कोटा स्कूल विवाद: कलमा पढ़वाने के आरोप पर बवाल, पुलिस ने बताया – सर्वधर्म सभा का 2018 का वीडियो
कोटा। राजस्थान के कोटा जिले में एक निजी स्कूल को लेकर विवाद छिड़ गया है। आरोप है कि स्कूल में बच्चों से कलमा पढ़वाया गया, जिससे हिंदू संगठनों में नाराजगी फैल गई। बोरखेड़ा के देवली अरब इलाके के एक स्कूल का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें बच्चे एक इस्लामिक प्रार्थना बोलते नजर आ रहे हैं। इसे लेकर विश्व हिंदू परिषद (VHP) सहित कई संगठनों ने स्कूल प्रशासन पर आरोप लगाए और कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल, हिंदू संगठनों ने जताई आपत्ति
वीएचपी के प्रांत संयोजक योगेश रेनवाल ने कहा कि स्कूल में पढ़ने वाले 90% बच्चे हिंदू हैं, ऐसे में बच्चों से कलमा पढ़वाना गलत है। उन्होंने जिला कलेक्टर से मामले की निष्पक्ष जांच और संबंधित स्कूल प्रशासन पर सख्त कार्रवाई की मांग की। सोशल मीडिया पर यह मामला तेजी से वायरल हुआ, जिससे अभिभावकों और समाज के कुछ वर्गों में रोष देखा गया।
जिला शिक्षा विभाग ने दिए जांच के आदेश
मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) के.के. शर्मा ने त्वरित कार्रवाई करते हुए ब्लॉक मुख्य शिक्षा अधिकारी (कोटा शहर) स्नेहलता शर्मा को जांच का जिम्मा सौंपा। बीईईओ स्नेहलता शर्मा ने एक चार सदस्यीय जांच कमेटी गठित की है, जो तीन दिन में तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करेगी। रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
इस बीच कोटा सिटी पुलिस ने भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो पर स्पष्टीकरण जारी किया है। पुलिस के अनुसार, यह वीडियो देवली अरब रोड स्थित बक्शी स्प्रिंगडेल्स स्कूल का है और वर्ष 2018 के वार्षिक उत्सव का है। पुलिस ने स्पष्ट किया कि स्कूल में प्रतिदिन सर्वधर्म प्रार्थना सभा आयोजित होती है जिसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई धर्मों की प्रार्थनाएं एक साथ कराई जाती हैं।
पुलिस के अनुसार, वीडियो को संपादित (एडिट) कर सोशल मीडिया पर अपलोड किया गया है ताकि भ्रामक संदेश फैलाया जा सके। वहीं स्कूल की डायरी में भी सभी धर्मों की प्रार्थनाएं प्रकाशित हैं, जो बच्चों द्वारा प्रतिदिन बोली जाती हैं।
क्या है सर्वधर्म प्रार्थना सभा?
सर्वधर्म प्रार्थना सभा एक ऐसी पहल होती है, जिसमें विभिन्न धर्मों के मूल मंत्रों या प्रार्थनाओं को एक साथ बच्चों को सिखाया जाता है ताकि वे सर्वधर्म समभाव और धार्मिक सहिष्णुता के विचार को आत्मसात कर सकें। स्कूलों में यह एक सांस्कृतिक एकता की मिसाल के रूप में देखा जाता है। हालांकि, इस बार मामला संपादित वीडियो की वजह से गलत अर्थों में प्रचारित हो गया।
फिलहाल, शिक्षा विभाग की चार सदस्यीय टीम जांच कर रही है और पुलिस ने मामले को भ्रामक प्रचार बताया है। वायरल वीडियो के संबंध में जो तथ्य सामने आए हैं, वह एक पुरानी सर्वधर्म सभा के अंश को काटकर साझा करने से जुड़ा प्रतीत होता है। इसके बावजूद, प्रशासन ने पूरी पारदर्शिता से जांच कराने का आश्वासन दिया है।
नोट: इस प्रकार के मामलों में सोशल मीडिया पर वायरल हो रही सूचनाओं की जांच और पुष्टि आवश्यक है ताकि समाज में अनावश्यक तनाव या भ्रम न फैले।
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल, हिंदू संगठनों ने जताई आपत्ति
वीएचपी के प्रांत संयोजक योगेश रेनवाल ने कहा कि स्कूल में पढ़ने वाले 90% बच्चे हिंदू हैं, ऐसे में बच्चों से कलमा पढ़वाना गलत है। उन्होंने जिला कलेक्टर से मामले की निष्पक्ष जांच और संबंधित स्कूल प्रशासन पर सख्त कार्रवाई की मांग की। सोशल मीडिया पर यह मामला तेजी से वायरल हुआ, जिससे अभिभावकों और समाज के कुछ वर्गों में रोष देखा गया।
जिला शिक्षा विभाग ने दिए जांच के आदेश
मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) के.के. शर्मा ने त्वरित कार्रवाई करते हुए ब्लॉक मुख्य शिक्षा अधिकारी (कोटा शहर) स्नेहलता शर्मा को जांच का जिम्मा सौंपा। बीईईओ स्नेहलता शर्मा ने एक चार सदस्यीय जांच कमेटी गठित की है, जो तीन दिन में तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करेगी। रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस का दावा – 2018 की वार्षिक सभा का है वीडियो
इस बीच कोटा सिटी पुलिस ने भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो पर स्पष्टीकरण जारी किया है। पुलिस के अनुसार, यह वीडियो देवली अरब रोड स्थित बक्शी स्प्रिंगडेल्स स्कूल का है और वर्ष 2018 के वार्षिक उत्सव का है। पुलिस ने स्पष्ट किया कि स्कूल में प्रतिदिन सर्वधर्म प्रार्थना सभा आयोजित होती है जिसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई धर्मों की प्रार्थनाएं एक साथ कराई जाती हैं।
पुलिस के अनुसार, वीडियो को संपादित (एडिट) कर सोशल मीडिया पर अपलोड किया गया है ताकि भ्रामक संदेश फैलाया जा सके। वहीं स्कूल की डायरी में भी सभी धर्मों की प्रार्थनाएं प्रकाशित हैं, जो बच्चों द्वारा प्रतिदिन बोली जाती हैं।
क्या है सर्वधर्म प्रार्थना सभा?
सर्वधर्म प्रार्थना सभा एक ऐसी पहल होती है, जिसमें विभिन्न धर्मों के मूल मंत्रों या प्रार्थनाओं को एक साथ बच्चों को सिखाया जाता है ताकि वे सर्वधर्म समभाव और धार्मिक सहिष्णुता के विचार को आत्मसात कर सकें। स्कूलों में यह एक सांस्कृतिक एकता की मिसाल के रूप में देखा जाता है। हालांकि, इस बार मामला संपादित वीडियो की वजह से गलत अर्थों में प्रचारित हो गया।
फिलहाल, शिक्षा विभाग की चार सदस्यीय टीम जांच कर रही है और पुलिस ने मामले को भ्रामक प्रचार बताया है। वायरल वीडियो के संबंध में जो तथ्य सामने आए हैं, वह एक पुरानी सर्वधर्म सभा के अंश को काटकर साझा करने से जुड़ा प्रतीत होता है। इसके बावजूद, प्रशासन ने पूरी पारदर्शिता से जांच कराने का आश्वासन दिया है।
नोट: इस प्रकार के मामलों में सोशल मीडिया पर वायरल हो रही सूचनाओं की जांच और पुष्टि आवश्यक है ताकि समाज में अनावश्यक तनाव या भ्रम न फैले।
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