स्पेक्ट्रम आवंटन पर विवाद: क्या विदेशी कंपनियों को होगा फायदा

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टेलीकॉम मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सैटेलाइट सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन का समर्थन करते हुए कहा है कि इसे नीलाम करने के बजाय आवंटित किया जाएगा। उन्होंने रॉयटर्स को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि उपभोक्ताओं को अधिक से अधिक विकल्प मिलें।” यह निर्णय वैश्विक ट्रेंड्स के अनुरूप है और भारत के टेलीकॉम क्षेत्र को नई दिशा देने वाला है।

जियो का विरोध और मंत्री का जवाब
रिलायंस जियो ने स्पेक्ट्रम आवंटन के इस फैसले का विरोध किया है। उनका मानना है कि यह निर्णय एलन मस्क की स्टारलिंक जैसी विदेशी कंपनियों को फायदा पहुंचा सकता है और जियो की बाजार हिस्सेदारी को प्रभावित कर सकता है। इस पर सिंधिया ने कहा, “तकनीक कभी स्थिर नहीं रहती। कंपनियों को बदलते समय के साथ खुद को ढालना जरूरी है।”

सैटेलाइट और टेरेस्ट्रियल नेटवर्क का फर्क

सिंधिया ने यह भी बताया कि सैटेलाइट आधारित सेवाओं को खुले आसमान की जरूरत होती है, जिससे ये इनडोर उपयोग के लिए सीमित हो सकती हैं। दूसरी ओर, टेरेस्ट्रियल नेटवर्क इनडोर उपयोग के लिए अधिक प्रभावी हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत का टेलीकॉम बाजार, जिसमें 942 मिलियन से अधिक यूजर्स हैं, काफी प्रतिस्पर्धी बना हुआ है।

2030 तक $1.9 बिलियन का सैटेलाइट ब्रॉडबैंड बाजार
डेलॉइट की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत का सैटेलाइट ब्रॉडबैंड बाजार 2030 तक $1.9 बिलियन तक पहुंच सकता है। इस तेजी से बढ़ते बाजार में स्टारलिंक, अमेजन कूपर और अन्य वैश्विक कंपनियां अपनी हिस्सेदारी के लिए प्रयासरत हैं।

सिंधिया ने बताया कि स्टारलिंक और अमेजन कूपर ने भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाएं शुरू करने के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन किया है, जो फिलहाल रिव्यू के तहत है।

भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड का भविष्य
यह फैसला भारतीय बाजार को विदेशी कंपनियों के लिए अधिक आकर्षक बना रहा है। लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसी दिग्गज कंपनियां इस बदलते परिदृश्य में कैसे खुद को ढालती हैं।

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