रूस से तेल ख़रीदने पर भारत के ख़िलाफ़ यूएस के 500 फ़ीसदी टैरिफ़ की चर्चा

Hero Image
Getty Images बाइडन प्रशासन भी चाहता था कि भारत रूस से तेल ख़रीदना बंद करे

अमेरिका में पिछले कुछ महीनों से रूस से कच्चा तेल ख़रीदने वाले देशों पर 500 फ़ीसदी टैरिफ़ लगाने की चर्चा हो रही थी.

बीते अप्रैल में रिपब्लिकन नेता और सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने इससे संबंधित एक्ट अमेरिकी कांग्रेस में प्रस्तावित किया था.

अब विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि इससे हमारे हित प्रभावित हो सकते हैं और हम लगातार सीनेटर ग्राहम के संपर्क में हैं.

अमेरिकी न्यूज़ चैनल एबीसी न्यूज़ से बातचीत में अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने कहा, "अगर कोई देश रूस से चीज़ें ख़रीदता है लेकिन यूक्रेन की मदद नहीं करता तो अमेरिका में उस देश से आने वाले सामान पर 500% टैरिफ़ लगाया जाएगा. भारत और चीन, पुतिन का 70 प्रतिशत तेल ख़रीदते हैं और यही उनकी युद्ध मशीन को चालू रखता है. मेरे बिल को अब तक 84 सांसदों का समर्थन मिल चुका है."

लिंडसे ग्राहम का कहना है, "यह बिल राष्ट्रपति को अधिकार देगा कि वो भारत, चीन और दूसरे देशों पर टैरिफ़ लगाएं ताकि वे पुतिन की युद्ध नीति का समर्थन करना बंद करें और उसे बातचीत की मेज़ पर लाया जा सके."

यूक्रेन पर रूस के हमले बाद पश्चिमी देशों ने रूस के ख़िलाफ़ कड़े प्रतिबंध लगाए थे. ये प्रतिबंध अब भी जारी हैं. पश्चिम के देश चाहते थे कि भारत भी रूस से व्यापार बंद करे लेकिन युद्ध के दौरान भारत का रूस से कारोबार रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ा है.

पिछले तीन सालों में भारत रूसी तेल के शीर्ष ख़रीदारों में से एक देश बन गया है. युद्ध शुरू होने से पहले भारत के कुल कच्चे तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी दो फ़ीसदी से भी कम थी, जो बढ़कर लगभग 40 फ़ीसदी तक हो गई है.

अमेरिकी कांग्रेस में प्रस्तावित किया गया रूस प्रतिबंध अधिनियम, 2025, अगर लागू होता है तो रूसी तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम उत्पाद या यूरेनियम ख़रीदने वाले देशों से आयात पर 500 फ़ीसद टैरिफ़ लगेगा.

इसका सीधा असर भारत और चीन जैसे एशियाई देशों पर होगा. भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक और उपभोक्ता है. भारत विदेशों से क़रीब 51 लाख बैरल प्रति दिन कच्चा तेल ख़रीदता है, जिसे रिफ़ाइनरियों में पेट्रोल एवं डीज़ल जैसे ईंधन में बदला जाता है.

Newspoint
Getty Images अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम प्रस्तावित विधेयक में क्या है?

रूस प्रतिबंध अधिनियम, 2025 अमेरिकी कांग्रेस में एक प्रस्तावित विधेयक है. इसका उद्देश्य यूक्रेन पर जारी रूसी आक्रमण और शांति वार्ता में शामिल होने से रूस के इनकार के जवाब में रूस से कच्चा तेल और गैस जैसी महत्वपूर्ण चीज़ें ख़रीदने वाले देशों पर बड़े पैमाने पर नए प्रतिबंध लगाना है.

इसे अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने अप्रैल 2025 में सीनेट में पेश किया था. यह विधेयक अभी अमेरिकी सीनेट में विचाराधीन है. इसे पारित करने के लिए बहुमत और फिर राष्ट्रपति की मंज़ूरी चाहिए.

ग्राहम का दावा है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने उनसे इस बिल को आगे बढ़ाने के लिए कहा है.

वो कहते हैं, "हम ट्रंप को एक ऐसा उपकरण देना चाहते हैं जो अभी उनके पास नहीं है. जुलाई के बाद हम यह बिल पास करेंगे और राष्ट्रपति इसे साइन करेंगे. इस बिल में एक 'छूट' का प्रावधान भी है, जिसे लागू करना राष्ट्रपति के हाथ में होगा."

ग्राहम का कहना है कि हमारा मक़सद है पुतिन को बातचीत के लिए मजबूर करना.

Newspoint
Getty Images चीन के बाद भारत रूसी तेल का सबसे बड़ा ख़रीदार है भारत पर क्या असर होगा?

जब विदेश मंत्री एस. जयशंकर से पूछा गया कि अमेरिका रूस से तेल आयात पर 500 प्रतिशत टैक्स लगाने की योजना बना रहा है, तो उन्होंने कहा, "सीनेटर लिंडसे ग्राहम के बिल को लेकर बात करें, तो अगर अमेरिकी कांग्रेस में कुछ ऐसा हो रहा है जिससे हमारे हित प्रभावित हो सकते हैं, तो वह हमारे लिए अहम है. हम लगातार सीनेटर ग्राहम के संपर्क में हैं. हमारी एंबेसी और राजदूत भी उनसे संपर्क में हैं.

"हमने उनसे ऊर्जा और सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं साफ़ बताई हैं. अब अगर यह मुद्दा हमारे सामने आता है, तो उस समय हम उसके अनुसार क़दम उठाएंगे."

2022 के बाद भारत रूसी तेल का एक प्रमुख ख़रीदार बन गया है. मई 2025 में भारत ने रूस से लगभग 19.6 लाख बैरल प्रति दिन (बीपीडी) कच्चा तेल आयात किया जो पिछले दस महीनों का उच्चतम स्तर था.

वैश्विक व्यापार विश्लेषक कंपनी केपलर के शुरुआती आँकड़ों से पता चलता है कि भारतीय रिफ़ाइनरी कंपनियाँ जून में रूस से प्रतिदिन 20 से 22 लाख बैरल प्रति दिन कच्चा तेल ख़रीद रही हैं.

यह दो साल का सबसे ऊँचा आँकड़ा है. इसके साथ ही यह इराक़, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और कुवैत से ख़रीदी गई कुल मात्रा से अधिक है.

भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल इसे रूस पर दबाव बनाने के लिए अमेरिका की एक रणनीति की तरह देखते हैं.

कंवल सिब्बल कहते हैं, "यह लिंडसे ग्राहम हैं, जिन्हें आप जानते हैं कि वे युद्धोन्मादी प्रवृत्ति वाले व्यक्ति हैं. कुछ दिन पहले पुतिन ने ट्रंप के बारे में सकारात्मक टिप्पणी की थी. यह भी कहा था कि दोनों देशों के स्टेट डिपार्टमेंट एक-दूसरे से बातचीत कर रहे हैं और कुछ आर्थिक आदान-प्रदान की दिशा में क़दम बढ़ाया जा रहा है. साफ़ है, पर्दे के पीछे हालात इतने ख़राब नहीं हैं, जितने अभी दिख रहे हैं. इस मामले में अभी कई तरह के 'अगर' और 'मगर' हैं. इसलिए, मुझे लगता है कि जयशंकर सही कह रहे हैं कि हम मुद्दे के हिसाब से क़दम उठाएंगे."

थिंक टैंक सेंटर फ़ॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर के डेटा से पता चलता है कि प्रतिबंधों के बाद से मई 2025 तक भारत रूसी कोयला और कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा ख़रीदार है. शीर्ष पर चीन मौजूद है.

पाँच दिसंबर 2022 से मई 2025 के अंत तक, चीन ने रूस के कुल कच्चे तेल के निर्यात का 47 फ़ीसदी और भारत ने 38 फ़ीसदी ख़रीदा है.

  • ट्रंप ने पीएम मोदी के सामने जिस रेसिप्रोकल टैरिफ की बात कही, उससे भारत पर क्या असर होगा?
  • टैरिफ़ वॉर: चीन और कनाडा पर ट्रंप का टैरिफ़ लगाना क्या भारत के लिए मौक़ा है?
Newspoint
Getty Images पुतिन का कहना है कि प्रतिबंधों के बावजूद रूस की अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है पश्चिम के प्रतिबंध और रूस की प्रतिक्रिया

यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाने शुरू किए और समय के साथ ये और अधिक कड़े हो गए. यह प्रतिबंध रूस की वित्तीय, ऊर्जा और डिफ़ेंस सिस्टम को प्रभावित करते हैं.

पश्चिमी देशों ने कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि उनके प्रतिबंध राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को यूक्रेन में शांति स्थापित करने के लिए मजबूर करेंगे जबकि रूस का कहना है कि केवल तर्क और सही दलील ही रूस को बातचीत के लिए मजबूर कर सकते हैं.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जून के आख़िरी हफ़्ते में कहा था कि अगर यूरोपीय संघ रूस पर और प्रतिबंध लगाता है, तो उसका नुक़सान यूरोप को ही ज़्यादा होगा. उन्होंने बताया कि साल 2024 में रूस की अर्थव्यवस्था 4.3% की दर से बढ़ी जबकि यूरो ज़ोन की अर्थव्यवस्था सिर्फ़ 0.9% बढ़ी.

भारत के लिए यह दौर चुनौतीपूर्ण है-उसे सस्ती ऊर्जा की ज़रूरत भी है और पश्चिमी प्रतिबंधों का पालन भी करना है. ऐसे में उसका रुख़ अब तक सावधानी और संतुलन का रहा है.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, एक्स, इंस्टाग्राम, और व्हॉट्सऐप पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

  • ट्रंप चाहते हैं कि भारत अमेरिका से खरीदे अनाज, पर क्यों नहीं है ये मुमकिन?
  • ट्रंप ने स्टील और एल्यूमीनियम पर लगाया 25% टैरिफ़, भारत पर क्या असर और किस देश को मिल सकती है छूट
Newspoint