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जयशंकर के जेनेवा में 'चीन, विमान हाईजैक और खटा खट' पर दिए बयान की चर्चा, कांग्रेस ने लगाए आरोप

ANI जेनेवा में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कई मुद्दों पर टिप्पणी की है. चीन पर उनके बयान के बाद कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी से कई सवाल किए हैं.

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर अक्सर अपने बयानों के लिए सुर्खियों में होते हैं. इसी हफ़्ते अपनी जेनेवा यात्रा में एस जयशंकर ने चीन के साथ रिश्तों पर भी बयान दिया है और राहुल गांधी पर भी परोक्ष तौर पर तंज़ किया है.

जयशंकर ने 'आईसी 814: द कांधार हाईजैक' नेटफ़्लिक्स सिरीज़ पर भी चुप्पी तोड़ी है और फ़िल्मी दुनिया पर भी टिप्पणी की है. इस दौरे में चीन पर दिए उनके बयान पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने तीखी प्रतिक्रिया दी है.

स्विट्ज़रलैंड के जेनेवा में एक कार्यक्रम में एस जयशंकर ने चीन और भारत के रिश्तों के बारे में कहा, ''भारत चीन की सेना के बीच 75 फ़ीसदी मिलिटरी डिसइंगेजमेंट का काम पूरा हो चुका है.''

उनका कहना था, ''गतिरोध के पॉइंट से सेनाएं पीछे लौट आती हैं तो शांति बनी रहती है. तब भारत-चीन रिश्तों को सामान्य करने की दूसरी संभावनाओं को भी देख सकते हैं.''

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चीन के विदेश मंत्रालय ने एस जयशंकर के बयान के बाद कहा है कि भारत और चीन के बीच सीमा पर हालात आमतौर पर स्थिर और नियंत्रण में है.

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने एक प्रेस कांफ्रेंस में एक सवाल के जवाब में कहा है कि 12 सितंबर को चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने सेंट पीटर्सबर्ग में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाक़ात की.

दोनों पक्षों ने सीमा से जुड़े मुद्दों पर पर हाल ही में हुई बातचीत में हुई प्रगति पर चर्चा की थी.

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता के मुताबिक़ दोनों देशों के नेताओं ने आम सहमति को आगे बढ़ाने, आपसी समझ और विश्वास को बढ़ाने, द्विपक्षीय संबंधों के लिए बेहतर माहौल बनाने और इस दिशा में संवाद बनाए रखने पर सहमति जताई है.

उन्होंने कहा, "हाल के वर्षों में दोनों देशों की अग्रिम पंक्ति के सैनिकों ने चीन-भारत सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में चार जगहों पर पीछे हटने का विचार किया है, जिसमें गलवान घाटी भी शामिल है. चीन-भारत की सीमा पर हालात आम तौर पर स्थिर और नियंत्रण में हैं."

बीते दिनों चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स में भारत चीन संबंधों को लेकर एक विश्लेषण छपा था जिसमें दोनों में रिश्ते बेहतर होने की राह में जयशंकर को रोड़ा बताया गया था. हालांकि बाद में ये विश्लेषण डिलीट कर दिया गया था.

जेनेवा में विदेश मंत्री के बयान के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म

है, "नरेंद्र मोदी का अथाह चीनी प्रेम भारत की आर्थिक और भौगोलिक संप्रुभता एवं अंखडता के लिए ख़तरा है."

'चीन को क्लीन चिट' ANI जेनेवा में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर

शनिवार को मल्लिकार्जुल खड़गे ने कहा कि "ये वही विदेश मंत्री हैं जिन्होंने अप्रैल 2024 में ‘चीन ने भारत की किसी ज़मीन पर कब्ज़ा नहीं किया है’ जैसा बयान मोदी जी की क्लीन चिट को कॉपी कर के ही दिया है."

उन्होंने तंज़ कसते हुए लिखा, "ये अजीब बात है कि प्रधानमंत्री और उनके विदेश मंत्री चीन पर संसद में विपक्ष के सवालों पर मौन रहते हैं पर विदेशी धरती पर बयानबाज़ी करते रहते हैं."

साथ ही उन्होंने सवाल किया, "क्या ये सच नहीं है कि देपसांग मैदान, डेमचोक नाला और हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा पोस्ट में कई पेट्रोलिंग पॉइंट्स से अभी भी भारत वंचित है?"

"क्या ये सच नहीं है कि मई 2020 के कई अतिक्रमण बिंदुओं पर भारत की दावा की गई रेखाओं के अंदर बफर ज़ोन बनाकर मोदी सरकार ने चीन के पक्ष में एक वास्तविक बदलाव को मंज़ूर कर दिया?"

उन्होंने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार डोकलाम और गलवान में हुई घटनाएं भूलकर चीनी कंपनियों के लिए "लाल कार्पेट" बिछाने में मशगूल है.

खड़गे ने कहा, "गलवान के बाद से चीनी समान का आयात 56% बढ़ गया है. ऐप बैन करना तो दिखावा था, मोदी सरकार अब खुलकर चीनी निवेश की पैरवी कर रही है."

साल 2017 में सिक्किम के साथ लगने वाली चीनी सीमा पर भारत और चीन के बीच डोकलाम विवाद को लेकर गतिरोध पैदा हुआ था.

भारत ने पठारी क्षेत्र डोकलाम में चीन के सड़क बनाने की कोशिश का विरोध किया था.

भूटान और चीन दोनों इस क्षेत्र पर अपना हक़ जताते हैं. लेकिन भारत हमेशा भूटान का समर्थन करता आया है.

जबकि 15 जून 2020 को गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी.

जेनेवा में जयशंकर के बयान पर बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट किया है, ''डिसइंगेजमेंट से जयशंकर का मतलब क्या है. जयशंकर का मतलब है कि चीन भारत की कब्ज़ाई ज़मीन से पीछे हट जाएगा और भारत अपनी ज़मीन फिर वापस नहीं हासिल कर पाएगा...''

ANI कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र की मोदी सरकार पर डोकलाम और गलवान में हुई घटनाओं को भूलकर चीनी कंपनियों के लिए 'रेड कार्पेट' बिछाने का आरोप लगाया है. 'फ़िल्म वाले सरकार को अच्छा नहीं दिखाते'

12 सितंबर को जेनेवा में जयशंकर चीन पर बोल रहे थे, उसी दिन अजित डोभाल ने रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाक़ात की थी.

डोभाल और वांग यी की मुलाक़ात अहम बताई जा रही है. इस दौरान एलएसी पर मिलिटरी डिसइंगेजमेंट के बारे में भी बात हुई. कुछ दिन पहले ही वियतनाम में जयशंकर और वांग यी की भी मुलाक़ात हुई थी.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म की हालिया सिरीज़ ‘आईसी 814 द कंधार हाईजैक' को लेकर उठे विवाद पर भी बयान दिया है.

उन्होंने इस दौरान साल 1984 की एक और हाईजैक की घटना को याद किया जिसमें उनके पिता भी विमान में सवार थे.

स्विट्ज़रलैंड के जेनेवा में भारतीय प्रवासियों को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि उन्होंने ‘आईसी 814 द कंधार हाईजैक' सीरीज़ नहीं देखी है, लेकिन "फिल्म वाले सरकार को अच्छा नहीं दिखाते."

एयर इंडिया के एक अन्य विमान

"1984 में एक अपहरण हुआ था. उस वक़्त मैं बहुत युवा अधिकारी था और उस टीम का हिस्सा था जो इससे निपट रही थी."

एस जयशंकर के मुताबिक़- उस वक़्त उनकी पत्नी भी काम करती थीं इसलिए बेटे को खाना खिलाने के लिए उन्हें घर जाना होता था.

जयशंकर ने कहा, "मैंने अपनी मां को फोन करके बताया कि मैं नहीं आ सकता क्योंकि एक विमान अपहरण हो गया है. तभी मुझे पता चला कि मेरे पिता विमान में थे."

उस वक़्त इस विमान को खालिस्तान समर्थक कुछ युवाओं ने हाईजैक कर लिया था, हालाँकि बाद में उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया था.

ANI एस जयशंकर ने राहुल गांधी के 'खटा खट' वाले बयानों पर भी तंज़ किया है 'ज़िंदगी खटा खट नहीं'

जेनेवा में भारतीय समुदाय के सामने एस जयशंकर ने लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के ‘खटा खट’ वाले बयान पर भी तंज़ किया है.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विपक्ष के नेता

कि ज़िंदगी ‘खटा खट’ (कोई आसान काम) नहीं है. इसके लिए कड़ी मेहनत और लगन की ज़रूरत होती है.

राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव के दौरान कई बार ‘खटा खट’ शब्दों का इस्तेमाल किया था. राहुल गांधी किसी काम को जल्द निपटाने के लिए इन शब्दों का इस्तेमाल करते रहे हैं.

जयशंकर ने कहा, "जब तक आप बुनियादी ढांचे और मानव संसाधन तैयार नहीं करते हैं, उन नीतियों को लागू नहीं करते हैं, तब तक यह मुश्किल काम है. जीवन 'जीवन खटा खट' नहीं है, यह कड़ी मेहनत और परिश्रम है."

ANI पीएम मोदी (फ़ाइल फ़ोटो) 'कमाल का जवाब दिया'

एस जयशंकर के बयान से अक्सर इस तरह की राजनीतिक बहस पैदा होती है.

विदेशी मंचों पर भारत की विदेश नीति से जुड़ा सवाल हो या पीएम नरेंद्र मोदी के रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को गले लगाने का सवाल. जयशंकर के दिए जवाब ख़बरों और सोशल मीडिया पर चर्चा में आ जाते हैं.

जेनेवा यात्रा के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अलग-अलग मंचों पर कई तरह के बयान दिए हैं.

जयशंकर ने 12 सितंबर को स्विट्ज़रलैंड के जेनेवा में ग्लोबल सेंटर फोर सिक्योरिटी पॉलिसी कार्यक्रम में शामिल हुए थे. इसमें उनसे ब्राज़ील, रूस, इंडिया, चीन और साउथ अफ़्रीका की अगुवाई वाले समूह 'ब्रिक्स' की ज़रूरत पर सवाल पूछा गया.

जयशंकर से पूछा गया कि ‘ब्रिक्स’ क्लब क्यों बना है और इसके विस्तार पर आप क्या सोचते हैं?

जयशंकर ने जवाब दिया, ''ईमानदारी से कहूं तो ब्रिक्स क्लब इसलिए बना क्योंकि जी-7 नाम का एक क्लब पहले से था. आप उस क्लब में किसी को घुसने नहीं देते थे. तो हमने कहा कि हम अपना क्लब ख़ुद बनाएंगे.''

जयशंकर ने कहा, ''ये एक दिलचस्प समूह है. दूसरे समूह भौगोलिक या मज़बूत आर्थिक कारणों से एक दूसरे से जुड़े होते हैं. मगर ब्रिक्स में रूस, चीन, ब्राज़ील, भारत, साउथ अफ़्रीका जैसे देश हैं. इन देशों में कॉमन ये था कि बड़े देश वैश्विक व्यवस्था में ऊपर उठ रहे हैं.''

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    ब्रिक्स पर उठते सवालों के बीच जयशंकर से पूछा गया कि जी-7 के साथ जी-20 भी तो मौजूद है, ऐसे में ब्रिक्स की क्या ज़रूरत है?

    जयशंकर ने जवाब दिया, ''मैं ये समझ नहीं पाता हूं कि जब आप ब्रिक्स के बारे में बात करते हैं तो इतने असुरक्षित क्यों हो जाते हैं. ये लोगों को इतना परेशान क्यों कर रहा है? जब जी-20 बना तो क्या जी-7 बंद हो गया? नहीं हुआ. जी-20 के साथ जी-7 का भी अस्तित्व है. तो जी-20 के साथ ब्रिक्स भी क्यों नहीं रह सकता.''

    ये जवाब सुनकर सवाल पूछने वाले फ्रेंच एम्बैस्डर जीन-डेविड लेविट्टी ने कहा- कमाल का जवाब दिया.

    ब्रिक्स के विस्तार के बारे में जयशंकर ने कहा, ''बीते कुछ सालों में हमने देखा कि कई और देश इससे जुड़ना चाहते हैं. हमने पिछले साल जोहानिसबर्ग में ब्रिक्स के विस्तार का फ़ैसला किया. हमने नए देशों को न्योता भेजा है.''

    ब्रिक्स की स्थापना 2006 में हुई थी. 2010 में इस समूह में साउथ अफ़्रीका जुड़ा. हाल ही में इस समूह में कई और देशों के शामिल होने की प्रक्रिया शुरू हुई है.

    इन देशों में ईरान, मिस्र, इथियोपिया, यूएई शामिल हैं. सऊदी अरब भी इस समूह में शामिल होने पर विचार कर रहा है.

    बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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