Abhijeet Bhattacharya Birthday 'पाकिस्तानी आर्टिस्ट भिखारी हैं, मार के भगा देता', जब इस बड़े सिंगर ने खोला था मोर्चा, वीडियो में जानें पूरा मामला

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अभिजीत भट्टाचार्य (अंग्रेज़ी: Abhijeet Bhattacharya, जन्म- 30 अक्टूबर, 1958, कानपुर, उत्तर प्रदेश) हिन्दी फिल्मों के प्रसिद्ध गायक हैं। 90 के दशक के मशहूर गायक अभिजीत भट्टाचार्य ने शाहरुख ख़ान, अक्षय कुमार जैसे नायकों के लिए अपनी आवाज़ दी और लोगों द्वारा खूब सराहे गए। साल 1981 में अभिजीत कानपुर के क्राइस्ट चर्च कॉलेज से स्नातक करने के बाद चार्टर्ड अकाउंटेंसी का कोर्स करने के लिए मुंबई पहुंच गए थे, लेकिन किस्मत ने उन्हें गायक बना दिया। वे कई रियलटी शो में बतौर जज नजर आए हैं। स्टूडियो में सबसे लंबा गाना गाने और रिकॉर्डिंग करने का विश्व रिकॉर्ड अभिजीत के पास है। उन्होंने स्टूडियो में 18 मिनट का एक गाना रिकॉर्ड किया था।

अभिजीत भट्टाचार्य का जन्म 30 अक्टूबर, 1958 को कानपुर में हुआ था। उनके पिता का नाम धीरेंद्रनाथ भट्टाचार्य था जो कि एक बिजनेसमैन थे। माता का नाम कमलादेवी भटाचार्य था। चार भाई-बहनों में अभिजीत सबसे छोटे हैं। अभिजीत ने फैशन डिजाइनर सुमति भटाचार्य से 1990 में शादी की। उनके दो पुत्र हैं- ध्रुव अभिजीत भट्टाचार्य और जय अभिजीत भट्टाचार्य। जिस गायिका के साथ अभिजीत ने सबसे ज्यादा डिबेट गाये हैं वो हैं, अलका याग्निक। अभिजीत ने 423 फिल्मों में 634 गाने गाये हैं। उन्होंने ना केवल हिंदी में गाने गाये बल्कि वह 18 भाषाओं में गा चुके हैं, जिसमें से प्रमुख हैं- बंगाली, उड़िया, भोजपुरी, मराठी और गुजराती।[1]

अभिजीत को पहला ब्रेक दिया था संगीतकार आर. डी. बर्मन ने। फिल्म थी 'आनंद और आनंद'। इस फिल्म में उन्हें अपने आदर्श और उस्ताद किशोर कुमार के साथ काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में अभिजीत ने किशोर कुमार, आशा भोंसले और लता मंगेशकर के साथ गाना गाया। लेकिन यह फिल्म फ्लॉप रही और अभिजीत का कॅरियर शुरू होने से पहले ही खत्म मान लिया गया। इसके बाद अब अभिजीत को 7 सालों तक संघर्ष करना पड़ा। 7 साल के बाद अभिजीत ने एक बार फिर से प्लेबैक सिंगर के तौर पर अपना कम बैक किया। फिल्म थी ‘बागी’। अभिजीत ने कई नॉन फिल्मी एल्बम बनाए। वॉइस ऑफ इंडिया, सा रे गा मा पा, सारेगामापा लिटिल चैंपियन जैसे कई रियलिटी शो के जज भी रहे।

अभिजीत, क्राइस्ट चर्च कॉलेज से ग्रेजुएट (बीकॉम) करने के बाद प्ले बैक सिंगर बनने का सपना लिए 1981 में मुंबई आ गए। कानपुर में स्टेज शो किया करते थे और स्टेज सिंगर के रूप में काफी पॉपुलर हो गए थे। उन्होंने प्लेबैक सिंगर बनने का फैसला किया और संगीत के प्रति उनका जुनून उन्हें मुंबई खींच लाया। अभिजीत मुंबई आ तो गए लेकिन यहां का जीवन आसान नहीं था। उनका असली संघर्ष मुंबई आने पर शुरू हुआ। यह संघर्ष केवल काम पाने का नहीं था। यह संघर्ष भोजन, सर पर छत जैसे जरूरतों का भी था। मुंबई में अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अभिजीत को क्लर्क जैसे छोटे-मोटी नौकरी भी करनी पड़ी।[1]

मुंबई आ जाने के 2 साल बाद भी अभिजीत भट्टाचार्य को कोई काम नहीं मिला। फिर 2 साल बाद एक दिन अभिजीत को एक फोन आया। यह फोन था बॉलीवुड के मशहूर म्यूजिक डायरेक्टर राहुल देव बर्मन का। बात 1984 की है। देवानंद अपने बेटे को लॉन्च करने वाले थे। फिल्म का नाम था 'आनंद और आनंद'। फिल्म में एक नए आवाज की जरूरत थी, जिसके लिए आर डी बर्मन ने अभिजीत को कॉल किया था। इसके लिए अभिजीत हमेशा आर. डी. बर्मन को अपना गॉडफादर मानते हैं।

इस तरह से एक प्लेबैक सिंगर के तौर पर अभिजीत के बॉलीवुड कॅरियर की शुरुआत हो गई। इस फिल्म में अभिजीत को तीन गाने गाने का मौका मिला, वो भी अपने आदर्श किशोर कुमार, आशा भोसले और लता मंगेशकर के साथ। फिल्म के गाने तो हिट हो गए लेकिन फिल्म बॉक्स ऑफिस पर नहीं चली। इसके बाद अभिजीत को सात सालों तक संघर्ष करना पड़ा।