अमेरिका में समुद्र तट पर मिली 'प्रलय की मछली', इस साल तीसरी बार देखी गई, क्या किसी तबाही का संकेत?
वॉशिंगटन: अमेरिका के कैलिफोर्निया प्रांत में दुर्लभ ओरफिश को देखा गया है। बुरी खबरों और तबाही की अग्रदूत कही जाने वाली ये मछली एनसिनिटास समुद्र तट पर मिली है। ओरफिश की इस प्रजाति को तीन महीनों में यहां तीसरा बार देखा गया है। स्क्रिप्स के एक फेसबुक पोस्ट के अनुसार, 9 फुट की ओरफिश को 6 नवंबर को सैन डिएगो में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में स्क्रिप्स इंस्टीट्यूशन ऑफ ओशनोग्राफी के एलिसन लाफेरिएर द्वारा ग्रैंडव्यू बीच के तट पर पाया गया था।
पोस्ट के मुताबिक, इस मछली को मृत हालत में पाया गया। इसके बाद मछली के शरीर के नमूने को राष्ट्रीय समुद्री और वायुमंडलीय प्रशासन मत्स्य पालन सेवा ने उठाय। इन नमूनों को जांच के लिए दक्षिण-पश्चिम मत्स्य विज्ञान केंद्र में ले जाया गया। स्क्रिप्स ओशनोग्राफी मरीन वर्टेब्रेट कलेक्शन के प्रबंधक बेन फ्रैबल ने बताया है कि मछली के नमूने समुद्री वर्टेब्रेट संग्रह में आगे के अध्ययन के लिए फ्रीज कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि ये नमूने हमें ओरफिश के जीव विज्ञान, शरीर रचना विज्ञान, जीनोमिक्स और जीवन इतिहास के बारे में बहुत कुछ बताने में सक्षम होंगे।
मछली को लेकर कई तरह की कहानियांएटलस ऑब्स्कुरा के अनुसार, जापानी पौराणिक कथाओं में गहरे समुद्र में ओरफिश की उपस्थिति को भूकंप और सुनामी के अग्रदूत के रूप में दर्शाया गया है।ओशन कंजरवेंसी के अनुसार, मार्च 2011 में जापान में अब तक के सबसे बड़े रिकॉर्ड किए गए भूकंप से ठीक पहले 2010 में जापान के समुद्र तट पर ओरफिश को देखा गया था।नेचुरल वर्ल्ड फैक्ट्स ने ओरफिश को प्रलय की मछली कहे जाने को कहानी कहकर खारिज किया है। फैक्ट्स का कहना है कि भूकंप से पहले होने वाली टेक्टोनिक हलचल प्रजातियों को मार देती है।
इससे भूकंप आने से ठीक पहले वे समुद्र तटों पर आ जाते हैं। जियोसाइंस के अनुसार, 2019 के एक अध्ययन में जापान में ओरफिश देखे जाने और भूकंप की घटना के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया। दुर्लभ है ओरफिशओरफिश एक दुर्लभ मछली है और अपने आकार की वजह से भी लोगों का ध्यान खींचती है। ये मछली अमूमन 12 फीट की होती है और कई बार 30 फीट तक बढ़ सकती है। ये बहुत आसानी से नहीं दिखती है। इसे कई वर्षों में एक बार देखा जाता है। इसकी वजह ये भी है कि ये मछली की यह प्रजाति गहरे समुद्र में रहती है। ये केवल तभी सतह पर आती है, जब रास्त भटक जाती हैं।
किनारे पर आने के बाद इनकी मौत हो जाती है।
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