दीपा करमाकर ने भारत में जिम्नास्टिक्स को दिलाई थी पहचान, अब नई भूमिका की तलाश
साल 2014 के राष्ट्रमंडल खेल. ये पहला इवेंट था जिससे दीपा करमाकर का नाम सुर्ख़ियों में आया. इस इवेंट में दीपा ने कांस्य पदक जीता था.
इसके क़रीब दो साल बाद ही साल 2016 के रियो ओलंपिक में क्वालिफ़ाई कर दीपा खेल की दुनिया में जाना-पहचाना नाम बन गईं.
ओलंपिक के लिए क्वालिफ़ाई करने वाली वो पहली भारतीय महिला जिम्नास्ट थीं,
ऐसे में पूरे देश ने उनका खेल देखा और इस इवेंट में वो फ़ाइनल में पहुंचीं और चौथे स्थान पर रहीं.
अब दीपा करमाकर ने कर दिया है.
उन्होंने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर लिखा, ''बहुत सोचने के बाद, मैंने यह निर्णय लिया है कि मैं जिम्नास्टिक्स से रिटायर हो रही हूँ. यह निर्णय मेरे लिए आसान नहीं था, पर यही सही वक़्त है.''
BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए करेंबीबीसी हिंदी संवाददाता मोहनलाल शर्मा से बातचीत में उन्होंने अपनी चुनौतियों और संन्यास लेने के समय के बारे में बताया.
31 साल की दीपा करमाकर ने जब पहली बार जिम्नास्टिक प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था, तब उनके पास न जूते थे और न ही प्रतियोगिता में पहनने के लिए कॉस्ट्यूम था.
दीपा ने जो उधार का कॉस्ट्यूम लिया था, वह उन पर पूरी तरह से फ़िट भी नहीं हो रहा था.
लेकिन ये सब परेशानियाँ उनके इरादों के सामने छोटी निकलीं. दीपा दुनिया की उन चुनिंदा महिला खिलाड़ियों में से एक हैं, जो सफलतापूर्वक प्रोडूनोवा वॉल्ट कर पाती हैं.
उन्होंने 2014 के राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य जीतने के बाद कई पदक अपने नाम किए.
अब से कुछ महीने पहले ही उन्होंने एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड हासिल किया है.
बीबीसी हिंदी से बातचीत में उन्होंने कहा कि ये गोल्ड जीतने के बाद उन्हें लगता है कि ''अब ये संन्यास का सही वक़्त है.''
दीपा कहती हैं, "मैंने एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था. ओलंपिक में मैं नहीं जा पाई, क्योंकि वर्ल्ड चैंपियनशिप में मैंने भाग नहीं लिया था. मुझे लगता है कि इस गोल्ड मेडल को जीतने के बाद अब मेरा रिटायर होने का सही वक़्त है."
दीपा करमाकर ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा, ''मेरी आख़िरी जीत एशियन जिम्नास्टिक्स चैंपियनशिप ताशकंद में हुई, जो एक टर्निंग पॉइंट था, क्योंकि तब तक मुझे लगा कि मैं अपनी बॉडी को और पुश कर सकती हूं, लेकिन कभी-कभी हमारी बॉडी हमें बताती है कि अब आराम का समय आ गया है, लेकिन दिल अभी भी नहीं मानता.''
''सपाट पैर और परेशानियाँ''जन्म से दीपा के पैर सपाट (फ्लैट फीट) थे और विशेषज्ञों के मुताबिक़ ये जिम्नास्टिक जैसे खेल के लिए बड़ी बाधा है. इससे छलांग के बाद ज़मीन पर लैंड करते वक़्त संतुलन बनाने में बड़ी बाधा आती है.
लेकिन कड़े अभ्यास और दृढ़ निश्चय के बलबूते दीपा ने अपनी इस कमी को अपने प्रदर्शन में आड़े आने नहीं दिया.
बीबीसी हिंदी से बातचीत में वो कहती हैं, ''मेरे 25 साल के करियर में मैंने देखा है कि कभी हार नहीं मानना है, जो नामुमकिन हो उसे मुमकिन करके दिखाना चाहिए.''
सोशल मीडिया अकाउंट पर वो लिखती हैं, ''मुझे वो पांच साल की दीपा याद आती है, जिसको कहा गया था कि उसके फ्लैट फीट की वजह से वो कभी जिम्नास्ट नहीं बन सकती. आज, मुझे अपनी उपलब्धियों को देखकर बहुत गर्व होता है. भारत को वर्ल्ड स्टेज पर रिप्रेजेंट करना और मेडल्स जीतना, और सबसे ख़ास, रियो ओलंपिक्स में प्रोडूनोवा वॉल्ट परफॉर्म करना, मेरे करियर का सबसे यादगार पल रहा है. आज, मुझे उस दीपा को देखकर बहुत ख़ुशी होती है क्योंकि उसने सपने देखने की हिम्मत रखी.''
करमाकर की मुश्किलें तब बढ़ गईं, जब अक्तूबर 2021 में हुए एक डोप टेस्ट में वो फ़ेल हो गईं.
फरवरी, 2023 में इस पर फ़ैसला आया और उन पर 21 महीने का प्रतिबंध लगाया गया था.
उस वक़्त कि उन्होंने ''अनजाने में एक प्रतिबंधित पदार्थ का सेवन किया था.''
Getty Images पद्मश्री से सम्मानित होती दीपा करमाकर (फाइल फोटो, 2017)जुलाई, 2023 में ये प्रतिबंध ख़त्म हुआ और इसके अगले ही साल यानी मई 2024 में दीपा ने शानदार वापसी करते हुए एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड हासिल किया.
जिम्नास्ट से प्यार करने वाली दीपा का कहना है कि जिम्नास्टिक्स से उनका कनेक्शन कभी नहीं टूटेगा.
वो लिखती हैं, ''भले ही मैं रिटायर हो रही हूं, लेकिन जिम्नास्टिक्स से मेरा कनेक्शन कभी नहीं टूटेगा. मैं चाहती हूं कि मैं इस खेल को कुछ वापस दे सकूं- यद मेंटर, कोच, मेरे जैसे औरबाक़ी लड़कियों को सपोर्ट करके.''
संन्यास के एलान में वो अपने कोच बिश्वेश्वर नंदी और सोमा को भी धन्यवाद कहती हैं.
दीपा को देश का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री मिल चुका है. वो अर्जुन अवॉर्ड, खेल रत्न अवॉर्ड समेत कई पुरस्कार अपने नाम कर चुकी हैं.
दीपा ने भले ही संन्यास ले लिया हो लेकिन भारत में जब भी जिम्नास्टिक की बात आएगी, दीपा का नाम पूरे सम्मान से लिया जाएगा.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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