भारत बनाम न्यूज़ीलैंड: रोहित शर्मा की टीम पर बेंगलुरु में हार के बाद अब साख बचाने की चुनौती

Hero Image
Getty Images

अमूमन यह कम ही होता है कि भारतीय क्रिकेट टीम बादलों से बरसने की विनती कर रही हो, ख़ासकर तब, जब टीम अपने घर में खेल रही हो. साल 2013 से टीम इंडिया सिर्फ़ चार टेस्ट हारी थी.

भारत में खेली जाने वाली तीन टेस्ट मैचों की सिरीज़ का पहला टेस्ट न्यूज़ीलैंड ने जीत लिया है.

36 साल में पहली बार न्यूज़ीलैंड की टीम ने भारत में टेस्ट मैच जीता है. कीवी टीम ने बेंगलुरु टेस्ट में आठ विकेट से जीत दर्जकर तीन मैचों की सिरीज़ में 1-0 से बढ़त बना ली है.

अब भारत के सामने लगातार 18 सिरीज़ की जीत के विश्व रिकॉर्ड को बचाए रखने की चुनौती है.

BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए

मैच के बाद भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने कहा, "हमने नहीं सोचा था कि पहली पारी में हम 46 रन पर ऑलआउट हो जाएंगे लेकिन इसका श्रेय न्यूज़ीलैंड को जाता है. उन्होंने हमें पीछे धकेल दिया."

"हमें सकारात्मक चीज़ों को आगे लेकर चलना होगा. हमने पहले भी ऐसी परिस्थितियों का सामना किया है. हम पहले भी घर में हारे हैं. खेल में ऐसा होता रहता है. अभी दो टेस्ट बाक़ी हैं, हम जानते हैं कि हमें क्या करना है और अगले दो टेस्ट में हम सब कुछ झोंक देंगे."

वहीं न्यूज़ीलैंड के कप्तान टॉम लैथम अपनी टीम की इस ऐतिहासिक जीत से बहुत खुश थे. उन्होंने कहा, "हम बल्लेबाज़ी करना चाहते थे मगर टॉस हारना अच्छा साबित हुआ. पहली पारी में हमारी टीम ने शानदार गेंदबाज़ी की और उसे उसका पुरस्कार मिला."

हार कर भारत आए हैं कीवी

सितंबर में अफ़ग़ानिस्तान और न्यूज़ीलैंड के बीच इकलौता टेस्ट मैच बारिश की भेंट चढ़ गया था.

उसके बाद टीम श्रीलंका के दौरे पर गई जहां उन्हें 0-2 से करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा.

वहीं सितंबर-अक्टूबर में खेले गए भारत-बांग्लादेश सिरीज़ को भारत ने 2-0 से व्हाइटवॉश किया था. लेकिन बीते दिनों के खेल में गेंद और बल्ले के ज़बरदस्त प्रदर्शन से न्यूज़ीलैंड ने बेंगलुरु टेस्ट जीतकर सिरीज़ की शानदार शुरुआत की है.

नई गेंद के सामने भारतीय बल्लेबाज़ी चरमरा गई. टीम मैनेजमेंट ने भी मैच में कई ग़लत फ़ैसले लिए.

अपने मैदान पर दमदार रिकॉर्ड रखने वाली भारतीय क्रिकेट टीम के लिए रविवार की सुबह अलग थी.

कप्तान रोहित शर्मा और कोच गौतम गंभीर सहित पूरी टीम बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के पवेलियन में बैठकर चाय-पकौड़ों के साथ दिनभर बारिश का लुत्फ़ उठाना चाह रही थी. मगर इंद्र देव पर सूर्य भगवान भारी पड़ गए.

तक़रीबन एक घंटे की देरी हुई, मगर मैच शुरु हो गया. 107 रनों का लक्ष्य न्यूज़ीलैंड के लिए कहाँ मुश्किल था!

टेस्ट इतिहास में पहली पारी में 50 से कम स्कोर पर ऑल आउट हो जाने के बाद टेस्ट ड्रॉ कराने का कारनामा सिर्फ़ एक बार देखने को मिला है. 122 साल पहले, मई 1902 में बर्मिंघम टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया की टीम महज़ 36 रन पर आउट हो गई थी मगर ऑस्ट्रेलियाई टीम टेस्ट ड्रॉ कराने में कामयाब रही थी.

अब विश्व रिकॉर्ड बचाने की चुनौती

2013 से मौजूदा वक्त तक 18 सिरीज़ जीतकर भारत के पास घरेलू मैदान पर लगातार सबसे अधिक टेस्ट सिरीज़ जीतने का रिकॉर्ड है. ऑस्ट्रेलिया लगातार 10 जीत की दो श्रृंखलाओं के साथ दूसरे स्थान पर है, जबकि वेस्टइंडीज और दक्षिण अफ़्रीका ने 8 और 7 लगातार घरेलू श्रृंखला जीत हासिल की है. मौजूदा सिरीज़ में दो और टेस्ट मैच खेले जाने हैं.

भारत के लिए टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करने का फ़ैसला ग़लत साबित हुआ. बाद में कप्तान रोहित शर्मा ने इस बात को स्वीकार भी किया.

एक ग़लत फ़ैसले के कारण टीम इंडिया को टेस्ट क्रिकेट में अपने सबसे बुरे दिनों में से एक का सामना करना पड़ा. बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम की पिच पर मज़बूत भारतीय बल्लेबाज़ी ताश के पत्तों की तरह ढह गई.

मैच का पहला दिन बारिश की भेंट चढ़ गया. दूसरे दिन रोहित शर्मा ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करने का फ़ैसला किया.

ANI टेस्ट इतिहास में पहली पारी में 50 से कम स्कोर पर ऑल आउट हो जाने के बाद टेस्ट ड्रॉ कराने का कारनामा सिर्फ़ एक बार देखने को मिला है

ये भारतीय टीम मैनेजमेंट की तरफ से बड़ी चूक थी. पिच और परिस्थितियाँ तेज़ गेंदबाज़ी के लिए अनुकूल थीं. ऐसे में न्यूज़ीलैंड के तेज़ गेंदबाज़ों ने भारतीय टीम को 46 रनों पर समेट दिया.

मैट हेनरी ने पाँच विकेट लिए जबकि पहली बार भारत में खेल रहे 23 साल के युवा विलियम ओ’रोक ने विराट कोहली और केएल राहुल सहित चार विकेट लिए. मैच हेनरी ने टेस्ट में सौ विकेट लेने का आँकड़ा भी पार कर लिया.

ये टेस्ट इतिहास में भारत का तीसरा सबसे छोटा स्कोर है और घरेलू मैदान पर न्यूनतम.

साल 2020 में एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ विराट कोहली की टीम 36 रन पर ऑल आउट हो गई थी. 1974 में लॉर्ड्स में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ भारतीय टीम दूसरी पारी में 42 रनों पर ऑल आउट हो गई थी. तब कप्तान थे अजीत वाडेकर.

प्लेइंग इलेवन में भी चूक

जब अनुभवी टीम मैनेजमेंट पिच को ही नहीं पढ़ पाया तो, प्लेइंग इलेवन में भी ग़लती होनी ही थी.

फ़ॉर्म में चल रहे मीडियम पेसर आकाश दीप की जगह कुलदीप यादव को टीम में रखा गया. रोहित शर्मा ने इस ग़लती को भी माना.

उन्होंने कहा, "हमने देखा कि पिच पर घास नहीं थी, हमने सोचा कि पहले कुछ सत्रों में जो होगा सो होगा और जैसे-जैसे खेल आगे बढ़ेगा यह बदल जाएगा. जब भी हम भारत में खेलते हैं, पहला सत्र महत्वपूर्ण होता है और फिर स्पिनर खेल में आते हैं."

"कुलदीप को लाने का कारण यह था कि उन्होंने सपाट पिचों पर विकेट लिए हैं. इसलिए, हमें उम्मीद थी कि पिच पहले से अधिक सपाट होगी. ज़ाहिर है, यह पिच का ग़लत आकलन था. मैंने पिच को ठीक से नहीं पढ़ा."

रविंद्र का जलवा, टेस्ट का रोमांच

जबतक न्यूज़ीलैंड की टीम बल्लेबाज़ी करने आई, तब तक पिच अपेक्षाकृत बल्लेबाज़ी के लिए आसान हो गई थी.

डेवन कॉनवे ने 91 रनों की पारी खेली तो बेंगलुरु से ताल्लुक़ रखने वाले रचिन रविंद्र ने 134 रन बनाकर कीवी टीम को 356 रनों की बढ़त दिला दी.

Getty Images रचिन रविंद्र ने 134 रन बनाकर कीवी टीम को 356 रनों की बढ़त दिला दी

पहली पारी की नाकामियों के भूलाकर भारतीय बल्लेबाज़ों ने असंभव को संभव कर दिखाने की पूरी कोशिश की.

दूसरी पारी में यशस्वी जयसवाल ने 35, रोहित शर्मा ने 52 और विराट कोहली ने 70 रनों की पारी खेली. इनके बाद सरफ़राज़ ख़ान और ऋषभ पंत ने 177 रन जोड़े और लगा कि भारत मैच ड्रॉ करा कर 122 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ देगी.

लेकिन दूसरी पारी में नई गेंद लेने के बाद न्यूज़ीलैंड के गेंदबाज़ों ने 62 रन देकर बाक़ी बचे सात विकेट चटका लिए. इसके बाद उनके सामने जीत के लिए 107 रनों का मामूली लक्ष्य था.

भारतीय टीम इससे पहले इस तरह के लक्ष्य की रक्षा कर चुकी है. साल 2004 में वानखेड़े में भारतीय टीम ने पहली पारी में 104 रन बनाए थे, लेकिन टीम ने ऑस्ट्रेलिया को जीतने नहीं दिया था.

उस वक्त रिकी पॉन्टिंग की टीम दूसरी पारी में 93 रन पर सिमट गई थी. हरभजन सिंह ने पाँच और मुरली कार्तिक ने तीन विकेट हासिल किए थे. उस वक्त भारतीय टीम के कप्तान थे राहुल द्रविड़.

सरफ़राज़-पंत का शानदार प्रदर्शन, राहुल पर सवाल

अंडर19 टीममेट सरफ़राज़ ख़ान और ऋषभ पंत ने 35.1 ओवर में 177 रनों की साझेदारी कर डाली.

सरफ़राज़ ने अपने पहले टेस्ट शतक को 150 में बदल दिया, यह प्रथम श्रेणी के उनके 16 शतकों में से 150 या उससे अधिक का 11वां स्कोर था.

जानलेवा सड़क दुर्घटना के बाद नित नई कहानी लिख रहे ऋषभ पंत एक रन से शतक से चूक गए. उन्होंने 105 गेंदों पर 99 रन बनाए.

ANI सरफ़राज़ ख़ान और ऋषभ पंत के बीच हुई 177 रनों की साझेदारी

भारत के मध्यक्रम के बल्लेबाज़ सरफ़राज़ ख़ान ने मौक़े का भरपूर फायदा उठाया.

चोटिल शुभमन गिल की जगह लेते हुए सरफ़राज़ ने ज़बरदस्त पारी खेली और ऑस्ट्रेलिया के बहुप्रतीक्षित दौरे के लिए अपनी दावेदारी मज़बूत कर ली है.

सरफ़राज़ ने विराट कोहली के साथ 136 और पंत के साथ 177 रनों की साझेदारी की.

आमतौर पर टॉप ऑर्डर में बल्लेबाज़ी करते रहे केएल राहुल को बांग्लादेश सिरीज़ से नंबर-6 पर भेजा जा रहा है लेकिन उनकी क़िस्मत नहीं बदल पायी है.

वो बांग्लादेश के साथ सिरीज़ में एक अर्धशतक बना पाए. शनिवार को उन्हें दिन के अंतिम घंटे में बल्लेबाज़ी करने को मिला. तब तक न्यूज़ीलैंड में दूसरी गेंद ले ली थी. राहुल 16 गेंदों पर 12 रन बना पाए.

मांजरेकर बने मुरीद

पूर्व क्रिकेटर और कमेंटेटर संजय मांजरेकर सरफ़राज ख़ान की जमकर तारीफ़ कर रहे हैं.

उनका कहना है, "जिस तरह से वह तेज गेंदबाज़ों को खेलते हैं, उसे देखकर बहुत खुशी हुई. उन्होंने इंग्लैंड के ख़िलाफ़ पहले भी तेज़ गेंदबाज़ों को खेला है. यह पिच उन विदेशी पिचों के समान थी जो हमें मिलती है, जहां थोड़ी गति और उछाल होती है. दिलचस्प बात यह है कि मैं ऑस्ट्रेलिया की एक सपाट पिच पर उसकी कल्पना कर रहा हूं, जहां बहुत अधिक सीम मूवमेंट नहीं है."

"वह जो शॉट खेलते हैं उससे ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ों को माइग्रेन होने वाला है. उनमें निश्चितता है, शांति है और अगर आप सरफ़राज़ का क्लोज़-अप देखें, तो वह हमेशा अपने बल्ले पर गेंद को देखते रहते हैं."

"उनकी आँखों और हाथों के बीच ज़बरदस्त तालमेल है. उनकी तकनीक ऑस्ट्रेलिया के लिए ख़राब नहीं है. मैं बेसब्री से देखना चाहता हूँ कि ऑस्ट्रेलिया में उनका प्रदर्शन कैसा रहता है. उन्हें ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ भारत की प्लेइंग इलेवेन में शामिल होना चाहिए."

ANI सरफ़राज़ ख़ान आठ विकेट से दमदार जीत

तो बारिश के कारण अंतिम दिन खेल थोड़ी देरी से शुरू हुआ. बादलों से भरे आसमान के नीचे गेंदबाज़ी करते हुए बुमराह ने शानदार कौशल और नियंत्रण दिखाया और टॉम लैथम को जल्दी आउट कर दिया.

सिराज ने भी कसी हुई गेंदबाज़ी की.

लेकिन डेवन कॉनवे और विल यंग ने सूझबूझ से बल्लेबाज़ी की.

यंग और रचिन रविंद्र ने आख़िरकार, 36 साल का सूखा ख़त्म कर दिया. आख़िरी बार न्यूज़ीलैंड ने भारत में नवंबर 1988 में कोई टेस्ट जीता था.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां कर सकते हैं. आप हमें , , , और पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)