अहमद अल-शरा ने बीबीसी को दिए इंटरव्यू में बताया, उनके शासन में कैसा होगा सीरिया

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BBC बीबीसी के अंतरराष्ट्रीय संपादक जेरेमी बोवेन ने एचटीएस प्रमुख अहमद अल-शरा से बातचीत की है

सीरिया के नए नेता अहमद अल-शरा ने कहा है कि उनका देश जंग से थक गया है. उन्होंने कहा कि सीरिया अब किसी पड़ोसी या पश्चिम के देशों के लिए कोई ख़तरा नहीं है.

सीरिया की राजधानी दमिश्क में बीबीसी से मुलाक़ात में अल-शरा ने कहा है कि अब पश्चिमी देशों को सीरिया पर लगे प्रतिबंध हटा लेने चाहिए.

उन्होंने कहा, "अब जो कुछ हुआ है, उसके बाद प्रतिबंध हटा देने चाहिए क्योंकि उनके निशाने पर पुरानी सरकार थी. पीड़ित और उत्पीड़क से एक जैसा व्यवहार नहीं किया जा सकता है."

दो हफ़्ते पहले धुआंधार गति से अल-शरा के लड़ाके राजधानी दमिश्क पहुँचे और बशर अल-असद की हुक़ूमत कि गिरा दिया था. अल शरा के पास हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) की कमान है.

सीरिया में मौजूद गुटों में एचटीएस का दबदबा रहा है. अल-शरा को अब तक उनके उपनाम अबू मोहम्मद अल-जुलानी से जाना जाता था.

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BBC Getty Images अहमद अल-शरा का कहना है कि सीरिया से पश्चिमी देशों को प्रतिबंध हटा देना चाहिए

बीबीसी से विशेष बातचीत में अल-शरा ने कहा कि एचटीएस को अब आतंकवादी संगठन की सूची से हटा दिया जाना चाहिए.

संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन ने इस विद्रोही ग्रुप को आतंकवादी संगठनों की सूची में रखा है. ये गुट अल-क़ायदा से ही निकला है. साल 2016 में अल-क़ायदा में फूट के बाद अल-शरा ने एचटीएस का गठन किया था.

अल-शरा ने कहा कि एचटीएस कोई आतंकवादी ग्रुप नहीं है.

उन्होंने कहा कि उनके संगठन ने ग़ैर-सैन्य इलाक़ों या आम लोगों को कभी निशाने पर नहीं लिया है. अल-शरा ने ख़ुद को बशर अल-असद के अत्याचारों का पीड़ित बताया.

अफ़ग़ानिस्तान नहीं बनेगा सीरिया

अल-शरा ने कहा कि वह सीरिया को अफ़ग़ानिस्तान नहीं बनाना चाहते हैं.

उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान और सीरिया बहुत अलग मुल्क हैं. दोनों की परंपराएं और रिवाज बिल्कुल अलग हैं. अफ़ग़ानिस्तान में एक क़बायली समाज है.

उन्होंने कहा कि सीरिया में अलग किस्म की सोच है. अल-शरा ने कहा कि वह महिलाओं को शिक्षा देने में यक़ीन रखते हैं.

उन्होंने कहा, "आठ साल से इदलिब में विश्वविद्यालय हैं."

अल-शरा सीरिया के उत्तर-पश्चिमी प्रांत इदलिब की बात कर रहे था, जहाँ 2011 से विद्रोहियों का क़ब्ज़ा है.

"मेरे ख़्याल से वहाँ के विश्वविद्यालयों में महिलाओं की संख्या 60 फ़ीसदी से अधिक है."

क्या सीरिया में शराब के सेवन की अनुमति होगी? जवाब में अल-शरा ने कहा, "ऐसी कई बातें हैं, जिनके बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता क्योंकि ये क़ानून से जुड़े मसले हैं."

उन्होंने कहा, "नया संविधान लिखने के लिए एक समिति बनाई जाएगी. ये समिति ही ऐसे विषयों पर निर्णय लेगी. जो भी व्यक्ति शासक या राष्ट्रपति बनेगा, उसे इसी क़ानून का पालन करना होगा."

पूरी बातचीत के दौरान अल-शरा आराम से बैठे रहे. अल-शरा सिविलियन कपड़े में थे.

उन्होंने आश्वासन देने की कोशिश की उनके अतीत को लेकर आशंकित ना रहें.

लेकिन बहुत सारे सीरियाई उन पर यक़ीन नहीं करते.

अगले कुछ महीनों में सीरिया के नए शासकों की मंशा बताएगी कि वे सीरिया को किस तरह का देश बनाना चाहते हैं और वे इस देश पर कैसा शासन चलाना चाहते हैं.

कौन हैं अहमद अल-शरा

अहमद अल-शरा की पृष्ठभूमि क्या है?

अल-शरा अब तक अपने उपनाम अबू मोहम्मद अल-जुलानी से जाने जाते थे.

अमेरिकी प्रसारक पीबीएस ने फ़रवरी 2021 में अल-ज़ुलानी का एक इंटरव्यू किया था.

उस वक़्त जुलानी ने बताया था कि जन्म के समय उनका नाम अहमद अल-शरा था और वो सीरियाई हैं. उनका परिवार गोलान इलाक़े से आया था.

उन्होंने कहा था कि उनका जन्म सऊदी अरब की राजधानी रियाद में हुआ था, जहाँ उनके पिता काम करते थे. लेकिन वो ख़ुद सीरिया की राजधानी दमिश्क में पले बढ़े हैं.

हालांकि ऐसी भी रिपोर्टें हैं कि उनका जन्म पूर्वी सीरिया के दैर एज़-ज़ोर में हुआ था और ऐसी भी अफ़वाहें हैं कि इस्लामी चरमपंथी बनने से पहले उन्होंने डॉक्टरी की पढ़ाई की थी.

संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ की रिपोर्टों के अनुसार, उनका जन्म 1975 से 1979 के बीच हुआ था.

इंटरपोल का कहना है कि उनका जन्म 1979 में हुआ था जबकि अस-सफ़ीर की रिपोर्ट में उनका जन्म 1981 बताया गया है.

माना जाता है कि साल 2003 में अमेरिका और गठबंधन सेनाओं के इराक़ पर हुए हमले के बाद, अल शरा वहाँ मौजूद जिहादी ग्रुप अल-क़ायदा के साथ जुड़ गए थे.

अमेरिका की अगुआई वाली गठबंधन सेना ने राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन और उनकी बाथ पार्टी को सत्ता से हटा दिया था लेकिन उन्हें विभिन्न चरमपंथी समूहों से प्रतिरोध का सामना करना पड़ा.

साल 2010 में इराक़ में अमेरिकी सेना ने अल-शरा को गिरफ़्तार कर लिया और कुवैत के पास स्थित जेल कैंप बुका में बंदी बनाए रखा.

माना जाता है कि यहाँ उनकी मुलाक़ात उन जिहादियों से हुई होगी, जिन्होंने इस्लामिक स्टेट (आईएस) ग्रुप का गठन किया था.

यहां इराक़ में आगे चल कर आईएस के नेता बने अबू बक्र अल-बग़दादी से भी उनकी मुलाक़ात हुई होगी.

अल-शरा कैसे चलाते हैं अपना संगठन

अल-शरा के नेतृत्व में हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) उत्तर-पश्चिम सीरिया में इदलिब और आसपास के इलाक़ों में सक्रिय प्रमुख विद्रोही ग्रुप बन गया.

जंग से पहले इस शहर की आबादी 27 लाख हुआ करती थी. कुछ अनुमानों के अनुसार, विस्थापित लोगों के आने से एक समय शहर की आबादी 40 लाख तक पहुंच गई थी.

यह ग्रुप इदलिब प्रांत में 'सैल्वेशन गवर्नमेंट' को नियंत्रित करता है. यह स्वास्थ्य, शिक्षा और आंतरिक सुरक्षा मुहैया कराने में स्थानीय प्रशासन की तरह काम करता है.

साल 2021 में ही अल-ज़ुलानी ने पीबीएस को बताया था कि उन्होंने अल-क़ायदा की वैश्विक जिहाद वाली रणनीति का अनुसरण नहीं किया.

उन्होंने कहा था कि उनका मुख्य मक़सद सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद को सत्ता से बाहर करना था.

साल 2020 में एचटीएस ने इदलिब में अल-क़ायदा के ठिकानों को बंद कर दिया, हथियार ज़ब्त कर लिए और इसके कुछ नेताओं को जेल में डाल दिया.

इसने इदलिब में इस्लामिक स्टेट की सक्रियता पर भी अंकुश लगा दिया.

एचटीएस ने अपने नियंत्रण वाले इलाक़े में इस्लामी क़ानून लागू किया है, लेकिन अन्य जिहादी ग्रुपों के मुक़ाबले इसमें बहुत कम कड़ाई की जाती है.

हालांकि मानवाधिकार संगठनों ने एचटीएस पर जनता के विरोध-प्रदर्शनों को दबाने और मानवाधिकार उल्लंघनों का आरोप लगाया है.

अल-शरा इन आरोपों से इनकार करते रहे हैं.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.

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