लेबनान में धमाकों से इसराइल के सामने हिज़्बुल्लाह झुकेगा या और भड़केगा
साल 1948 में जंग के बाद इसराइल अस्तित्व में आया था.
तब से अब तक इसराइल और फ़लस्तीन के बीच संघर्ष को देखें तो बीता एक साल सबसे ज़्यादा जानलेवा रहा है.
सात अक्तूबर 2023 को हमास ने इसराइल पर हमला किया था. तब से अब तक के संघर्ष को देखें तो मौजूदा वक़्त सबसे ख़तरनाक पलों में से एक है.
हिज़्बुल्लाह के कम्युनिकेशन नेटवर्क पर हमला करने से इसराइल की रणनीतिक तौर पर जीत हुई है. ये हमला कुछ ऐसा था, जैसा आप किसी सस्पेंस थ्रिलर किताब में पढ़ते हैं या थ्रिलर फ़िल्म में देखते हैं.
मगर ये संभावना भी है कि इस क़दम से इसराइल को रणनीतिक स्तर पर गंभीर नुक़सान हो सकता है.
इन हमलों से लेबनान के शक्तिशाली सैन्य और राजनीतिक अभियान का अपमान भले ही हुआ है, मगर इस कारण वो झुकेंगे नहीं.
इस क़दम से इसराइल हिज़्बुल्लाह को रोकने के अपने लक्ष्य को पाने के क़रीब नहीं पहुँचा है.
न ही इस क़दम से इसराइल की उत्तरी सरहद में रहने वाले 60 हज़ार से ज़्यादा इसराइली नागरिकों की घर वापसी का रास्ता खुल पाएगा. ये लोग जंग शुरू होने के बाद से सरहदी इलाक़े के अपने घरों में नहीं लौट सके हैं.
इसराइल ने ख़तरनाक और ख़ास तरह के 'हथियार' इस्तेमाल किए हैं. इसराइल की नज़र से देखा जाए तो साफ़ है कि ये 'हथियार' बहुत प्रभावशाली भी रहे.
वॉकी-टॉकी में हुए धमाकों से पहले आई मिडिल ईस्ट न्यूज़लेटर अल मॉनिटर की रिपोर्ट्स में कहा गया था- इसराइल ने इन हथियारों से जो उम्मीद लगाई थी, वो उन्हें वैसा इस्तेमाल नहीं कर पाया.
रिपोर्ट के मुताबिक़- इसराइल की असल योजना ये थी कि जब हिज़्बुल्लाह हमलों की चपेट में होगा, तब और हमले किए जाएंगे. ऐसा हुआ भी.
पेजर्स में धमाकों के बाद 18 सितंबर की शाम लेबनान में वॉकी-टॉकी में धमाके हुए. इन धमाकों में 20 लोग मारे गए और 450 से ज़्यादा लोग घायल हुए.
अल मॉनिटर की रिपोर्ट में कहा गया- पेजर हमला तो बस बड़े संघर्ष की शुरुआत थी. जो ज़्यादा आक्रामक रुख़ या शायद दक्षिणी लेबनान में घुसने की योजना का हिस्सा भर है.
लेकिन इन्हीं रिपोर्ट्स में कहा गया कि हिज़्बुल्लाह को शक होने लगा था. इस कारण इसराइल ये हमले जल्द कर सकता है.
इसराइल ने दिखा दिया है कि वो हिज़्बुल्लाह के कम्युनिकेशन नेटवर्क में घुस सकता है और उन्हें नीचा दिखा सकता है.
मगर इन हमलों से युद्ध के मैदान में खड़ा ये क्षेत्र एक इंच भी पीछे नहीं आया है बल्कि ये क्षेत्र जंग के और नज़दीक पहुंच गया है.
मध्य-पूर्व में संघर्ष कम होने से जुड़ी हर बात इस वक़्त ग़ज़ा पर निर्भर करती है.
लेबनान से संघर्ष हो, लाल सागर में हूतियों के किए हमले हों या इराक़ से तनाव हो. जब तक ग़ज़ा में जंग जारी है, तब तक मध्य-पूर्व की जंगी ज़मीन पर हालात बेहतर नहीं होंगे.
लेबनान में अमेरिकी दूत अमॉस होचसटिन महीनों से इस दिशा में जुटे हुए हैं. वो लेबनान से बात कर रहे हैं. अप्रत्यक्ष तौर पर वो हिज़्बुल्लाह से भी बात कर रहे हैं और इसराइल से भी.
कोशिश ये कि कूटनीति के ज़रिए संघर्ष को ख़त्म करने का रास्ता निकाला जाए.
ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि इसराइल ने अमेरिका को आख़िरी पलों तक अपनी इस योजना के बारे में नहीं बताया था. ऐसे में इस हरकत से अमेरिका की कोशिशों को भी मदद नहीं मिली होगी.
अमेरिका की भविष्यवाणी थी कि ग़ज़ा में सीज़फ़ायर क़रीब है. मगर अब हालात फिर वैसे हो गए हैं कि जहां से चीज़ों को बेहतर कर पाना मुश्किल नज़र आता है.
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एक तरफ़ हमास के नेता याह्या सिनवार हैं. जो ग़ज़ा पट्टी से हमेशा के लिए इसराइल को बाहर निकालना चाहते हैं. साथ ही इसराइली बंधकों को छोड़े जाने के बदले वो फ़लस्तीनी क़ैदियों की रिहाई चाहते हैं.
दूसरी तरफ़ इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू हैं, जो इस बात पर फँसे हुए हैं कि इसराइल हमास पर जीत हासिल कर लेगा.
इसराइल में इस रुख़ का अंजाम है कि जंग जितनी खिचेगी, नेतन्याहू को फ़ायदा होगा. फिर चाहे हमास की क़ैद में इसराइली बंधकों के परिवारों और समर्थकों की ओर से रिहाई का दबाव ही क्यों ना हो.
इसराइल की गठबंधन सरकार में नेतन्याहू के सहयोगियों ने भी ये धमकी दी है कि अगर हमास के साथ डील हुई तो सरकार गिरा दी जाएगी.
इसराइल और उसके सहयोगी ज़ोर देकर कहते हैं कि जंग को पुराने दुश्मन लेबनान के हिज़्बुल्लाह की तरफ़ ले जाना पूरी तरह वैध है और ये अपना बचाव है.
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इन ताज़ा हमलों से लेबनान और इस क्षेत्र में ग़ुस्सा है.
ये ग़ुस्सा इस बात पर भी है कि इसराइल ने हमला करते हुए आम लोगों, घायलों और मृतकों के परिवार की परवाह नहीं की. ये वो लोग हैं, जो हिज़्बुल्लाह लड़ाकों के साथ मारे गए या घायल हुए.
सीसीटीवी फुटेज में दिखता है कि एक पेजर भरे बाज़ार फटा.
लेबनान में रिपोर्ट्स हैं कि एक व्यक्ति का पेजर फटा और इसमें उसकी बच्ची मारी गई.
अभी हिज़्बुल्लाह इन हमलों से उबर रहा होगा, मगर धीरे से वो अपने आप को एक बार फिर एकजुट करेगा. वो संपर्क करने के दूसरे तरीके खोजेगा.
लेबनान छोटा देश है. यहां संदेश आसानी से इधर से उधर जा सकते हैं. पेजर धमाकों में लेबनान में ईरानी राजदूत भी घायल हुए.
इसमें कोई शक़ नहीं है कि हिज़्बुल्लाह और ईरान अभी अपने जख़्मों पर मरहम लगा रहे होंगे.
मगर इन ताज़ा हमलों से ये क्षेत्र एक बार फिर युद्ध की कगार पर पहुंच गया है.
देर सवेर अगर हालात यही रहे तो ये क्षेत्र युद्ध के मैदान में होगा.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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