आप्रवासियों के बिना कैसा दिखेगा अमेरिका?

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Getty Images अमेरिकी श्रम विभाग के सर्वेक्षण के अनुसार, अमेरिका के कृषि मज़दूरों में से 70 फ़ीसदी आप्रवासी हैं.

अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में आप्रवासन (इमिग्रेशन) एक बड़ा मुद्दा है.

रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस दोनों ही मैक्सिको की सीमा से देश में प्रवेश करने वालों पर नियंत्रण लगाने की बात कर रहे हैं.

डोनाल्ड ट्रंप बार-बार चेतावनी दे रहे हैं कि बिना डॉक्यूमेंट वाले प्रवासी लोगों को वापस भेजा जाएगा. वहीं, कमला हैरिस ने कहा कि ट्रंप भड़का रहे हैं.

हालांकि, हैरिस कई बार दोहरा चुकी हैं कि वो सीमा सुरक्षा बिल के साथ हैं.

इसके तहत सीमा पर दीवार बनाने के लिए करोड़ों डॉलर देना शामिल है, लेकिन अमेरिका में आप्रवासन क्या भूमिका निभाता है? अगर आप्रवासी नहीं होंगे तो क्या होगा?

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अमेरिका की जनसंख्या Getty Images साल 2023 के आख़िर में रिकॉर्ड संख्या में लोग मेक्सिको से अमेरिका आए. लेकिन तब से यह संख्या चार साल के निचले स्तर पर आ चुकी है.

आप्रवासियों के बिना अमेरिका की जनसंख्या काफ़ी कम होगी. विदेशी धरती पर पैदा हुए लोगों की अमेरिका में आबादी 2023 में अब तक सबसे ज़्यादा 4.78 करोड़ थी.

ये अमेरिका की जनसंख्या का 14.3 प्रतिशत है. इसमें मैक्सिको के सबसे अधिक 1.06 करोड़ लोग हैं. वहीं भारतीय मूल के 28 लाख चीन के 25 लाख लोग हैं.

जहां एक तरफ प्रवासी कर्मचारियों की संख्या रिकॉर्ड स्तर पर है, वहीं अमेरिका में जन्म दर में कमी आने के कारण जनसंख्या नहीं बढ़ रही है.

साल 2010 से 2020 के बीच यानी एक दशक में अमेरिका में 1930 के दशक के बाद पहली बार सबसे कम दर से जनसंख्या में वृद्धि हुई थी.

1930 के दशक में महामंदी के कारण जन्म दर में गिरावट आई थी.

इसका मतलब ये हुआ कि अमेरिका भी दूसरे देशों की तरह बुज़ुर्गों की बढ़ती आबादी की समस्या झेल रहा है. इसके साथ स्वास्थ्य से संबंधी ख़र्च बढ़ रहा है. कामकाजी उम्र के लोग कम हो रहे हैं.

कांग्रेस के बजट ऑफिस के अनुसार 2040 में मौतें, जन्म से अधिक हो जाएंगी. फिर आप्रवासन जनसंख्य़ा में वृद्धि के लिए जिम्मेदार होगा.

इस कारण कई अर्थशास्त्री और आप्रवासन के समर्थक ग्रुपों का कहना है कि आप्रवासन को अर्थव्यवस्था की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ाने की अनुमति दी जानी चाहिए.

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अर्थव्यवस्था पर असर Getty Images अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप के बीच बहस को सुनते हुए आप्रवासी

बॉस्टन यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के एसोसिएट प्रोफ़ेसर तारिक हसन कहते हैं कि आप्रवासियों के न होने का बड़ा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा.

वो कहते हैं, "अगर आप आप्रवासियों को पूरी तरह हटा दें, तो ये मान लीजिए कि प्रति व्यक्ति जीडीपी में 5 से 10 फ़ीसदी तक की गिरावट आएगी. मतलब कुछ लोगों के कम होने का असर जीडीपी पर पड़ेगा."

तारिक़ हसन कहते हैं कि उनकी रिसर्च इस बात की तरफ़ इशारा करती है, "आप्रवासन से इनोवेशन को बढ़ावा मिलता है, इससे उत्पादकता में इज़ाफ़ा होता है और ये किसी एक सेक्टर तक सीमित नहीं है."

एक बात ये भी है कि आप्रवासियों की उम्र तुलनात्मक रूप से कम होती है और ये संभावना रहती है कि वे काम करेंगे.

अमेरिकियों की कुल आबादी का 14 फ़ीसदी आप्रवासी हैं. अमेरिका के सिविल सेक्टर में काम करने वाले 3.1 करोड़ लोगों में लगभग 19 फ़ीसदी आप्रवासी हैं.

सरकारी संस्था ब्यूरो ऑफ़ लेबर स्टास्टिस्टिक्स के अनुसार अमेरिका की लेबर फोर्स में आप्रवासियों की हिस्सेदारी की दर अमेरिका में ही जन्मे यहां के मूल निवासियों की तुलना में अधिक है.

कांग्रेस के बजट ऑफ़िस के पूर्वानुमान के अनुसार 2022 से 2034 के बीच अमेरिका आने वाले 16 साल या इससे अधिक की उम्र के लगभग 91 फ़ीसदी आप्रवासियों की उम्र 55 साल से कम होने की उम्मीद है, ये कुल वयस्क आबादी का केवल 62 फ़ीसदी है.

कृषि जैसे अर्थव्यवस्था के कुछ हिस्से तो पूरी तरह आप्रवासी मज़दूरों पर ही निर्भर हैं.

लेबर मंत्रालय के नेशनल एग्रीकल्चरल वर्कर्स सर्वे के अनुसार खेतों में काम करने वाले 70 फ़ीसदी मज़दूर आप्रवासी हैं, हालांकि इस सेक्टर से जुड़े कई मज़दूरों के पास अभी दस्तावेज़ भी नहीं हैं.

नान वू अमेरिकी आप्रवासी काउंसिल (एआईसी) में रिसर्च डायरेक्टर हैं और आप्रवासियों के हक़ की बात करने वाले समूह से जुड़ी हैं.

वो कहती हैं, "आप्रवासियों को हटाने का मतलब होगा कि खेती करने, फल और सब्ज़ियों को तोड़ने और त्योहार के सीज़न में बाज़ार की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए खेतों के मालिकों को मज़दूर नहीं मिलेंगे."

आप्रसावन की आलोचना करने वालों की एक दलील ये होती है कि बड़ी संख्या में विदेश से आने वाले कामगार कम वेतन पर काम करने के लिए तैयार हो जाते हैं और इससे अमेरिका के नागरिकों को भी कम वेतन पर काम करने को बाध्य होना पड़ता है.

लेकिन साल 2014 में यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया ने अर्थव्यवस्था पर आप्रवासन के असर को लेकर हुई 27 स्टडीज़ का एक रिव्यू किया.

इसका निष्कर्ष ये निकला कि अमेरिका में जन्मे यहां के नागरिकों के वेतन पर आप्रवासन का औसत असर शून्य के बराबर है.

हाल के वक्त में इसी मुद्दे पर एक स्टडी ईस्टर्न इलिनॉय यूनिवर्सिटी ने भी की.

इसमें कहा गया कि हो सकता है कि आप्रवासियों की संख्या में इज़ाफ़े का वेतन बढ़ने पर "सकारात्मक असर पड़े, हालांकि स्टेटिस्टिक्स के हिसाब से ये बेहद कम है."

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टैक्स पर क्या असर? Getty Images कुल आप्रवासी आबादी का क़रीब 23 फ़ीसदी हिस्सा ग़ैर-दस्तावेज़ आप्रवासियों का है.

लेकिन, सवाल ये है कि कर राजस्व पर पड़ने वाले असर का क्या?

एआईसी के विश्लेषण के अनुसार, साल 2022 में आप्रवासी परिवारों ने सभी टैक्स डॉलर्स का लगभग छठवां हिस्सा यानी 580 बिलियन डॉलर्स का योगदान दिया था.

संगठन की सुश्री वु कहती हैं कि केवल क़ानूनी रूप से आने वाले आप्रवासी ही कर में योगदान नहीं करते हैं.

प्यू रिसर्च सेंटर थिंक टैंक के विश्लेषण के अनुसार, बिना दस्तावेज़ आप्रवासियों की संख्या कुल आप्रवासी आबादी की लगभग 23 फ़ीसदी है. क़रीब 1.1 करोड़ आप्रवासियों में से 40 लाख मेक्सिको से हैं.

इंस्टीट्यूट ऑन टैक्सेशन एंड इकोनॉमिक पॉलिसी के एक अध्ययन में यह बात सामने आई कि बिना दस्तावेज़ वाले आप्रवासियों ने साल 2022 में संघीय, राज्य और स्थानीय करों में क़रीब 100 अरब डॉलर का भुगतान किया था.

हालांकि, डेनियल कोस्टा का कहना है कि आप्रवासन का आर्थिक प्रभाव राष्ट्रीय स्तर पर सकारात्मक हो सकता है. मगर, कुछ राज्यों में यह नकारात्मक भी हो सकता है. खासतौर पर कम समय के लिए.

डेनियल कोस्टा एक थिंक टैंक, इकोनॉमिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट में इमिग्रेशन लॉ एंड पॉलिसी रिसर्च के निदेशक हैं.

हाल ही में हुए एक अध्ययन में, उन्होंने और उनकी टीम ने कम वेतन पाने वाले लेकिन लाभ के पात्र होने वाले आप्रवासियों की एक बड़ी संख्या का उदाहरण देते हुए कहा था कि "कम समय में राजकोषीय संतुलन नकारात्मक प्रभाव की ओर झुका रहा है".

यही वजह है कि वह और उनकी टीम यह तर्क देती है कि संघीय से लेकर राज्य स्तर तक ज़्यादा राशि को फिर से बांटा जाए जिससे ज्यादा आबादी वाले आप्रवासन क्षेत्र चुनौतियों से निपट पाएं.

वर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया के आप्रवासीय मामलों के विशेषज्ञ और अर्थशास्त्री प्रोफ़ेसर जियोवानी पेरी कहते हैं "अगर निर्माण कार्य व्यवस्थित नहीं किया जाता है, तो सेवाओं और आवास पर भी दबाव बढ़ेगा. बात केवल इतनी है कि आप्रवासियों को बाहर करना आसान है".

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बाहर से आने वालों ने खड़ी की बड़ी कंपनियां Getty Images अमेरिका की सबसे मूल्यवान कंपनियों में से एक है एप्पल, जिसकी स्थापना एक सीरियाई आप्रवासी के बेटे स्टीव जॉब्स ने की थी.

आप्रवासियों या उनके बच्चों का एक बड़ा हिस्से ने बिजनेस में अच्छा नाम कमाया है.

राजस्व के हिसाब से 500 सबसे बड़ी अमेरिकी कंपनियों की वार्षिक सूची में क़रीब 45 फ़ीसदी कंपनियां आप्रवासियों या उनके बच्चों ने स्थापित की थी.

वहीं, 1 अरब डॉलर या उससे अधिक मूल्य के 55 फ़ीसदी अमेरिकी स्टार्ट-अप्स की स्थापना आप्रवासियों ने की है.

आप्रवासियों ने वैश्विक तकनीकी प्रगति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिनमें से कई तो शुरुआत में अंतरराष्ट्रीय छात्र के रूप में अमेरिका आए थे.

एसोसिएशन ऑफ इंटरनेशनल एजुकेटर्स के अनुसार, 2022-2023 शैक्षणिक वर्ष में, दस लाख से अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्रों ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था में 40 अरब डॉलर का योगदान दिया.

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जनता की राय Getty Images हाल ही में एक गैलप सर्वे किया गया. इसमें यह बात सामने आई कि आधे से ज़्यादा अमेरिकी चाहते हैं कि आप्रवासन कम हो.

हाल ही में गैलप सर्वेक्षण में पाया गया कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में आप्रवासियों की भूमिका के बावजूद 55 फ़ीसदी अमेरिकी आप्रवासन को कम होते देखना चाहते हैं.

इस मामले पर व्यापक राजनीतिक सहमति भी है कि आप्रवासन पर कड़ा नियंत्रण किया जाना चाहिए. खासकर मेक्सिको की सीमा पर ग़ैरक़ानूनी ढंग से अमेरिका में प्रवेश करने को लेकर.

प्रोफ़ेसर पेरी का कहना है कि कुछ राजनीतिज्ञ और प्रेस आप्रवासन के मामले को "सीमा पर अराजकता" के समान दिखाते हैं.

ऐसे में यह आप्रवासन के व्यापक प्रभाव के बजाय अवैध प्रवेश की कहानियों पर ध्यान केंद्रित कर दिया जाता है.

इसके नतीजे को लेकर वह कहते हैं, "फ़िर अर्थव्यवस्था में आप्रवासियों की भूमिका और जनसांख्यिकीय गिरावट की भरपाई के बारे में चर्चा करने के बजाय, लोग अक्सर दक्षिणी सीमा से आने वाले आप्रवासन को 'बाढ़' के रूप में देखते-सुनते हैं, और उन्हें लगता है कि यह अत्यधिक और हानिकारक है."

बोस्टन यूनिवर्सिटी के तारिक हसन के अनुसार, "पिछले दो दशकों में, आप्रवासन विशेष रूप से अधिक रहा है."

वह कहते हैं, "जबकि आप्रवासन आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है और ऐसे पहलू भी हो सकते हैं, जिनसे लोग सहज नहीं हैं."

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