अश्विन ने एकाएक संन्यास ले सबको चौंकाया, तरकश में बचे थे अब भी कई तीर
भारत के मशहूर क्रिकेटर रविचंद्रन अश्विन ने अचानक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से रिटायरमेंट का ऐलान कर क्रिकेट प्रेमियों को चौंका दिया है. अश्विन ने संन्यास की घोषणा ऑस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन में की है.
सबसे पहले तो अश्विन के इस फ़ैसले ने इसलिए चौंकाया कि यह भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली जा रही सिरीज के ठीक बीच में लिया गया.
इसके अलावा यह फ़ैसला ऐसी सिरीज के बीच लिया गया जो भारत को 2025 के वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल की दिशा में बढ़ाने वाली है.
आइए देखते हैं कि अश्विन का करियर कैसा रहा है.
BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ करेंपिछले 15 साल के दौरान क्रिकेट के हर फॉरमेट में भारत के एक ताक़तवर टीम के तौर पर उदय में अश्विन की भूमिका की तारीफ़ की जाती रही है.
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अश्विन की ओर से लिए गए 765 विकेट तो उनकी गेंदबाजी की मजबूती की कहानी कहता ही है.
लेकिन टेस्ट मैच में 537 विकेट लेकर उन्होंने जो करिश्मा किया है, उससे वो इस खेल के महान खिलाड़ियों में शामिल हो गए हैं.
साथ ही वो भारत के अब तक सबसे महान स्पिनरों में भी गिने जाने लगे हैं.
टेस्ट मैचों में सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाजों में अश्विन सातवें नंबर पर हैं. स्पिनरों में वो मुथैया मुरलीधरन, शेन वॉर्न और अनिल कुंबले के बाद चौथे नंबर पर हैं.
टेस्ट मैचों में भारत की ओर से जीते गए 106 में से 61 में वो खेले हैं.
घरेलू मैदानों में 47 और विदेश में 14. इन्हीं जीतों में उनके करियर की कहानी लिखी है.
इन 61 जीतों में अश्विन ने 31 बार पांच विकेट लिए हैं. सात बार ऐसा हुआ है कि उन्होंने एक टेस्ट में पूरे दस विकेट लिए हैं.
जीते गए इन सभी मैचों में वो स्ट्राइक बॉलर के तौर पर खेले हैं. ख़ास कर भारत में.
अश्विन रविचंद्रन हरभजन सिंह के युग के बाद विरोधी टीमों के ख़िलाफ़ हमले की बागडोर थामने वाले संपूर्ण स्पिनर थे.
पहले उन्होंने ये काम एमएस धोनी की कप्तानी में किया और फिर विराट कोहली के नेतृत्व में.
अश्विन मूल रूप से एक टेस्ट मैच बॉलर रहे हैं, जिनके पास कई तरह का कौशल थे. एक गेंदबाज और बल्लेबाज, दोनों रूप में वो किसी मैच को पढ़ कर उसके मुताबिक़ खेल सकते थे.
उनमें एक बल्लेबाज की तरह सोचने और एक गेंदबाज की तरह प्लान करने और फिर उसके मुताबिक़ खेलने का हुनर था.
उनकी ऑफ स्पिनिंग का खजाना विविधताओं से भरा था.
गेंद पर नियंत्रण, गेंद की गति में विविधता, ऑफ ब्रेक, आर्म बॉल और कैरम बॉल.
साथ ही था चेन्नई के टेनिस बॉल क्रिकेट से निकला सुडोकु. इसमें वो अपनी बीच की उंगली से घुमा कर बॉल को लेग से ऑफ की ओर फेंकते थे.
चार साल तक हरेक साल पचास विकेट उनकी कामयाबी की कहानी खुद बयां करता है.
2011 के बाद इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में 4-0 से सिरीज की हार के बाद भारत ने विदेशी टीमों के लिए ऐसी पिचें बनाईं जो घुमावदार थीं. यानी ये स्पिनरों की मददगार थीं.
ऐसे में अश्विन भारतीय गेंदबाजी का नेतृत्व करने के लिए बिल्कुल मुफ़ीद गेंदबाज थे.
क्रिकेट के अपने ज्ञान, अनुशासन और बारीक तैयारियों की बदौलत वो अपने हुनर का बेहतरीन इस्तेमाल कर सकते थे. हर तरह से वो इस खेल के आदर्श विद्यार्थी थे.
हर सिरीज से पहले अश्विन पहले के खेले गए मैचों की हर गेंद को देखते थे.
उनकी निगाहें सिर्फ विकेट ही नहीं बल्कि मैच की हरेक गेंद को वो परखती थीं. एक ऐप का इस्तेमाल कर वो वीडियो के जरिये सारे मैचों की हरेक गेंद को देखते थे.
अश्विन और उनके खेल को मिल रही तारीफ़ के दौरान उनके खेल का एक और पहलू अनदेखा होने का ख़तरा हो सकता है.
और वो है उनकी बल्लेबाज़ी.
उन्होंने अपना क्रिकेट करियर एक सलामी बल्लेबाज़ के तौर पर शुरू किया था.
इसलिए उन्होंने उन टेस्ट मैचों में अपने उस तकनीकी कौशल और मिज़ाज का भरपूर इस्तेमाल किया जहां टॉप ऑर्डर के बल्लेबाजों के साथ मिलकर पारी को खींचना था या फिर निचले क्रम की बल्लेबाजी को मजबूती देते हुए रन जोड़ने थे.
अश्विन के नाम छह टेस्ट सेंचुरी और आठ हाफ सेंचुरी है. उन्होंने भारत की ओर से जीते गए मैचों में छठे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए 57.25 रन के औसत से दो शतक बनाए हैं.
ये भी अचरज वाली बात है कि उन्होंने चार शतक आठवें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए बनाए हैं. इनमें तीन उन मैचों में बने जिन्हें भारत ने जीता था.
उनके हरफ़नमौैला खेल की झलक वेस्टइंडीज में खेली गई टेस्ट सिरीज में भारत की 2-0 की जीत में मिली थी.
पहला टेस्ट एंटीगुआ में हुआ था. वहां उन्होंने विराट कोहली के साथ मिलकर पहली पारी में भारत का स्कोर 560 रन कर दिया था. वहीं दूसरी पारी में उन्होंने वेस्टइंडीज की दूसरी पारी में 83 रन पर सात खिलाड़ियों को आउट कर दिया था.
सेंट लुसिया टेस्ट में वो भारत की पहली पारी में सबसे ज्यादा रन बनाने वाली खिलाड़ी थे. जबकि वो छठे नंबर पर बल्लेबाजी कर रहे थे.
एक समय में भारत के पांच खिलाड़ी 126 रन पर आउट हो चुके थे. लेकिन उन्होंने ऋद्धिमान साहा के साथ 200 रनों की साझेदारी की थी.
इसके बाद 80 रन पर वेस्टइंडीज के तीन खिलाड़ियों को आउट किया था. और 'मैन ऑफ द मैच' बने थे.
इस टूर में वो भारत के सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले खिलाड़ी थे. सिरीज में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों में वो चौथे नंबर पर थे.
अपने करियर के दौरान अश्विन ने अपनी एक ख़ास पहचान बनाए रखी.
जैसे-जैसे भारतीय क्रिकेट का आकार विशाल और मजबूत होता गया इसने किसी व्यक्ति की ओर से उठाई गई आवाज़ को बंद करना शुरू कर दिया.
लेकिन अश्विन खुल कर बोलने से नहीं हिचकिचाए. उन्होंने अपनी स्वतंत्र आवाज़ बरकरार रखी.
कोविड महामारी फैलने और इसके दौरान प्रतिबंधों के बीच अपने खेल और काम को जारी रखते हुए उन्होंने अपना यूट्यूब चैनल शुरू किया.
साल 2020-21 के ऐतिहासिक बॉर्डर गावस्कर सिरीज के दौरान इसकी व्यूअरशिप बढ़ कर 16.10 लाख तक पहुंच गई.
उनके चैनल पर टीम के उनके साथी खिलाड़ियों और सपोर्ट स्टाफ के साथ उनके इंटरव्यू दिखाए गए. उनकी कुट्टी स्टोरीज फैन और दर्शकों को सिरीज की जीत के बाद एक तरह से ड्रेसिंग रूम में ले जाती थी.
2024 में उन्होंंने अपनी आत्मकथा आई हैव द स्ट्रीट्स : अ कुट्टी क्रिकेट स्टोरी लिखी. निश्चित तौर पर ये उनकी आत्मकथा का पहला भाग था.
ये किताब उन्होंने ईएसपीएनक्रिकइन्फो के पत्रकार सिद्धार्थ मोंगा के साथ मिलकर लिखी थी.
ये किसी भी समकालीन भारतीय क्रिकेट के लिए असाधारण बात थी कि वह भारत के लिए खेलना जारी रखते हुए अपनी ज़िंदगी के बारे में किताब लिख कर उसे प्रकाशित करवाए.
लेकिन इस किताब में उन्होंने अपनी कहानी सिर्फ इंटरनेशनल क्रिकेट में खुद के आने तक सीमित रखी. ऐसा करके उन्होंने बीसीसीआई को भी परेशानी से बचाए रखा.
Getty Imagesपढ़ने और लिखने की उनकी दिलचस्पी को देखते हुए इसमें कोई शक नहीं है कि इस किताब का दूसरा हिस्सा भी जल्द आएगा जिसमें वो अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर और बीच सिरीज में ही रिटायरमेंट के ऐलान के पीछे की वजहों को बताएंगे.
भारत और ऑस्ट्रिलिया के बीच खेले जा रहे टेस्ट मैचों की ये सिरीज फिलहाल 1-1 की बराबरी पर है. अगले दो मैच मेलबर्न और सिडनी में होंगे जहां भारत चाहे तो दो स्पिनरों को उतार सकता है.
रविचंद्रन अश्विन भले ही भारतीय क्रिकेट के ड्रेसिंग रूम में नहीं दिखेंगे लेकिन अगले साल होने वाले आईपीएल में वो खेलेंगे. ये भी काफी संभव है कि अगले कुछ दशकों तक वह क्रिकेट पर होने वाली बातचीत के अग्रणी मोर्चों पर दिखें.
रिटायरमेंट के बाद लगता है वो मीडिया और सोशल मीडिया की दुनिया और इसमें होने वाली बातचीत में सक्रिय भागीदारी निभा सकते हैं.
निश्चित तौर पर हम अचानक एक बुधवार को ऑस्ट्रेलिया में रिटायरमेंट की उनकी घोषणा के पीछे की कहानी सुनना चाहेंगे.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित
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