RBI के नए LCR नियम: क्या हैं बदलाव और ग्राहकों पर प्रभाव?

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भारतीय रिज़र्व बैंक के नए नियम

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने हाल ही में बैंकों के लिए नए लिक्विडिटी कवरेज रेशियो (LCR) नियमों की घोषणा की है। इन नियमों के अनुसार, रिटेल और छोटे व्यवसायों के ग्राहकों के डिजिटल डिपॉजिट्स पर 2.5% अतिरिक्त “रन-ऑफ फैक्टर” लागू किया जाएगा।


नियमों का उद्देश्य और प्रभाव

इसका अर्थ है कि बैंकों को इन डिपॉजिट्स का एक निश्चित हिस्सा तरल संपत्ति के रूप में रखना होगा, ताकि आर्थिक संकट के समय ग्राहकों द्वारा पैसे निकालने की स्थिति में बैंक तैयार रहें।

RBI ने यह निर्णय जुलाई 2024 के ड्राफ्ट प्रस्ताव में 5% रन-ऑफ फैक्टर का सुझाव देने के बाद लिया है। हालांकि, बैंकों और हितधारकों के फीडबैक के आधार पर इसे घटाकर 2.5% कर दिया गया।

यह नियम 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा। RBI का कहना है कि इससे बैंकों की लिक्विडिटी स्थिरता बढ़ेगी और वैश्विक मानकों के साथ तालमेल बनेगा।


आरबीआई नए एलसीआर नियम
पैरामीटर विवरण
लागू होने वाली तिथि 1 अप्रैल 2026
रन-ऑफ फैक्टर 2.5% (IMB-सक्षम रिटेल डिपॉजिट्स पर)
स्थिर डिपॉजिट्स पर प्रभाव 7.5% (पहले 5%)
कम स्थिर डिपॉजिट्स पर प्रभाव 12.5% (पहले 10%)
गैर-वित्तीय संस्थाओं से फंडिंग 40% रन-ऑफ (पहले 100%)
LCR में सुधार 6% की बढ़ोतरी (दिसंबर 2024 तक)
उद्देश्य डिजिटल बैंकिंग के जोखिमों को कम करना और लिक्विडिटी स्थिरता बढ़ाना
प्रभावित बैंक सभी वाणिज्यिक बैंक (भुगतान बैंक, RRB, और लोकल एरिया बैंक छूट में)

रन-ऑफ फैक्टर की व्याख्या

रन-ऑफ फैक्टर वह प्रतिशत है जो बैंक को यह अनुमान लगाने में मदद करता है कि आर्थिक संकट के दौरान कितने डिपॉजिट्स निकाले जा सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि किसी बैंक के पास 100 करोड़ रुपये के डिजिटल डिपॉजिट्स हैं

और रन-ऑफ फैक्टर 2.5% है, तो उसे 2.5 करोड़ रुपये अतिरिक्त तरल संपत्ति के रूप में रखने होंगे।


नए नियमों के पीछे RBI का उद्देश्य
  • डिजिटल बैंकिंग जोखिमों को कम करना: कुछ देशों में देखा गया कि डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए ग्राहक तेजी से पैसे निकालते हैं, जिससे बैंकों को लिक्विडिटी संकट का सामना करना पड़ता है।
  • LCR में सुधार: RBI के अनुसार, यह नियम बैंकों के LCR (लिक्विडिटी कवरेज रेशियो) को 6% तक बढ़ाएगा, जिससे उन्हें ऋण देने के लिए अधिक संसाधन मिलेंगे।
  • वैश्विक मानकों के अनुरूप: यह बदलाव बेसल-III फ्रेमवर्क के साथ तालमेल बिठाने के लिए किया गया है।

  • बैंकों और ग्राहकों पर प्रभाव बैंकों के लिए फायदे
    • लिक्विडिटी बफर: LCR में सुधार से बैंकों को संकट के समय नकदी प्रबंधन में आसानी होगी।
    • कर्ज देने की क्षमता: अनुमान है कि इससे 2.7-3 लाख करोड़ रुपये तक अतिरिक्त कर्ज देने की क्षमता बढ़ेगी।
    • गैर-वित्तीय संस्थाओं से फंडिंग: 100% के बजाय 40% रन-ऑफ से फंडिंग लागत घटेगी।
    ग्राहकों के लिए प्रभाव
    • कोई सीधा प्रभाव नहीं: ग्राहकों के डिपॉजिट्स पर कोई पाबंदी नहीं, लेकिन बैंकों को अधिक तरल राशि रखनी होगी।
    • ब्याज दरों पर असर: अगर बैंकों की लागत बढ़ती है, तो FD या लोन की दरें प्रभावित हो सकती हैं (हालांकि अभी स्पष्ट नहीं)।

    नए नियमों पर बैंकों की प्रतिक्रिया
    • मिश्रित प्रतिक्रिया: कुछ बैंकों ने 2.5% रन-ऑफ को “निराशाजनक” बताया, क्योंकि वे इसे पूरी तरह हटाना चाहते थे।
    • LCR गणना में बदलाव: बैंकों को अब अपने सिस्टम को नए मानकों के अनुसार ढालना होगा।

    RBI के अन्य महत्वपूर्ण बदलाव
    • CRR में संशोधन: कैश रिजर्व रेशियो (CRR) को 4.5% पर स्थिर रखा गया है।
    • डिजिटल लेनदेन सीमा: UPI के जरिए ₹1 लाख प्रति लेनदेन की सीमा को बरकरार रखा गया।
    • NRI डिपॉजिट्स: NRO/NRE अकाउंट्स पर टैक्स नियमों में कोई बदलाव नहीं किया गया।

    विशेषज्ञों की राय
    • सकारात्मक पहलू: यह नियम बैंकिंग क्षेत्र को अधिक लचीला बनाएगा और 2008 जैसे संकट से बचाव में मदद करेगा।
    • चुनौतियाँ: छोटे बैंकों के लिए तरल संपत्ति बढ़ाना मुश्किल हो सकता है, जिससे उनकी कर्ज देने की क्षमता प्रभावित होगी।
    • भविष्य की योजनाएँ: RBI 2026 तक LCR को 100% से 110% तक बढ़ाने की तैयारी में है।

    तुलनात्मक विश्लेषण: पुराने vs नए नियम
    पैरामीटर पुराना नियम (2023 तक) नया नियम (2026 से)
    रिटेल डिपॉजिट्स पर रन-ऑफ 0% (कुछ मामलों में 5%) 2.5% (IMB-सक्षम अकाउंट्स पर)
    कॉर्पोरेट डिपॉजिट्स पर रन-ऑफ 25% 40% (गैर-वित्तीय संस्थाओं से)
    LCR लक्ष्य 100% 106% (दिसंबर 2024 तक)
    प्रभावित बैंक केवल बड़े बैंक सभी वाणिज्यिक बैंक

    यह नियम किसे प्रभावित नहीं करेगा?
    • भुगतान बैंक: जैसे PAYTM भुगतान बैंक, एयरटेल भुगतान बैंक।
    • लोकल एरिया बैंक: छोटे स्तर पर काम करने वाले बैंक।
    • RRB (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक): ग्रामीण क्षेत्रों में कर्ज देने वाले बैंक।

    RBI की भविष्य की योजनाएँ
    • डिजिटल रुपया (e₹): RBI 2025 तक डिजिटल रुपये का व्यापक प्रसार करने की योजना बना रहा है।
    • ग्रीन बैंकिंग: पर्यावरण अनुकूल परियोजनाओं के लिए कर्ज देने पर जोर।
    • AI का उपयोग: बैंकों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के जरिए जोखिम प्रबंधन को मजबूत करना।

    निष्कर्ष

    RBI का यह निर्णय बैंकिंग क्षेत्र की स्थिरता के लिए एक मजबूत कदम

    है। हालांकि, छोटे बैंकों और ग्रामीण क्षेत्रों में इसके अप्रत्यक्ष प्रभाव (जैसे कर्ज की उपलब्धता कम होना) पर नजर रखनी होगी। ग्राहकों को इससे कोई सीधा नुकसान नहीं होगा, बल्कि उनके डिपॉजिट्स अधिक सुरक्षित होंगे।