियों ने देश के इतिहास में अवैध नशीले ड्रग्स की सबसे बड़ी जब्ती की थी। उस दौरान करीब 4.7 करोड़ एम्फैटेमिन गोलियां आटे की खेप में छिपाकर सऊदी लाई गई थीं, जिन्हें राजधानी रियाद के एक गोदाम में रखा गया था। इन गोलियों को कैप्टागन भी कहा जाता है। इससे पहले 2021 में करीब 3 करोड़ गोलियां जब्त की गई थीं। सऊदी अरब बन रहा मध्य पूर्व के ड्रग्स की राजधानीमीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी में रिकॉर्ड की जब्ती दर्शाती है कि विशेषज्ञ मध्य पूर्व की ड्रग राजधानी के रूप में सऊदी अरब की भूमिका बढ़ रही है। इस डिमांड को बढ़ाने में सीरिया और लेबनान के तस्करों का हाथ है, जो इसे ड्रग्स के लिए पॉपुलर डेस्टिनेशन मानते हैं। दिसंबर, 2021 में लेबनान के आंतरिक सुरक्षा बलों ने जॉर्डन के रास्ते रियाद में कॉफी बैग में छिपाकर 40 लाख कैप्टागन गोलियों की तस्करी के प्रयास को विफल कर दिया था। कैप्टागन गोलियों की ही तस्करी क्यों हो रहीसऊदी अरब में कैप्टागन गोलियों की तस्करी का भंडाफोड़ आम बात हो गई है। बताया जा रहा है कि ये गोलियां आकार में छोटी और बनाने में आसान होने की वजह से सऊदी के ड्रग्स मार्केट में इनकी काफी डिमांड है। इन गोलियों को सीरिया और लेबनान में बड़े पैमाने पर बनाया जाता है, जहां से चोरी-छिपे इन्हें सऊदी अरब लाया जाता है। यहां इनकी खपत सबसे ज्यादा है। ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) के अनुसार, 2015 और 2019 के बीच मध्य पूर्व में जब्त किए गए सभी कैप्टागन का आधे से अधिक हिस्सा सऊदी अरब में था। कैप्टागन के खिलाफ जंग लड़ रहा है सऊदी अरबसऊदी अरब भले ही अरब देशों का मुखिया बनता हो, मगर उसकी असली लड़ाई कैप्टागन और शाबू जैसे ड्रग्स के खिलाफ है। मूड बढ़ाने, जगाने में माहिर इस ड्रग्स की वजह से लोग मर रहे हैं। उन्हें सेहत से जुड़ी गंभीर बीमारियां हो जाती हैं। उनकी इम्यूनिटी भी कमजोर हो जाती है। सीरिया संकट के दौरान कैप्टागन ने सऊदी में कब्जा जमाया कैप्टागन पहली बार सीरियाई संकट के दौरान अरब क्षेत्र में तब पॉपुलर हुआ, जब गृहयुद्ध के लड़ाके यहां आए। वो यह नशा करते और लंबी लड़ाई लड़ते। बाद में अमेरिका और सऊदी अरब की पाबंदी लगी, मगर तब तक इस नए दुश्मन ने अरब जगत में अपनी गहरी पैठ बना ली। ईरान समर्थित हिजबुल्लाह बना रहा है ये ड्रग्ससीरियाई सरकार पर नशीली दवाओं की तस्करी में सक्रिय रूप से शामिल होने का आरोप लगाया गया। सीरिया और लेबनान में ईरान समर्थित हिजबुल्लाह के नियंत्रण वाले क्षेत्र इस दवा के प्रमुख उत्पादन केंद्र बन गए। 2019 में सीरिया और लेबनान का इस ड्रग्स का संयुक्त रूप से निर्यात 5 बिलियन डॉलर के करीब था। सऊदी सरकार को सता रहा है ये डरसऊदी सरकार को डर है कि ये दवाएं उनके खिलाफ आतंकी समूहों की मदद कर रही हैं और उन लोगों को पैसे मुहैया करा रही हैं, जो सऊदी के दुश्मन हैं। सऊदी सरकार ने संकेतों में यह भी कहा है कि देश में भांग और कैप्टागन के मार्केट के पीछे हिजबुल्लाह का हाथ है। ये ड्रग्स सऊदी के 12 से 22 साल की उम्र वाले बच्चों को अपनी गिरफ्त में ले रहा है। वहीं, 40 प्रतिशत सऊदी ड्रग एडिक्ट कैप्टागन का इस्तेमाल करते हैं। अंडरग्राउंड पार्टियों में खूब हो रहा इस्तेमालसऊदी अरब में अंडरग्राउंड पार्टियों में कैप्टागन की मांग कई गुना बढ़ गई है। इसे बनाने में कैनाबिस कई रास्तों से होकर सऊदी तक पहुंचता है। यह फगानिस्तान से ईरान, इराक, लेबनान और सीरिया से होते हुए अक्सर जॉर्डन के रास्ते सऊदी अरब पहुंचता है। वहीं, यमन के रास्ते सऊदी अरब में गांजा लाया जा रहा है।
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