इंसानों को साथ मिलकर दावत करने की ज़रूरत क्यों महसूस होती है?

Hero Image
Getty Images साथ बैठकर खाना इंसानों को पसंद आता है

इंसान हज़ारों साल से छोटे समूहों में इकट्ठा होकर दावत करता रहा है, लेकिन यह ज़रूरी क्यों है? हम आज भी इस परंपरा को क्यों निभा रहे हैं?

हमें दोस्तों के साथ बाहर जाकर भोजन करना, पार्टी करना और साथ मिलकर छुट्टियां मनाना अच्छा लगता है. ऐसे मौक़े पर हम ज़्यादा खाना खाते हैं.

खाना बांटकर खाना बहुत ही सामान्य बात है और इस पर शायद ही कभी कोई टिप्पणी करता है.

ऐसा केवल उस मौक़े पर होता है जब लोगों को यह लगे कि भोजन पर्याप्त नहीं है.

फ़ैमिली डिनर में शामिल होने से इनकार करने की बात एक पल के लिए तनाव देने वाली होती है. हालाँकि, ऐसे भी कुछ प्रमाण हैं, जो यह बताते हैं कि ऐसी चिंताएं आधुनिक चलन का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि ये सौ साल पुरानी हैं.

साथ बैठकर खाना केवल एक सामान्य बात नहीं है, बल्कि यह इंसानों में गहराई तक समाई हुई है. मगर क्यों?

BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए
करें बांटकर खाना इंसानों से अस्तित्व से भी पुरानी बात

बांटकर खाने की जो आदत है, वो इंसानी प्रजाति की उत्पत्ति से भी पहले की बात है. जैसे- चिम्पांज़ी और बोनोबो हमारे सबसे क़रीबी प्रारंभिक रिश्तेदार माने जाते हैं.

जीव विज्ञानियों ने अपने अध्ययन में पाया है कि समूहों के साथ बांटकर खाना उनकी भी आदत में शुमार रहा है.

हालांकि जो आपके क़रीबी हैं, उनको भोजन देना, साथ मिलकर खाना खाने जैसी बात नहीं है. यह कहना है स्वीडन की अपसाला यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्री निकलस न्यूमैन का.

न्यूमैन कहते हैं, "आप किसी के साथ बैठे बिना भी उनको भोजन दे सकते हैं, लेकिन वास्तव में किसी के साथ बैठकर भोजन करना अलग बात है."

उनका कहना है कि ऐसा लगता है कि मनुष्यों ने इस काम में कई तरह की सामाजिक परतें जोड़ दी हैं.

ऐसा अनुमान है कि पहली बार कैंपफायर में बांटकर खाना खाया गया होगा. हालांकि, कोई भी इस बात को पूरे यकीन के साथ नहीं कह सकता कि इंसानों ने या उनके पूर्वजों ने खाना बनाना कब सीखा था.

साथ भोजन करना किस बात की निशानी? Getty Images चिम्पांज़ी और बोनोबो में भी साथ बैठकर खाने की आदत देखी गई है

मगर एक दावा यह किया जाता है कि मानव ने 18 लाख साल पहले खाना बनाना सीख लिया था. मगर, जब किसी को शिकार करने या खाना इकट्ठा करने में दिक्कतें आई होंगी, तो फिर उन्होंने साथ मिलकर आग जला कर खाना पकाया होगा.

यह बताता है कि उनका भी एक सामाजिक समूह हुआ करता होगा, जो इस प्रक्रिया में हर पड़ाव पर एक-दूसरे की मदद करता होगा.

रॉबिन डनबर ब्रिटेन में ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के बायोलॉजिकल एंथ्रोपोलॉजिस्ट हैं. उनका मानना है कि कैंप फायर में एक बार जब आप सभी आग के इर्द-गिर्द बैठ जाते हैं, तो माहौल में एक गर्मजोशी सी भर जाती है. दिन के ये कुछ अतिरिक्त घंटे आपके लिए साथ बैठकर खाना खाने के अलावा सामाजिक संबंधों को मजबूत बनाने का एक सुनहरा अवसर हो सकता है.

इसकी उत्पत्ति को लेकर जो भी जानकारियां उपलब्ध हो, लेकिन साथ बैठकर खाना बेहतरी से ही जुड़ा है. डनबर ने साल 2017 में हुई एक स्टडी का हवाला दिया, जिसमें ब्रिटेन में रह रहे लोगों से पूछा गया था कि वो कब-कब दूसरों के साथ मिलकर भोजन करते हैं?

दरअसल, दूसरों के साथ मिलकर भोजन करना जीवन में बेहतर आत्मसंतोष और ज़्यादा दोस्त होने से जुड़ा मामला है. इसमें एक संभावना बनती है कि आपको दोस्तों का ज्यादा सहयोग मिल सकता है.

डनबर ने इसका स्टेटिस्टिकल अध्ययन भी किया. इसका निष्कर्ष यह निकला कि साथ मिलकर भोजन करना इसके परिणाम से ज्यादा सामाजिक प्रभाव से जुड़ा मामला है.

डनबर कहते हैं, "खाना दिमाग़ में एंडोर्फ़िन सिस्टम को सक्रिय कर देता है. मानव और उनके अग्रज रिश्तेदारों के बीच संबंध की एक मुख्य वजह यह भी है."

वह कहते हैं, "साथ बैठकर खाना खाने से बिल्कुल उसी तरह एंडोर्फ़िन सिस्टम बूस्ट हो जाता है, जैसे साथ मिलकर दौड़ लगाने से होता है. क्योंकि, इस तरह की गतिविधियां एंडोर्फिन के उत्पादन को दोगुना बढ़ा देती है."

पत्रकार सिंथिया ग्रेबर और निकोला ट्विली ने जब उनके पॉडकास्ट गेस्ट्रोपॉड पर इस विषय के बारे में जांच की तो उन्होंने पाया कि एक ही समय में एक ही चीज़ को किसी और के साथ मिलकर खाना ज्यादा विश्वसनीय लगता है.

इसके लिए उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ़ शिकागो बूथ स्कूल ऑफ़ बिज़नेस के एलेट फिशबेक का इंटरव्यू किया था.

फिशबेक का मानना है कि पहले के समय में कुछ लोगों के स्वाद में समानता आज के समय में इस बात का प्रमाण माना जा सकता है कि उनके मूल्य भी समान हैं.

साथ खाने में असहमति Getty Images अध्ययन में पाया गया है कि दूसरों के साथ मिलकर भोजन करना जीवन में बेहतर आत्मसंतोष और ज़्यादा दोस्त होने से जुड़ा मामला है.

हालांकि, साथ बैठकर खाना लगातार किया जाने वाला कोई सकारात्मक कार्य नहीं है. दावत, जहां खाना बांटा जाता है, वो बड़े स्तर पर किया गया नियंत्रण जैसा भी है.

जैसे; आप फसल की परंपरा के बारे में सोचिए, जिसमें ज़मीन मालिक अपने मज़दूरों को भोजन उपलब्ध करवाता था.

हालांकि, सामान्य परिवारों में मिलकर किया जाने वाला भोजन कितना भी अच्छा माना जाए, लेकिन ऐसा नहीं है कि वहां असहमति नहीं होती.

न्यूमैन ने कहा, "यदि आप उनसे पूछेंगे, लोग कहेंगे कि दोस्तों या उनके प्रियजन के साथ मिलकर खाना खाने में उनको मज़ा आता है. लेकिन, प्रियजन के साथ भोजन करना कई बार डरावना अनुभव भी हो सकता है."

वह कहते हैं, "यह जो क्षेत्र है, वो नियंत्रण और प्रभुत्व का भी है. क्योंकि, यह वैसी परिस्थिति हो जाती है, जहां कोई होता है, जो आपकी आलोचना भी कर देता है."

न्यूमैन का एक रिसर्च प्रोजेक्ट जारी है. इसमें स्वीडन में बुजुर्गों के एक साथ बैठकर खाना खाने के दौरान रहने वाले व्यवहार पर फोकस किया गया है. इसमें उन्होंने कुछ ऐसी बात ढूंढी है, जो चौंका सकती है.

न्यूमैन कहते हैं, "हम उनसे सोच-समझकर पूछते हैं कि यदि वो अकेले खाना खाकर परेशान हो चुके हैं, तो कुछ और किया जा सकता है. लेकिन, ज्यादातर के साथ ऐसा नहीं होता है."

वे दूसरों के साथ मिलकर भी खाना खाते हैं. उनको यह पसंद आता है. लेकिन, कम से कम उन समूहों को जिनका उन्होंने इंटरव्यू किया है, वो नहीं मानते हैं कि इसमें उनका नुक़सान है.

इसकी एक वजह यह हो सकती है कि वो पहले से ही अकेलेपन से जूझ रहे होते हैं. ऐसे में किसी को अकेले भोजन करना असहज कर सकता है, और किसी को नहीं भी.

न्यूमैन कहते हैं, "यदि आप ऐसे व्यक्ति हैं जो अक्सर दूसरों के साथ बैठकर भोजन करता है, या आप कभी-कभार ही ऐसा करते हैं, तो आपके लिए बैठकर पढ़ना ज़्यादा अच्छा रहेगा."

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां कर सकते हैं. आप हमें , , , और पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)