भारतीय 'चाणक्य' जयशंकर से मिले चीनी विदेश मंत्री, LAC समझौते के बाद पहली मुलाकात, भारत से कर डाली 4 मांग

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बीजिंग: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की है। अक्टूबर में भारत और चीन के बीच बॉर्डर विवाद में सेनाओं के पीछे हटने को लेकर समझौता होने के बाद दोनों नेताओं की यह पहली बैठक है। जयशंकर और वांग की ये मुलाकात मंगलवार को ब्राजील के रियो डी जनेरियो में हुई है। दोनों नेता जी20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए ब्राजील में हैं।
जी20 शिखर सम्मेलन से इतर दोनों मिले हैं। बैठक के दौरान डायरेक्ट फ्लाइट समेत चीन की ओर से भारत से तीन मांग की गई हैं।चीन और भारत के नेताओं ने बैठक के दौरान दूसरे वैश्विक मुद्दों के अलावा सीमा पर सैनिकों की वापसी की प्रगति पर चर्चा की है। बैठक पर टिप्पणी करते हुए एस जयशंकर ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर योजना के अनुसार सीमा समझौते का जमीनी कार्यान्वयन चल रहा है। उन्होंने कहा कि जी20 और ब्रिक्स मंचों पर दोनों देशों के योगदान ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में देशों के महत्व को उजागर किया और द्विपक्षीय संबंधों के महत्व को रेखांकित किया है।
चीन ने फ्लाइट बहाली और वीजा पर की बातएस जयशंकर ने एक्स पर तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, 'रियो में जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर सीपीसी पोलित ब्यूरो सदस्य और चीन के एफएम वांग यी से मुलाकात की। हमने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी की प्रगति पर गौर किया और द्विपक्षीय संबंधों में अगले कदमों पर विचारों का आदान-प्रदान करते हुए वैश्विक स्थिति पर भी चर्चा की।'डॉक्टर जयशंकर के साथ मुलाकात के बाद चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने बताया कि उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री के साथ बैठक के दौरान कुछ मुद्दे रखे हैं।
चीन की ओर से खासतौर से चार बातों पर जोर दिया गया है। इनमें चीन और भारत के बीच सीधी फ्लाइट फिर से शुरू करने, पत्रकारों के लिए एक-दूसरे देश जाने में आसानी (जर्नलिस्ट एक्सचेंजिंग) और वीजा सुविधा बेहतर करना शामिल है। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि वांग ने जयशंकर के साथ बातचीत में दोनों देशों के बीच एक और मुद्दे 'आपसी विश्वास बढ़ाते और संदेह कम करने' की आवश्यकता पर भी जोर दिया है। भारत और चीन के बीच सीम विवाद काफी पुराना है। ये विवाद 2020 में काफी ज्यादा बढ़ गया था, जब दोनों देशों के सैनिकों में खूनी झड़प हुई थी।
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख खासतौर से सैन्य तनाव का केंद्र बिंदु रहा है। लगातार तनातनी के बाद दोनों देशों ने पिछले महीने अक्टूबर में एक समझौते के बाद तनाव कम करने की दिशा में काम शुरू किया है।