भारत का एक गाँव, जहां गाली देने वालों से वसूला जाता है जुर्माना
"मैं बहुत गुस्सा थी. अगर कोई ऐसे मेरी माँ-बहन का अपमान करता है, तो मुझे गुस्सा आता है. इसका कहीं न कहीं विरोध तो होना चाहिए था. हमारे गाँव ने इस पर फ़ैसला लिया. इसलिए, मुझे अपने गाँव पर गर्व है."
यह बात सौंदाला गाँव की मंगल चामुटे ने कही. हम उनसे दोपहर के समय गाँव में मिले थे.
सौंदाला गाँव अहिल्यानगर (अहमदनगर) ज़िले के नेवासा तालुका में है, जिसकी आबादी लगभग 1800 है.
यह गाँव फिलहाल चर्चा में है, क्योंकि इस गाँव में माँ-बहन की गाली देने वालों से जुर्माना वसूला जा रहा है. इसके लिए ग्राम पंचायत ने एक प्रस्ताव पास किया है.
BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिएगाँव में प्रवेश करते समय हमें एक बड़ा बैनर दिखाई दिया. उस पर इस संकल्प से जुड़ी बातें लिखी थीं. यहां ग्राम पंचायत कार्यालय के पास हमारी मुलाक़ात सरपंच शरद अरगड़े से हुई.
संकल्प के बारे में जानकारी देते हुए अरगड़े ने कहा, "इस संकल्प का शीर्षक है, 'यह माताओं और बहनों के सम्मान के लिए है."
"जिस महिला की कोख में 9 महीने गुज़ारने के बाद हमने जन्म लिया, वह कितनी पवित्र देह है. हमें उस पवित्र देह का अपमान नहीं करना चाहिए."
"जब हम इसे गाली देते हैं, तो हम अपनी मां-बहन को ही गाली दे रहे होते हैं. ग्राम सभा ने गाली देने वालों पर 500 रुपये का जुर्माना लगाने का फ़ैसला किया है."
गाँव में घूमते हुए जगह-जगह इस संकल्प के पोस्टर देखे जा सकते हैं. ज्ञानेश्वर थोरात गाँव के एक चौराहे पर अपने दोस्तों के साथ चर्चा कर रहे थे.
जब उनसे इस प्रस्ताव के बारे में हमने पूछा, तो उन्होंने कहा, "यह सही फ़ैसला है, क्योंकि कई बार जब दोस्त एकसाथ बैठते हैं, तो बिना वजह वो एक-दूसरे को मां-बहन की गालियां दे देते हैं. यह ग़लत है.''
''क्योंकि, यह सही बात नहीं है कि लड़ाई हम दोस्तों के बीच हो, और हम उसमें परिवार को बीच में ले आएं. जो फ़ैसला लिया गया है, वो अच्छा है. क्योंकि, जुर्माने के डर से कोई उनको (माँ-बहन) कम से कम गाली तो नहीं देगा.''
सौंदाला गाँव की महिलाएं इस फ़ैसले को महत्वपूर्ण मानती हैं.
एक ग्रामीण ज्योति बोधक कहती हैं, "हमारे सौंदाला गाँव में, ग्राम पंचायत ने 500 रुपये का जुर्माना वसूलने का फ़ैसला किया है. ताकि जब लोग 500 रुपये का जुर्माना देंगे, तो गालियां भी कम हो जाएंगी."
इस संकल्प को 28 नवंबर, 2024 को अपनाया और लागू किया गया. गाँव में गाली देने वालों से जुर्माना वसूला गया.
सरपंच शरद अरगड़े ने कहा, "खेत के बांध को लेकर दोनों के बीच विवाद था. इस बात का असर दोनों के घर पर भी पहुंचा. दोनों ने एक-दूसरे को गालियां दीं. दोनों ने ईमानदारी से यह कबूल भी किया.''
''मैं अगली सुबह बांध पर गया. हमने तय किया कि खेत के बांधपर खंभे लगा कर इस विवाद का निपटारा करेंगे. दोनों ने यह बात मान ली थी कि उन्होंने एक-दूसरे को गालियां दी हैं.''
''इसके बाद, दोनों ने 500-500 रुपये का जुर्माना दिया.''
लेकिन, अगर कोई गाली देने के बाद भी जुर्माना भरने से इनकार कर दे, तो क्या होगा? ग्राम पंचायत ने इसके लिए भी प्रावधान बनाया है.
BBCसरपंच अरगड़े ने कहा, "हमने सोचा कि सबसे पहले इस बात को ग्राम पंचायत कार्यालय में रजिस्टर करना चाहिए. इसके बाद, उनको (गाली देने वाले को) नोटिस दिया जाना चाहिए.''
''यदि वह नोटिस देने के बाद भी जुर्माना नहीं चुकाते हैं, तो हमें इस बारे में कुछ करना होगा.''
''उस स्थिति में, हमें उन पर दबाव बनाकर यह जुर्माना वसूलना होगा. हम उनको इसके अलावा और कोई दस्तावेज़ नहीं देंगे."
ये भी पढ़ेंअक्सर, जब ग्राम सभा कोई निर्णय लेती है, तो गाँव के कई लोग या तो खेतों में होते हैं या फिर किसी काम के लिए बाहर होते हैं. इसलिए, वह ग्राम सभा में शामिल नहीं हो सकते.
ऐसी स्थिति में, गाँव में जगह-जगह बैनर लगवा दिए गए हैं, ताकि लोगों को सौंदाला ग्राम पंचायत द्वारा हाल ही में पास किए गए संकल्पों के बारे में जानकारी मिल सके.
इसके ज़रिए, संकल्पों के प्रति लोगों में जागरूकता फ़ैलाई गई.
यह नियम पुरुष और महिला दोनों पर लागू होगा, जो गाली देते हैं. लेकिन, गाली देने वालों पर नज़र कैसे रखी जाएगी?
सरपंच अरगड़े ने कहा, "हमने गाँव में हर जगह सीसीटीवी लगाए हैं और सीसीटीवी में माइक्रोफोन्स लगे हैं. जब भी कोई व्यक्ति सार्वजनिक रूप से गाली देता है, तो जोर-जोर से गाली देता है."
"उसके बाद उस पर एक सत्यापन होगा. दूसरी बात, जब बहस शुरू होती है, तो यह दो लोगों के बीच होती है, लेकिन वहां दस-बारह लोग इकट्ठे हो जाते हैं और फिर वही बाकी लोग यह बताते हैं कि उन्होंने गाली दी."
ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे फ़ैसलों को भावी पीढ़ियों के लिए गंभीरता से लागू किया जाना चाहिए.
सौंदला गाँव की ग्राम सेविका प्रतिभा पिसोटे ने कहा, "जब हम वयस्क गाली देते हैं या अनुचित भाषा में बात करते हैं, तो बच्चे उसकी नकल करते हैं."
"इसलिए, अगर हम खुद से शुरुआत करें और इसे रोकने की कोशिश करें, तो निश्चित रूप से इस पर लगाम कसने में मदद मिलेगी."
गाली देने पर रोक लगाने के अलावा, ग्राम पंचायत ने शाम 7 से 9 बजे के बीच स्कूली बच्चों द्वारा मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर भी रोक लगाने का फ़ैसला किया है. माता-पिता इसे लागू कर रहे हैं.
मंगल चामुटे का बेटा गाँव के स्कूल में दूसरी कक्षा में पढ़ता है.
ग्राम पंचायत के फ़ैसले के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, "हम बच्चों से कहते हैं कि हमारी ग्राम पंचायत ने फ़ैसला लिया है कि बच्चों को 7 से 9 बजे के बीच मोबाइल फोन नहीं देना है."
"उसके बाद हमारे बच्चे खुद कहते हैं, 'हमें पढ़ाओ, हमारी फोटो खींचो. उन्हें ग्रुप में डालें.'
सरपंच अरगड़े ने गाँव के व्हाट्सएप ग्रुप पर आई पढ़ाई कर रहे बच्चों की तस्वीरें भी दिखाईं.
इस बीच, सौंदाला के ग्रामीणों ने अपील की है कि अन्य गाँवों को भी अनुचित भाषा पर रोक लगाने के लिए कदम उठाना चाहिए, ताकि उनकी माँ-बहनों का अपमान न हो.
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