पिंक बॉल से बैटिंग क्यों होती है मुश्किल, एडिलेड टेस्ट भारतीय बल्लेबाज़ों के लिए कितनी बड़ी चुनौती?
क्रिकेट बॉक्स ऑफिस की तरह है. सुपरहिट देने वाले किसी डायरेक्टर या हीरो की अगली फिल्म पिट भी सकती है.
6 दिसंबर को एडिलेड में भारत और ऑस्ट्रेलिया बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी का दूसरा टेस्ट मैच खेलने उतरेंगे. भारत इस मैच में पर्थ में मिली बड़ी जीत के बाद उतरेगा.
लेकिन, पिंक बॉल से खेले जाने वाले इस डे-नाइट टेस्ट मैच में पर्थ में मिली ऐतिहासिक जीत का ज्यादा महत्व नहीं होगा. ऑस्ट्रेलिया ने पर्थ में आत्मसमर्पण जरूर किया था, लेकिन घायल शेर की तरह उसके पास पलटवार करने का हुनर है.
असल में फ्लडलाइट्स के नीचे खेला जाने वाला ये टेस्ट मैच, दोनों टीमों के लिए बिल्कुल नया अनुभव होगा. खासकर भारत के लिए.
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BBCहालांकि, क्रिकेट पत्रकार और लेखक प्रदीप मैगजीन कहते हैं, "मेरा मानना है कि पर्थ की हार के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम साइकोलॉजिकल प्रेशर के साथ खेलने उतरेगी."
"पहले मैच में उनकी बल्लेबाजी फेल रही और दूसरी पारी में गेंदबाज़ विकेट हासिल करने में नाकाम रहे. अगर एडिलेड में मेजबान टीम जीत नहीं पाई, तो उसके लिए सिरीज़ में संभालना आसान नहीं होगा."
उन्होंने कहा, "मेरा मानना है कि जसप्रीत बुमराह ऑस्ट्रेलिया के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं. अगर किसी वजह से वो नहीं खेलते हैं, तो ऑस्ट्रेलिया के पास चांस है. भारत के लिए बुमराह के बिना जीत की उम्मीद करना बेमानी है."
ये भी पढ़ेंकप्तान रोहित शर्मा सीधे पिंक बॉल से खेलने उतरेंगे. केएल राहुल पर्थ में अच्छा प्रदर्शन कर चुके हैं. ऐसे में सवाल उठ सकता है कि रोहित को बल्लेबाजी में किस क्रम पर उतारा जाए.
हाल के समय में उनकी बल्लेबाजी में बदलाव देखने को मिला है. पहले वो एक खालिस टेस्ट ओपनर की तरह बिना किसी जोखिम के खेलते थे.
लेकिन, अब वो थोड़ा तेज़ खेलने की कोशिश कर रहे हैं. ऑस्ट्रेलियाई पिचों पर इस तरह की कोशिश उनके फॉर्म को प्रभावित कर सकती है.
शुभमन गिल भी ऑस्ट्रेलिया दौरे का अपना पहला मैच खेलेंगे. रोहित की तरह, पिंक बॉल और दो तरह की रोशनी के बीच सामंजस्य बिठाना उनके लिए भी चुनौतीपूर्ण होगा.
क्रिकेट लेखक आनंद वासु कहते हैं, “जब से पिंक बॉल का इस्तेमाल शुरू हुआ है, इसका कोड कोई नहीं तोड़ पाया है. दिन की रोशनी में इसका व्यवहार अलग होता है और फ्लडलाइट्स में कुछ और.”
लेकिन सभी की निगाहें यशस्वी जायसवाल पर रहेंगी. पर्थ में पहली पारी में वो जीरो पर आउट हुए.
दूसरी पारी में उनका जबरदस्त वापसी करना बताता है कि इस छोटी उम्र में उनके पास इस खेल के लिए जरूरी अनुभव और परिपक्वता है.
इस ओपनर के पास हर शॉट है. उनका बल्ला फील्डिंग के साथ खिलवाड़ करना जानता है. क्रीज पर वो शांत दिखते हैं, लेकिन उनका बल्ला आक्रामक है.
जाहिर तौर पर ऑस्ट्रेलिया के लिए उनका विकेट सबसे कीमती होगा.
हालांकि, जायसवाल के लिए भी ये मैच नया अनुभव होगा क्योंकि इससे पहले उन्होंने पिंक बॉल से दो तरह की रोशनी में नहीं खेला है. ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने उन्हें भारतीय टीम के "नए किंग" की उपाधि दी है.
इस मैच में एक बार फिर से बड़ा स्कोर उन्हें विश्व के बेहतरीन बल्लेबाजों में खड़ा कर सकता है.
BBCभारतीय टीम के लिए पर्थ में एक और अच्छी बात ये रही कि विराट कोहली ने रन बनाए. उम्र को देखते हुए, ये उनका ऑस्ट्रेलिया का आखिरी दौरा हो सकता है.
पर्थ में उनका शतक जरूर आया, लेकिन पचास रन पार करने के बाद उनके बल्ले से कुछ इनसाइड-आउटसाइड एज निकले हैं.
विराट की बल्लेबाजी हमेशा क्लीन रही है. लेकिन इस शतक में गेंद कई बार बल्ले के किनारे से लगने के बाद विकेट के आसपास से गुजरी.
ये अच्छा संकेत नहीं है, लेकिन विराट जैसे बल्लेबाज इसे ठीक करना जानते हैं. एडिलेड में टीम को उनसे अहम भूमिका निभाने की उम्मीद होगी.
ये भी पढ़ेंयह भी याद रखना होगा कि पर्थ में पहली पारी में भारतीय बल्लेबाजी का भी बुरा हाल था. ऑस्ट्रेलिया की बल्लेबाजी पूरी तरह बिखर गई थी, लेकिन उनकी तेज गेंदबाजी ने अपनी क्षमता के साथ पूरा न्याय किया.
अगर भारत यह मैच जीत जाता है तो बाकी की सिरीज़ शानदार होने वाली है. लेकिन अगर स्कोर 2-0 हो गया, तो मेजबानों के लिए वापसी करना बेहद मुश्किल होगा.
एडिलेड टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया की जीत इस सिरीज़ को और रोचक बनाने में मदद करेगी.
उम्दा तेज गेंदबाजी देखने वालों के लिए ये मैच यादगार हो सकता है. पूरे मैच में चार स्लिप और एक गली के साथ गेंदबाजी हमेशा मुकाबले में रोमांच भर देती है.
पर्थ में जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज और हर्षित राणा ने शानदार गेंदबाजी के सहारे मैच को ऑस्ट्रेलिया की पहुंच से बाहर कर दिया.
पिंक बॉल के साथ भी इनसे जबरदस्त उम्मीद करना गलत नहीं होगा. खासतौर पर बुमराह को संभाल पाना ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों के लिए आसान नहीं होगा.
बुमराह ने पर्थ में साबित किया कि वो मैच जिताने वाले विश्व के बेहतरीन तेज गेंदबाज़ हैं. उनके खिलाफ खेलना ऊपरी क्रम के बल्लेबाजों के लिए करियर की सबसे बड़ी परीक्षा साबित हो रहा है.
हालांकि, वो पिंक बॉल को कैसे संभालते हैं, ये देखने के लिए शुक्रवार तक इंतजार करना होगा.
ऑस्ट्रेलिया के लिए पैट कमिंस और मिचेल स्टार्क ने भी अपना सारा अनुभव झोंक दिया था. एडिलेड में भी ये दोनों, टीम इंडिया के ऊपरी क्रम के लिए बड़ी चुनौती साबित होंगे.
एडिलेड में खेले गए सात मैचों की 13 पारियों में मिचेल स्टार्क ने 39 विकेट लिए हैं, जबकि तीन मैचों में पैट कमिंस 13 बल्लेबाजों को आउट कर चुके हैं.
लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या इस बार उनके बल्लेबाज़ उनका साथ दे पाएंगे?
ये भी पढ़ेंपिंक बॉल टेस्ट मैचों में ऑस्ट्रेलिया का रिकॉर्ड बेहद शानदार है. उसने अपने 12 टेस्ट मैचों में से 11 जीते हैं. इनमें से सात मैच ऑस्ट्रेलिया ने एडिलेड ओवल में जीते हैं.
हालांकि, इकलौता मैच जो ऑस्ट्रेलिया हारा था, वो दिसंबर 2020 में भारत के खिलाफ था. इसी सिरीज़ में टीम इंडिया 36 रन पर ऑलआउट हुई थी.
अभी तक के अनुभवों से पता चला है कि पिंक बॉल, चैरी बॉल की तुलना में ज्यादा स्विंग करती है.
पिच पर हरी घास इस गेंद की खास जरूरत है. साथ ही, अंधेरा होने के बाद इस गेंद से ज्यादा विकेट गिरने का ट्रेंड देखने को मिला है.
ऑस्ट्रेलियाई विकेटकीपर एलेक्स कैरी ने कहा है, "फ्लडलाइट्स ऑन होने के बाद रोशनी के कारण इस गेंद से खेल का पूरा मिजाज बदल जाता है."
"विकेट के पीछे गेंद की सिलाई से ज्यादा इसकी परछाई नजर आती है. इसलिए गेंद को बेहतर तरीके से देखना जरूरी हो जाता है."
"कई बार इसे समझ पाना भी मुश्किल हो जाता है, लेकिन ये खेल का हिस्सा है. मेरा मानना है कि पिंक बॉल से खेलना एक बेहतरीन मौका है."
33 साल के कैरी एडिलेड से हैं और वो चार पिंक बॉल टेस्ट मैच खेल चुके हैं. इन मैचों में उनके नाम 20 कैच और एक स्टंपिंग दर्ज है.
ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज स्कॉट बोलैंड का मानना है कि पिंक बॉल से एक ही मैच के दौरान दो तरह का खेल देखने को मिलता है.
उन्होंने कहा, "दिन के समय ये गेंद ज्यादा रंग नहीं दिखाती, लेकिन रात होते ही ये ज्यादा मूव करने लगती है."
भारतीय तेज गेंदबाज प्रसिद्ध कृष्णा भी इस बात से सहमत हैं कि पिंक बॉल के साथ खेलना पूरी तरह अलग अनुभव होता है.
उन्होंने कहा, "पिंक बॉल थोड़ी भारी होती है और इसकी सीम उभरी हुई होती है, जिससे ये ज्यादा स्विंग करती है, खासकर लाइट ऑन होने के बाद."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
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