चीन जाने के लिए पाकिस्तानी हॉकी टीम को उधार के टिकट लेने पड़े
क्या आपने कभी यह सुना है कि किसी देश के राष्ट्रीय खेल की टीम विदेश मैच खेलने जाए मगर उनके सफ़र के ख़र्च और टिकट के लिए उधार लेना पड़े?
यह पाकिस्तान के राष्ट्रीय खेल हॉकी और उसके खिलाड़ियों की एशियाई चैंपियंस ट्रॉफ़ी 2024 खेलने के लिए चीन दौरे की बात है.
एक समय था, जब पाकिस्तान के राष्ट्रीय खेल हॉकी को मीडिया की सुर्ख़ियों में जगह मिला करती थी, लेकिन आज स्थिति बिल्कुल उलट है.
यही वजह है कि पाकिस्तान की हॉकी टीम के इस हाल में विदेशी दौरा करने के बारे में सोशल मीडिया पर पढ़ा तो उसकी जानकारी के लिए हमने पाकिस्तान हॉकी फ़ेडरेशन के अध्यक्ष तारिक़ हुसैन बुगटी से संपर्क किया.
तारिक़ हुसैन बुगटी ने इस बात की पुष्टि की है कि चीन में होने वाली एशियाई चैंपियंस ट्रॉफ़ी के लिए पाकिस्तान की हॉकी टीम चीन की हवाई कंपनी के साथ उधार टिकट पर रवाना हुई, लेकिन उनका कहना है कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि टीम के पास विदेश जाने के लिए फंड ना हो और उनकी अदायगी बाद में की गई हो.
दूसरी ओर पाकिस्तान स्पोर्ट्स बोर्ड का कहना है कि संस्था ने वीज़ा फ़ीस, ठहरने और खिलाड़ियों के सफ़र ख़र्च के लिए ज़रूरी रक़म अदा करने का वादा किया है जो कार्रवाई पूरी होते ही अदा कर दी जाएगी.
पाकिस्तान के राष्ट्रीय खेल को किन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और नौबत यहाँ तक कैसे पहुंची? इस पर बात आगे चलकर करेंगे लेकिन संक्षेप में यह जान लेते हैं कि उधार पर सफ़र की कहानी क्या है.
चैंपियंस ट्रॉफ़ी में शामिल होने के लिए हॉकी टीम के जाने के बारे में पीटीवी की स्पोर्ट्स एंकर रोहा नदीम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “पाकिस्तान हॉकी टीम एशियन चैंपियंस ट्रॉफ़ी में शामिल होने के लिए उधार के टिकट पर चीन रवाना हुई. केवल चार महीने पहले अज़लान शाह कप में रनर अप रही टीम के लिए सरकारी स्तर पर और स्टेक होल्डर की ओर से जश्न मनाया जा रहा था.”
मई 2024 में पाकिस्तान ने अज़लान शाह कप में जापान के साथ फ़ाइनल में कांटे का मुक़ाबला किया था जिसमें टीम और उसके खेल को बेहद सराहा गया था.
पाकिस्तान ने आख़िरी बार अज़लान शाह कप 2003 में जीता था, जब उसने फ़ाइनल में जर्मनी को हरा दिया था. पाकिस्तान को 2011 के अज़लान शाह कप फ़ाइनल में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ 2-3 से हार का सामना करना पड़ा था. सन 2022 में पाकिस्तान ने अज़लान शाह कप में तीसरी पोज़िशन हासिल की थी.
पाकिस्तान हॉकी फ़ेडरेशन के अध्यक्ष तारिक़ हुसैन बुगटी ने बीबीसी को बताया, “हमारे मैच चीन में आठ से 17 सितंबर के बीच होने हैं. समय से पहले टीम को भेजने का मक़सद था कि टीम वहां जाकर कुछ मैच खेले और ख़ुद को वहां के हालात में आने वाले मुक़ाबले के लिए तैयार करे.”
“हमने सरकार से कहा तो हमें प्रेजिडेंट हाउस की ओर से सकारात्मक जवाब मिला, लेकिन ब्यूरोक्रेसी की ओर से रुकावट नज़र आई और चीज़ें समय पर नहीं हुईं.”
तारिक़ हुसैन बुगटी ने कहा, “हमने लेटर लिखा, पाकिस्तान स्पोर्ट्स बोर्ड को विश्वास में लिया. फिर प्रैक्टिस मैचों के लिए कैंप लगाया.”
उन्होंने बताया, “मेरे बनाए गए शेड्यूल के अनुसार, जब बच्चों (खिलाड़ियों) के जाने का समय आया तो इससे दो दिन पहले कहा गया कि सॉरी, आप अपने पास से इंतज़ाम करके खिलाड़ियों को भेज दें. फिर हम आपको 10 से 15 दिन में पैसे दे देंगे.”
हॉकी फ़ेडरेशन के अध्यक्ष ने दावा किया कि यह पहली बार नहीं हुआ बल्कि पाकिस्तान स्पोर्ट्स बोर्ड का यह पुराना रवैया है.
उन्होंने कहा, “यह राष्ट्रीय खेल है. अगर इस पर विशेष ध्यान ना दिया गया तो गेम नहीं उठ पाएगा. हॉकी फ़ेडरेशन का अपना ग्राउंड तक नहीं है. जब खिलाड़ियों को खेलना होता है तो हम पाकिस्तान स्पोर्ट्स बोर्ड को ख़त लिखते हैं.”
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BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें “जैसे ही प्रक्रिया पूरी होगी, अदायगी कर दी जाएगी”दूसरी और पाकिस्तान स्पोर्ट्स बोर्ड के अधिकारी मोहम्मद शाहिद ने बीबीसी को बताया है कि चैंपियंस ट्रॉफ़ी में टीम के भेजने की प्रक्रिया जैसे ही पूरी होगी उनको अदायगी कर दी जाएगी.
“जो बजट उन खिलाड़ियों के सफ़र ख़र्च पर आएगा वह लगभग ढाई करोड़ पाकिस्तानी रुपये का है, जिसमें उनके एयर टिकट, वीज़ा फ़ीस और रहने का ख़र्च शामिल है.”
उनके अनुसार, जून के महीने में हॉकी फ़ेडरेशन को 10 करोड़ की ग्रांट दी गई, जिसमें से फ़िलहाल खिलाड़ियों के सफ़र के ख़र्च किए जाएंगे और जैसे ही मंज़ूरी मिलेगी, वह रक़म उनको अदा कर दी जाएगी.
उनके अनुसार, ऐसा नहीं कि यह ख़र्च किसी एक व्यक्ति पर डाला गया हो बल्कि फ़ेडरेशन के अपने स्पॉन्सर और आमदनी के दूसरे माध्यम हैं.
हॉकी फ़ेडरेशन के अध्यक्ष का यह भी दावा है कि भारत सरकार अपनी हॉकी टीम पर तीन अरब रुपये ख़र्च कर रही है और उनकी रैंकिंग पांचवें- छठे नंबर पर आ गई है जबकि पाकिस्तान हॉकी टीम पिछले पांच महीने में 17 से 15 नंबर तक आने में कामयाब हुई.
DAWN रोम ओलंपिक में पाकिस्तान ने हॉकी का पहला गोल्ड मेडल जीता था पाकिस्तान में हॉकी की अनदेखीपाकिस्तान हॉकी टीम के पूर्व खिलाड़ी हसन अब्बास से बीबीसी ने इस मामले पर बात करने के लिए संपर्क किया तो उन्होंने उधार और फंड के मामले पर बात करने से मना कर दिया लेकिन जब सवाल किया गया कि टीम के हौसले और टैलेंट का क्या होगा तो हसन अब्बास ने कामयाबी को मेहनत के साथ जोड़ा.
उन्होंने कहा कि मेहनत इस यक़ीन के साथ की जाए कि उसका फल मिलेगा और ईमानदारी से मेहनत की जाए तो उससे क़ाबिलियत आती है और कामयाबी ख़ुद मिल जाती है.
आख़िर राष्ट्रीय खेल होने के बावजूद क्रिकेट के मुक़ाबले में हॉकी की ओर युवा क्यों रुख़ नहीं करते?
इस सवाल के जवाब में हसन अब्बास ने कहा कि अगर हॉकी का वैसे ही समर्थन किया जाए जैसे दूसरे खेलों का किया जाता है, तब ही युवा इस खेल में आएंगे.
एशियाई चैंपियंस ट्रॉफ़ी 2024 में पाकिस्तानी टीम के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, “मेहनत करें. देश के लिए काम करें. कहीं भी मौक़ा मिले वहां से सीखें.”
ध्यान रहे कि सन 1960 में हुए रोम ओलंपिक में पाकिस्तान ने हॉकी में पहला गोल्ड मेडल जीता था जिसने हॉकी को पाकिस्तान का राष्ट्रीय खेल बना दिया.
ओलंपिक गोल्ड मेडल जीत कर पाकिस्तान टीम जब देश वापस आई तो राष्ट्रपति जनरल अय्यूब ख़ान ने कराची में चैंपियन टीम को दावत दी थी. इस मुलाक़ात में उन्होंने हॉकी को राष्ट्रीय खेल का दर्जा देने की औपचारिक घोषणा की थी.
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