पाकिस्तान ऐसी कौन सी मिसाइल बना रहा है, जिसे अमेरिका ने ख़ुद के लिए ख़तरा बताया
अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि परमाणु शक्ति संपन्न पाकिस्तान लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल विकसित कर रहा है और इसकी मारक क्षमता दक्षिण एशिया से बाहर अमेरिका तक हो सकती है.
अमेरिका कभी पाकिस्तान का क़रीबी सहयोगी हुआ करता था और अब उसी ने पाकिस्तान के मिसाइल प्रोग्राम पर ये टिप्पणी की है.
अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन फ़ाइनर ने कहा कि पाकिस्तान जो कर रहा है, उससे अहम सवाल यह खड़ा होता है कि बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम का उसका लक्ष्य क्या है.
फ़ाइनर ने थिंक टैंक कार्नेगी एन्डाउमेंट फ़ॉर इंटरनेशनल पीस ऑडिएंस में कहा, ''पाकिस्तान की गतिविधियों को अमेरिका के लिए उभरते ख़तरे के रूप में देखने के अलावा किसी और तरह से नहीं देखा जा सकता. पाकिस्तान ने आधुनिक तकनीक से लैस मिसाइलें विकसित की हैं.''
''ये लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम से लेकर वैसे उपकरण हैं, जो बड़े रॉकेट मोटर्स के परीक्षण में सक्षम हैं. वैसे गिने चुने देश हैं, जिनके परमाणु हथियार और मिसाइल अमेरिका तक पहुँचने की क्षमता रखते हैं. लेकिन ये देश अमेरिका की सुरक्षा के लिए ख़तरा हैं. ये देश हैं- रूस, उत्तरी कोरिया और चीन.''
अमेरिका ने बुधवार को कहा था कि वो पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रमों पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगा रहा है.
अमेरिका ने इससे पहले भी पाकिस्तान की चार कंपनियों पर मिसाइल प्रसार से जुड़े कार्यक्रम में शामिल होने का आरोप लगाया है.
अमेरिकी ने कहा है कि यह फ़ैसला "पाकिस्तान की लंबी दूरी के मिसाइल कार्यक्रम के निरंतर प्रसार के ख़तरे को देखते हुए" किया गया है.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक़ पाकिस्तान की चारों कंपनियों को 'कार्यकारी आदेश' (ईओ) 13382 के तहत पाबंदी लगाने के लिए चिह्नित किया जा रहा है.
अमेरिका का कहना है कि यह फ़ैसला सामूहिक विनाश के हथियारों के विकास और उनके प्रसार को रोकने के लिए है.
वॉशिंगटन स्थिति थिंक टैंक विल्सन सेंटर में साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के निदेशक माइकल कुगलमैन ने पर लिखा है, "अमेरिका के डिप्टी एनएसए जॉन फ़ाइनर ने कहा है कि पाकिस्तान के पास अमेरिका तक मार करने की मिसाइल क्षमता आ सकती है. यह हैरान करने वाली बात है, जो यह समझने में मदद करती है कि अमेरिका ने पाकिस्तानी कंपनियों पर पाबंदी क्यों लगाई."
सितंबर महीने में अमेरिकी ने एक चीनी शोध संस्थान और कई कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिए थे, जिनके बारे में दावा किया गया था कि वे पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम को ज़रूरी सामग्री की आपूर्ति में शामिल थीं.
पाकिस्तान के
हालांकि नजम सेठी का कहना है कि पाकिस्तान और चीन के संबंधों में ग्वादर और सीपेक जैसे कुछ मुद्दों की वजह से तनाव बना हुआ है और इसका समाधान नहीं हो पाया है. दूसरी तरफ भारत-अमेरिका संबंध बेहतर हो रहे हैं.
नजम सेठी ने कहा, "मैं यही कहूंगा कि अगले साल यानी 2025 में अमेरिका और इसराइल का फ़ोकस ईरान पर होगा, जो वहाँ सत्ता परिवर्तन और उनके परमाणु कार्यक्रम को ख़त्म करने से जुड़ा होगा, उनका यही लक्ष्य है."
"और अगर ऐसा हो जाता है तो साल 2026 में अमेरिका और इसराइल का ध्यान पाकिस्तान और उसके परमाणु कार्यक्रम पर होगा."
सेठी कहते हैं, "चीन पाकिस्तान का एक बड़ा मददगार है और अमेरिका रोक नहीं पाएगा.''
पाकिस्तान पर लगे इन हालिया पाबंदियों पर अमेरिका में मौजूद पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ़ पार्टी की लॉबी की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं.
नजम सेठी ने इस सवाल पर कहा है, ''पाकिस्तान पर पहले भी कई बार पाबंदियां लग चुकी हैं. साल 1965 में भारत-पाक युद्ध के समय अमेरिका ने पाकिस्तान को सैन्य मदद देना रोक दिया था. साल 1971 में भी पाबंदी लगाई थी".
"अमेरिका ने उसके बाद भी साल 1977 और 1990 में पाकिस्तान में सैन्य तख़्तापलट के वक़्त कड़ी पाबंदियां लगाई थीं ."
नजम सेठी ने दावा किया है कि इससे कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा, पाकिस्तान जो कर रहा था, वो करता रहेगा. अमेरिका ने ईरान पर कड़ी पाबंदियां लगाई हैं, लेकिन क्या ईरान ने अपनी रक्षा से जुड़े कार्यक्रम को रोका?
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि रहीं डॉक्टर मलीहा लोधी ने कहा है, "बाइडन प्रशासन ने पाकिस्तान के मिसाइल कार्यक्रम पर 6 या 7 बार पाबंदियां लगाई हैं, तो ये कोई नई चीज़ नहीं है. अमेरिका ने शुरू से ही पाकिस्तान के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम को कमज़ोर करने, बंद करने या धीमा करने का प्रयास किया है."
लोधी ने कहा, "लेकिन इतिहास हमें बताता है कि पाकिस्तान ने हमेशा इस मामले में अमेरिका का विरोध किया है और कहा है कि हमारी सुरक्षा से जुड़ा हुआ है. अमेरिका के अपने क़ानून हैं, जिसके तहत वो ऐसा करता है."
उन्होंने कहा, "चीन पर भी अमेरिका ने पाबंदियां लगाई हैं. वो ऐसा करके केवल अपने आप को भरोसा दिलाता है, लेकिन इस वक़्त जो पाबंदी लगी है, उससे हमारे कार्यक्रम पर कोई असर नहीं पड़ेगा.''
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