सऊदी अरब को फ़ुटबॉल वर्ल्ड कप की मेज़बानी मिलने के बाद उठे ये सात सवाल

Hero Image
AFP via Getty Images एशियन फ़ुटबॉल कॉनफेडेरेशन के अध्यक्ष शेख़ सलमान बिन इब्राहिम अल-ख़लीफ़ा और सऊदी अरब के खेल मंत्री अब्दुलअज़ीज़ बिन तुर्की अल-फै़सल अल-सऊद

साल 2034 फ़ीफ़ा विश्व कप सऊदी अरब में आयोजित किया जाएगा.

2034 विश्व कप की मेज़बानी के लिए सऊदी अरब को चुनना शायद संगठन के सबसे विवादास्पद फ़ैसलों में से एक है.

इसकी वजह सऊदी अरब में मानवाधिकारों को लेकर उठ रहे सवाल हैं.

हालांकि फ़ीफ़ा विश्व कप की मेज़बानी के सऊदी अरब के फ़ैसले से कई आलोचक आश्चर्यचकित होंगे.

लेकिन कई लोगों को आश्चर्य नहीं होगा क्योंकि फुटबॉल में सऊदी अरब का निवेश और इससे होने वाला लाभ किसी से छिपा नहीं है.

तो क्या वर्ल्ड कप की मेज़बानी से वैश्विक स्तर पर इस अरब देश की प्रतिष्ठा बदल जाएगी या इससे यहां सामाजिक बदलाव आएगा?

ये निर्णय हमें फ़ीफ़ा और फुटबॉल के बारे में क्या बताता है?

BBC

बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए

BBC 1. प्रतियोगिता के बजाय राज्याभिषेक? SAUDI 2034 सऊदी अरब में वर्ल्ड कप के लिए बनने वाले एक स्टेडियम का मॉडल

सऊदी अरब में फु़टबॉल विश्व कप की आधिकारिक पुष्टि पिछले एक साल से महज़ औपचारिकता ही लग रही थी. अक्टूबर 2023 में, यह स्पष्ट हो गया कि सऊदी अरब को कोई टक्कर नहीं दे पाएगा क्योंकि ऑस्ट्रेलिया ने अपने हाथ पीछे खींच लिए थे.

आलोचकों का कहना है कि फ़ीफ़ा में पारदर्शिता और जवाबदेही का अभाव है.

2030 के विश्व कप को तीन महाद्वीपों के बीच विभाजित किया गया था. उस वर्ल्ड कप के स्पेन, पुर्तगाल और मोरक्को सह-मेज़बान होने वाले हैं.

आलोचकों के अनुसार फ़ीफ़ा का इस निर्णय का मतलब साफ़ था कि 2034 के लिए केवल एशिया और ओशिनिया ही रेस में थे.

गौरतलब है कि हाल के समय में फ़ीफ़ा के मौजूदा अध्यक्ष गियानी इन्फै़न्टिनो और सऊदी अरब के बीच घनिष्ठ संबंध बने हैं.

HAITHAM EL-TABEI/AFP via Getty Images जैसे ही मेज़बानी सऊदी अरब को दिए जाने की घोषणा हुई, रियाद में आतिशबाज़ी की गई.

हाल के दिनों में सऊदी अरब में क्लब वर्ल्ड कप का आयोजन हुआ था और फ़ीफ़ा ने सऊदी अरब की सरकारी तेल कंपनी अरामको के साथ एक महत्वपूर्ण स्पॉन्सरशिप समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.

इसके अलावा ऐसी भी अफवाहें हैं कि सऊदी सरकार पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म 'DEZN' में भारी निवेश करेगी, जो अगली गर्मियों में सऊदी अरब में फुटबॉल मैच दिखाएगा.

जब फ़ीफ़ा ने पिछले महीने इन्फै़न्टिनो के उप महासचिव मैटियास ग्राफ़स्टॉर्म की लिखी अपनी विश्लेषण रिपोर्ट प्रकाशित की, तो उसने सऊदी अरब की बोली को पांच में से 4.2 अंक दिए.

फ़ीफ़ा ये रुख भी अपना सकता है कि दुनिया के सबसे बड़े फु़टबॉल आयोजन को नए क्षेत्रों में ले जाना उनकी ज़िम्मेदारी है.

2. दूसरे देश क्या कह रहे हैं? Populous via Getty Images निर्माण के बाद कुछ ऐसा दिखेगा रियाद का किंग सलमान स्टेडियम

नॉर्वे के फु़टबॉल महासंघ ने कहा कि बोली प्रक्रिया "फ़ीफ़ा के अपने ही सुधारों के ख़िलाफ़ है."

जर्मन संगठन ने कहा कि वह 'आलोचना को गंभीरता से लेता है लेकिन आने वाले वर्षों में स्थिति में सुधार के लिए फ़ीफ़ा के साथ काम करने का इरादा रखता है.'

ब्रिटेन के संगठन ने अभी तक अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है. हालांकि कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने बीबीसी को बताया है कि मानवाधिकार संबंधी चिंताओं के बावजूद, उन्हें यह भी एहसास है कि "अगर वे सऊदी अरब का समर्थन नहीं करते हैं, लेकिन कार्यक्रम में भाग लेते हैं, तो उन पर दोगलेपन का आरोप लगाया जाएगा."

अधिकांश आलोचना खेल के मैदान के बाहर से आ रही है. मार्च में, गार्डियन अख़बार ने बताया कि उसे सऊदी अरब में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी प्रवासियों की अस्पष्ट मौतों के सबूत मिले हैं.

सऊदी अरब ने अपने नियमों का बचाव किया है, लेकिन फ़ीफ़ा पर विश्व कप की मेज़बानी से पहले कई 'सुधार शर्तों' को पूरा करने का दबाव बढ़ गया है.

पिछले महीने एमनेस्टी ने फ़ीफ़ा से कहा था कि अगर यह कार्यक्रम सऊदी अरब में आयोजित किया गया तो प्रशंसकों को भेदभाव का सामना करना पड़ेगा, नागरिकों को जबरन बाहर निकाला जाएगा, विदेशी श्रमिकों का शोषण किया जाएगा और कई लोगों की जान चली जाएगी.'

फु़टबॉल में सऊदी अरब के बढ़ते प्रभाव का भी विरोध हो रहा है. अक्तूबर में, सौ से अधिक पेशेवर महिला फु़टबॉल खिलाड़ियों ने फ़ीफ़ा को एक खुला पत्र लिखकर मांग की कि सऊदी अरामको को प्रायोजक के रूप में हटा दिया जाए.

ऐसी भी चिंताएं हैं कि कई खिलाड़ी इस डर से कुछ नहीं बोल रहे हैं कि सऊदी प्रो लीग में उनकी भागीदारी ख़तरे में पड़ सकती है.

3. कैसा होगा सऊदी अरब में फु़टबॉल विश्व कप FAYEZ NURELDINE/AFP via Getty Images पूरी तरह से तैयार होने के बाद रियाद का रोश्न स्टेडियम ऐसा दिखेगा. ये उस स्टेडियम का मॉडल है.

सऊदी अरब फ़ुटबॉल फ़ेडरेशन के अनुसार ये आयोजन - 'बेहद अदभुत' होगा. इसकी बोली में कहा गया है कि विश्व कप मैचों के लिए 15 स्टेडियम बनाए जाएंगे, जिनमें से तीन निर्माणाधीन हैं और आठ अभी शुरू होने बाकी हैं.

यह पांच शहरों में आयोजित किया जाएगा, जिनमें से एक निओम है, जिसका निर्माण अभी बाकी है.

यह विश्व कप निश्चित रूप से सर्दियों में आयोजित किया जाएगा. यह आयोजन साल के शुरुआत में जनवरी में हो सकता है ताकि रमज़ान के महीने से टकराव न हो.

पीए समाचार एजेंसी के अनुसार, ब्रिटिश और अन्य यूरोपीय लीग्स, विश्व कप को सर्दियों में आयोजित करने का विरोध करेंगे.

हालांकि कई लीगों ने 2022 में क़तर टूर्नामेंट से पहले अपने सीज़न को निलंबित कर दिया है.

4. खेलों में सऊदी अरब की धाक जमाने की कोशिश?

कई लोगों के लिए, सऊदी अरब में विश्व कप आयोजित करना उस ताकत की अभिव्यक्ति है जो वो कई और खेलों में भी दिखाना चाहता है.

सऊदी अरब ने 2021 से अलग-अलग खेल आयोजनों में अरबों डॉलर का निवेश किया है. उस साल प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने 'विज़न 2030' के तहत देश की अर्थव्यवस्था को नया रूप देने के अपने इरादे की घोषणा की थी.

तब से देश में फ़ॉर्मूला वन, स्पेनिश और इतालवी फु़टबॉल कप फ़ाइनल, क्लब विश्व कप सहित मुक्केबाज़ी, गोल्फ़ और घुड़सवारी प्रतियोगिताएं आयोजित की गई हैं.

सऊदी अरब के सार्वजनिक निवेश कोष ने लियो गोल्फ़ सिरीज़ भी लॉन्च की और चार सऊदी प्रो लीग फु़टबॉल क्लबों का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया, साथ ही यूके के क्लब न्यूकासल यूनाइटेड को भी खरीद लिया.

डेनिश संगठन 'प्ले द गेम' की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी अरब में फु़टबॉल संगठनों के साथ 900 से अधिक प्रायोजन के सौदे और दर्जनों औपचारिक समझौते हैं.

लेकिन फु़टबॉल विश्व कप का आयोजन सऊदी अरब की खेल क्रांति को बिल्कुल नए स्तर पर ले जाएगा जहां उसके लिए भविष्य में ओलंपिक की मेज़बानी की पेशकश करना असंभव नहीं होगा.

5. सऊदी अरब को इमेज सुधारने का अवसर? Pierre Crom/Getty Images नवंबर में एमनेस्टी के कार्यकर्ताओं ने नीदरलैंड्स में सऊदी अरब को मेज़बानी का विरोध किया था.

आलोचकों का मानना है कि सऊदी अरब को मेज़बानी देना फ़ीफ़ा के इतिहास में फ़ुटबॉल को नुक़सान पहुँचाने का सबसे बड़ा मामला है.

हालांकि ये बात भी माननी पड़ेगी कि हाल के वर्षों में देश में महत्वपूर्ण सुधार हुए हैं, जैसे कि महिलाओं के अधिकार लेकिन उनका मताधिकार से वंचित होना जारी है.

सऊदी अरब 2023 में मृत्युदंड देने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश था. इस साल 300 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई है.

कैंपेन ग्रुप रेप्रियो ने एक बयान में कहा है, "दुनिया की सबसे क्रूर सरकारों में से एक हिंसा से ध्यान हटाने के मकसद से, झूठी छवि पेश करने के लिए भारी रकम खर्च कर रहा है."

संगठन के अनुसार, "जिन लोगों को फाँसी दी गई है उनमें प्रदर्शनकारी और कुछ ऐसे लोग शामिल हैं जो बहुत कम मात्रा में नशीले पदार्थों के साथ पकड़े गए थे."

संगठन का कहना है कि 2034 में सऊदी अरब की यात्रा करने के इच्छुक प्रशंसकों को पता होना चाहिए कि उस देश में स्वतंत्रता व्यक्त करना मौत का कारण बन सकता है.

दूसरी ओर, सऊदी अधिकारियों का कहना है कि वे सुधारों की शुरूआत कर रहे हैं. 2018 में सऊदी अरब में महिलाओं को स्टेडियम में मैच देखने की अनुमति दी गई थी,

तब से एक पेशेवर महिला फु़टबॉल लीग और राष्ट्रीय टीम का गठन किया गया है और 70,000 से अधिक लड़कियां फु़टबॉल खेल रही हैं.

6. क्या सऊदी अरब में विश्व कप की वजह से आएगा बदलाव? Tasneem Alsultan/Bloomberg via Getty Images ये दिसंबर 2021 में सऊदी अरब के रियाद में हुए म्यूज़िक फ़ेस्टिवल का नज़ारा है. ऐसे आयोजन सऊदी अरब की बदलती छवि का संकेत माने जा रहे हैं.

2010 में जब क़तर को मेज़बानी सौंपी गई तो फ़ीफ़ा नेतृत्व हैरान रह गया. इस बार फ़ीफ़ा अध्यक्ष सऊदी अरब में विश्व कप का समर्थन कर रहे हैं.

क़तर की तरह, दक्षिण एशियाई प्रवासी सऊदी अरब में काम करेंगे, जहां एक करोड़ से अधिक प्रवासी रहते हैं.

फ़ीफ़ा की अपनी रिपोर्ट के मुताबिक़, क़तर में 2010 से 2022 तक ''विश्व कप से जुड़े कई कर्मचारियों के मानवाधिकार प्रभावित हुए और मौतों के अलावा बीमारी, समय पर वेतन न मिलना और कर्ज़ जैसी शिकायतें भी हुईं.''

पिछले साल, प्रिंस अब्दुलअज़ीज़ ने मुझे आश्वासन दिया था कि ''क़तर जैसा मामला सऊदी अरब में नहीं होगा.''

उन्होंने कहा था कि ''हमारे पास दस साल हैं, हमने कई जगहों पर काम शुरू कर दिया है इसलिए हमारे पास ठीक से काम करने के लिए काफी समय है.''

वहीं एमनेस्टी का कहना है कि ''फ़ीफ़ा की रिपोर्ट उसके मानवाधिकार रिकॉर्ड का चौंकाने वाला खुलासा है.''

7. खेलों के बारे में क्या कहता है फ़ीफ़ा का फै़सला?

सऊदी अरब में विश्व कप का आयोजन खेलों की दुनिया में बदलती शक्ति और मध्य पूर्व की ओर स्थानांतरित होने का संकेत है.

कुछ समय पहले तक, यह अकल्पनीय था कि छोटा-सा क़तर और उसका पड़ोसी सऊदी अरब सिर्फ 12 वर्षों में विश्व कप की मेज़बानी करेंगे.

सऊदी अरब कह सकता है कि हाल के वर्षों में अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजन की मेज़बानी करने वाला वह एकमात्र विवादास्पद देश नहीं है.

विश्व कप के अलावा दो दशकों के दौरान रूस में ओलंपिक का भी आयोजन हुआ है. चीन ने ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन ओलंपिक आयोजित किए हैं.

साल 2030 विश्व कप की सह-मेज़बानी करने वाले मोरोक्को में भी समलैंगिक संबंध अवैध हैं और क़तर में भी ऐसा ही क़ानून है.

एक आलोचना ये भी हो रही है कि सऊदी अरब में कार्यक्रम आयोजित करने से फु़टबॉल की दुनिया में मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता को नुक़सान होगा.

फ़ीफ़ा और सऊदी अरब के पास अब यह साबित करने के लिए एक दशक का समय है कि अगला मेगा इवेंट दागदार न हो.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां कर सकते हैं. आप हमें , , , और पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)