इसराइल में भारतीय मज़दूर: सीएम योगी का बयान और वापस लौटे कामगारों के अनुभव

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BBC प्रदीप सिंह (बाएं) और दिवाकर सिंह.

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी बीते सोमवार को संसद में फ़लस्तीन लिखा हैंडबैग लेकर पहुची थीं और अगले दिन यानी मंगलवार को इसका ज़िक्र उत्तर प्रदेश की विधानसभा में हुआ.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, ''कल कांग्रेस की एक नेत्री फ़लस्तीन का बैग लेकर संसद में घूम रही थीं और हम यूपी के नौजवानों को इसराइल भेज रहे हैं.''

प्रियंका गांधी ने सीएम योगी के इस बयान को शर्म की बात बताया है.

प्रियंका गांधी जो हैंडबैग लेकर पहुंची थीं उस पर 'फ़लस्तीन' शब्द के साथ कई फ़लस्तीनी प्रतीक भी बने हुए थे.

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इस घटनाक्रम के बाद बीबीसी ने यूपी के उन लोगों से बातचीत की है जो इसराइल काम करने गए थे.

अधिकतर कामगारों के लिए काम के घंटे और मनचाहा काम न मिलना अभी भी एक बड़ी समस्या है.

बीबीसी हिन्दी ने कामगारों के दावों पर यूपी सरकार का पक्ष जानने के लिए संबंधित विभाग से संपर्क किया है. फ़िलहाल हमें कोई जवाब नहीं मिला है.

BBC 'युद्ध क्षेत्र में झोंक देना शर्म की बात'

उत्तर प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र चल रहा है और मंगलवार को विपक्ष की तरफ़ से प्रदेश में रोज़गार की स्थिति पर चर्चा की मांग की गई.

चर्चा के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपनी बात रखी. भाषण के दौरान सीएम योगी ने यूपी से इसराइल में काम करने गए लोगों का ज़िक्र किया.

योगी आदित्यनाथ ने कहा, "कल कांग्रेस की एक नेत्री फ़लस्तीन का बैग लेकर संसद में घूम रही थीं और हम यूपी के नौजवानों को इसराइल भेज रहे हैं. यूपी के अब तक लगभग पांच हज़ार छह सौ से अधिक नौजवान इसराइल गए हैं, निर्माण कार्य करने के लिए. हर नौजवान के लिए रहने का फ़्री, खाने का फ्री और डेढ़ लाख रुपए उसे वहां अतिरिक्त मिल रहे हैं. पूरी सुरक्षा की गारंटी भी है."

योगी आदित्यनाथ का कहना है कि यूपी के लोगों के काम से प्रभावित होकर इसराइल में प्रदेश के लोगों की मांग बढ़ गई है.

सीएम योगी ने कहा, "अभी इसराइल के राजदूत आए थे उन्होंने कहा कि हम यूपी के और भी नौजवान ले जाना चाहेंगे क्योंकि यूपी का नौजवान अच्छा काम कर रहा है. आप यह मान कर चलिए वह नौजवान जब डेढ़ लाख रुपए अपने घर भेजता है तो प्रदेश के ही विकास में योगदान देता है. उत्तर प्रदेश का नौजवान जो आज गया है, उसके सामने एक अवसर है. यहां काम करता तो 20 हज़ार, 30 हज़ार रुपए प्राप्त करता."

हमास और इसराइल की जंग की वजह से इसराइल में मज़दूरों की संख्या में कमी हो गई थी. इसलिए इस कमी को पूरा करने के लिए इसराइल सरकार ने भारत से मज़दूरों को ले जाने की पहल की थी. इसके तहत यूपी के अलावा दूसरों राज्यों जैसे-हरियाणा और तेलंगाना से भी मज़दूर इसराइल गए हैं.

योगी के बयान के बाद प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म दी है.

प्रियंका गांधी ने लिखा, "यूपी के युवाओं को यहां रोजगार देने की जगह उन्हें युद्धग्रस्त इसराइल भेजने वाले इसे अपनी उपलब्धि बता रहे हैं. उन्हें न तो प्रदेश की बेरोजगारी का हाल पता है, न ही उन युवाओं और उनके परिवारों की पीड़ा."

उन्होंने आगे लिखा, "अपने युवाओं को रोजगार के लिए युद्ध क्षेत्र में झोंक देना पीठ थपथपाने की नहीं, बल्कि शर्म की बात है."

BBC इसराइल से लौटे लोग क्या बोले?

प्रदीप सिंह उत्तर प्रदेश के बाराबंकी ज़िले में देवा शरीफ़ के पास नई बस्ती साले नगर गांव के रहने वाले हैं. 4 जून 2024 को प्रदीप सिंह यूपी से काम करने के लिए इसराइल गए थे. प्रदीप वहां लगभग चार महीने रहे और सितंबर में भारत वापस आ गए.

बीबीसी से बातचीत में प्रदीप बताते हैं, "हम लोग पेटा तिकवा शहर में थे और सुविधाएं ठीक थीं लेकिन काम थोड़ा हार्ड था. मैंने प्लास्टरिंग कैटेगरी के लिए आवेदन किया था लेकिन वहां दूसरा काम करना पड़ा. हम लोग एक चीनी कंपनी में शटरिंग और सरिया से जुड़ा काम कर रहे थे."

उत्तर प्रदेश सरकार के सेवायोजन विभाग के मुताबिक़, कुल चार ट्रेड में पात्रता रखने वाले कामगार इसराइल में रोज़गार के लिए आवेदन कर सकते हैं. ये ट्रेड हैं- शटरिंग कारपेंटर, आयरन बेंडिंग, सिरेमिक टाइल और प्लास्टरिंग.

इन ट्रेड में कम से कम तीन साल का अनुभव होना चाहिए और आयु सीमा 25 से 45 साल है.

प्रदीप का दावा है कि उन्हें तय वक़्त से ज़्यादा समय तक काम करना पड़ता था.

प्रदीप कहते हैं, "हम लोगों को सुबह सात बजे से शाम सात बजे तक कुल 12 घंटे काम करना होता था. इसमें आधे घंटे का लंच होता था और बाकी साढ़े ग्यारह घंटे सिर्फ़ काम.हम लोगों की हालत ख़राब हो जाती थी."

सीएम योगी ने अपने भाषण में डेढ़ लाख रुपए तक की कमाई की बात कही थी और प्रदीप इस बात से सहमत हैं.

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प्रदीप वापस इसराइल जाना चाहते हैं लेकिन उनके ही इलाक़े के रहने वाले दिवाकर सिंह वापस इसराइल नहीं जाना चाहते हैं.

हालांकि, सेवायोजन विभाग पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि नई प्रक्रिया के तहत वही आवेदन कर सकता है जिसने पूर्व में चयन प्रक्रिया में आवेदन न किया हो. इसके अलावा यह भी शर्त है कि आवेदक इससे पहले कभी इसराइल न गया हो.

दिवाकर कहते हैं, "चीनी कंपनियों में वहां बारह घंटे काम करने होते थे. बीच में आराम भी नहीं कर सकते थे. मैंने आयरन बेंडिंग (सरिया मोड़ने का काम) कैटेगरी में इंटरव्यू दिया था लेकिन वहां दूसरे काम करने पड़ते थे. कई बार तो साफ़-सफ़ाई का भी काम करना पड़ता था."

योगी आदित्यनाथ ने रहना और खाना फ़्री होने की बात कही थी. प्रदीप और दिवाकर का दावा है कि ये दोनों व्यवस्थाएं कंपनी की तरफ़ से थीं लेकिन पैसा सैलरी से कटता था.

दिवाकर मई, 2024 में इसराइल गए थे और दो महीने वहां रहे. वह बताते हैं कि इस दौरान उन्होंने दो से ढाई लाख रुपए की बचत जमा कर ली थी.

फिलहाल दिवाकर अपने घर के पास एक निजी कंपनी में 30 हज़ार रुपए की नौकरी कर रहे हैं.

बीबीसी हिन्दी ने कामगारों के इन दावों पर उत्तर प्रदेश के श्रम मंत्रालय और सेवायोजन विभाग से उनका पक्ष जानने के लिए ई-मेल किया है. अभी तक हमें उनकी तरफ़ से कोई जवाब नहीं मिला है. जैसे ही कोई जवाब मिलता है उसे रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा.

इसराइल में मौजूद कामगार का अनुभव

यूपी के सीतापुर ज़िले में महमूदाबाद कस्बे के रहने वाले योगेश अभी इसराइल में काम कर रहे हैं. जब उनसे बातचीत हुई तब वो होलोन शहर की एक कंस्ट्रक्शन साइट पर काम कर रहे थे.

योगेश कहते हैं, "मैं शुरुआत में जिस कंपनी में आया था वहां चिकन से जुड़ा काम होता था. अब मैं कंस्ट्रक्शन साइट पर काम कर रहा हूं जिसमें मैं एक्सपर्ट हूं. सबको अपनी ट्रेड के हिसाब से काम नहीं मिला पा रहा है. कुछ लोगों को मिल जाता है."

हालांकि योगेश सुरक्षा, कमाई और रहने-खाने की व्यवस्था से संतुष्ट दिखाई पड़ते हैं.

इन सब चुनौतियों के बीच कुछ लोग अब भी इसराइल जाने के लिए अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहे हैं. अनिल इन लोगों में से एक हैं.

अनिल कहते हैं, "मैं ओमान, बहरीन, कुवैत और अबू धाबी में बतौर इलेक्ट्रिकल फिटर काम कर चुका हूं लेकिन अभी तक इसराइल जाने वालों की लिस्ट में मेरा नाम नहीं आया है. मुझे बताया गया है कि इलेक्ट्रिकल फिटर कैटेगरी लिस्ट में नहीं है. मैंने दूसरी कैटेगरी में अपना नाम डलवाया है लेकिन कोई जवाब नहीं आया है."

चयन प्रक्रिया को लेकर यूपी सरकार का कहना है कि प्रोफ़ेनशल टेस्ट पूरा होने के बाद पात्र आवेदकों का चयन लॉटरी प्रक्रिया या रैंडम चयन के आधार पर किया जाएगा. सरकार का तर्क है कि इससे निष्पक्ष और पारदर्शी चयन सुनिश्चित होता है.

तमाम परेशानियों के बीच मोटी कमाई यूपी के रहने वाले कामगारों को आकर्षित कर रही है और यही वजह है कि ज़्यादातर कामगार इसराइल जाना चाहते हैं.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित

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