एशियन चैंपियंस ट्रॉफ़ी में भारत की मलेशिया पर 8-1 से जीत का क्या मतलब है?
भारत ने पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर अपना जो क़द बनाया है, उसे वह एशियाई चैंपियंस ट्रॉफ़ी हॉकी चैंपियनशिप में बनाए रखने में सफल रहा है.
उन्होंने मलेशिया को 8-1 से फ़तह करके लगातार तीसरी जीत से अपना सेमीफाइनल में स्थान पक्का कर लिया है.
भारत ने अब तक खेले तीनों मैच जीतकर नौ अंक बनाए हैं. छह टीमों की राउंड रॉबिन लीग में पहले चार स्थानों पर रहने वाली टीमों को सेमीफाइनल में स्थान मिलना है.
जापान और मलेशिया की टीमें तीन-तीन मैच खेलकर एक-एक अंक ही बना सकी हैं. इस कारण इन दोनों का अब भारत से आगे निकलना संभव नहीं है.
BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें भारतीय जीत के हीरो राजकुमार पालयूपी के ग़ाज़ीपुर ज़िले से ताल्लुक रखने वाले राजकुमार पाल ने वैसे तो अपनी काबिलियत पेरिस ओलंपिक के दौरान ही दिखा दी थी. पर मलेशिया के ख़िलाफ़ इस भारतीय मिडफील्डर का जलवा खूब देखने को मिला.
सही मायनों में उन्होंने मलेशिया के डिफेंस की ग़लतियों का फ़ायदा उठाकर अपनी हैट्रिक पूरी की.
राजकुमार पाल ने तीसरे क्वार्टर के तीसरे मिनट यानी 33वें मिनट में मलेशियाई गोलकीपर से रिबाउंड हुई गेंद पर कब्ज़ा जमाकर उसे गोल में डालकर अपनी हैट्रिक पूरी की. उन्होंने पहले क्वार्टर में भारत के लिए गोल जमाने की शुरुआत करने के बाद 25वें मिनट में भी रिबाउंड पर ही दूसरा गोल जमाया.
भारतीय गोल वर्षा में कप्तान हरमनप्रीत सिंह और जुगराज सिंह के शामिल रहने के बावजूद यंग ब्रिगेड का अहम योगदान होने से यह साफ है कि भारत की दूसरी पंक्ति भी अब ज़िम्मेदारी निभाने को तैयार है.
मुख्य कोच क्रेग फुल्टोन जिस तरह से युवाओं को आज़माकर उन्हें अनुभव दिला रहे हैं, उससे लगता है कि वह अगली अहम परीक्षा तक हर स्थान के लिए कम से कम दो खिलाड़ी तैयार कर देंगे और ऐसा होना टीम के लिए बहुत ही लाभदायक रहने वाला है.
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मलेशिया के कप्तान मरहान जलील ने मैच से पहले रक्षात्मक अंदाज़ में खेलने की बात कही थी. पर टीम ने इसके विपरीत हमलावर रुख़ से बढ़त लेने का प्रयास किया. पर भारतीय टीम ने एक-दो मिनट जमने में लगाया और फिर पहले छह मिनट में तीन गोल जमाकर अपनी श्रेष्ठता साबित कर दी.
मलेशिया का डिफेंस अभी सेटल भी नहीं हो पाया था कि राजकुमार पाल ने तीसरे मिनट में भारत के लिए पहला गोल जमा दिया. वह उम्दा स्टिकवर्क से मलेशियाई डिफेंडरों को छकाते हुए दाहिने छोर से सर्किल में घुसे और रिवर्स फ्लिक से गेंद को गोल में डाल दिया.
भारत ने इस मुकाबले में अपने युवा स्ट्राइकरों के साथ शुरुआत की और उन्होंने बेहतरीन तालमेल से मलेशिया के डिफेंस को एकदम से छितरा दिया. सही मायनों में उनके डिफेंडरों को समझ में ही नहीं आ रहा था कि भारतीय हमलों को किस तरह से रोकें.
मलेशिया के डिफेंस में बनी दरारों का फायदा उठाकर अराइजीत सिंह हुंडल ने छठे मिनट में दूसरा और इसके तत्काल बाद जुगराज सिंह ने पहले पेनल्टी कॉर्नर पर गोल करके बढ़त को 3-0 कर दिया.
अराइजीत सिंह हुंडल और उत्तम सिंह दोनों ही कुछ समय पहले तक जूनियर टीम के हिस्सा रहे थे.
उनका पिछले कुछ समय से भारतीय मुख्य कोच क्रेग फुल्टोन ने उपयोग किया है और उन्होंने मिले मौकों का जिस तरह से उपयोग किया है.
उससे लगता है कि अब उनका ग्रेजुएशन हो गया है और वह मुश्किल मुकाबलों में भी भारत के लिए ज़िम्मेदारी संभालने की क्षमता रखते हैं.
अराइजीत सिंह हुंडल को तो मैच में दो गोल जमाने के लिए हीरो ऑफ द मैच भी चुना गया. अराइजीत को इस सम्मान के लिए चुने जाने की प्रमुख वजह उनके दोनों गोल बेहद उम्दा होना था.
इस मैच में हुंडल और उत्तम दोनों ने अपने प्रदर्शन से प्रभावित करते हुए भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई. हुंडल ने दो और उत्तम ने एक गोल जमाया. इन गोलों के अलावा भारतीय हमलों में पैनापन लाने में दोनों की गति की भूमिका भी अहम रही.
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मलेशिया इस बार पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालिफाई नहीं कर सकी थी, इस कारण हॉकी मलेशिया ने सीनियर और जूनियर टीमों को भंग करके नए कोच सरजीत कुंदन को युवा खिलाड़ियों की टीम सौंपी थी. पर यह टीम पिछले दिनों अज़लान शाह कप और नेशंस कप में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी.
मलेशिया के कप्तान मारहन जलील का कहना है, "...... हालात मुश्किल हैं पर टीम पुर्नगठित होने का प्रयास कर रही है. अभी खिलाड़ी यह समझने का प्रयास कर रहे हैं कि कोच क्या चाहते हैं......"
चेन्नई में पिछले साल खेली गई इस चैंपियनशिप का फाइनल भारत और मलेशिया के बीच खेला गया था.
भारत ने यह मुकाबला जीतकर अपने को चैंपियन ज़रूर बनाया था पर उसे 4-3 से जीत पाने में पसीने छूट गए थे. पर मौजूदा मलेशिया टीम उस प्रदर्शन के आसपास भी नहीं है. यह सही है कि वह टीम को एकदम से युवाओं में भरोसा करके बना रही है. इसलिए उसे हारों से विचलित हुए बगैर अपने प्रदर्शन में लगातार सुधार के प्रयास करने होंगे.
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मलेशिया पिछले कुछ समय में जिस तरह से खेल रही है, उसे भारत को फ़तह करने की उम्मीद कतई नहीं रही होगी. पर भारतीय गोल की झड़ी के बीच एक गोल जमा लेना भी किसी हद तक सांत्वना दिलाने वाला साबित हो सकता है.
खेल के 34वें मिनट में मलेशियाई डिफेंस ने लंबे स्कूप से गेंद को भारतीय सर्किल पर फेंका और वहां मौजूद अखिमुल्ला ने भारतीय डिफेंस को गच्चा देकर गेंद को गोल में डालकर भारतीय टीम को अचंभित कर दिया.
भारत के तीसरे क्वार्टर तक 8-1 की बढ़त बना लेने के बाद लग रहा था कि वह दो अंकों वाली जीत पा सकती है. पर मलेशिया के डिफेंस ने आखिरी क्वार्टर में जमकर संघर्ष किया और भारतीय हमलों को थामने में भी अच्छा प्रदर्शन किया. उन्होंने अगर शुरुआती दौर में भी ऐसा ही प्रदर्शन किया होता तो शायद उन्हें इतनी बड़ी हार का सामना नहीं करना पड़ता.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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