कांबली की कहानी: क्रिकेट के चमकते सितारे से सेहत की जंग तक
पूर्व क्रिकेटर विनोद कांबली की एक वायरल वीडियो में उन्हें कमजोर हालत में देखा गया, जहां वह ठीक से चलने और बोलने में संघर्ष कर रहे थे। यह चौंकाने वाले दृश्य उनके प्रशंसकों में चिंता का कारण बन गए हैं, और उनकी सेहत को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं।
90 के दशक में सचिन तेंदुलकर के साथ अपनी शानदार साझेदारी और बेहतरीन बल्लेबाजी के लिए मशहूर विनोद कांबली, आज गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। हाल ही में रामाकांत आचरेकर की स्मारक अनावरण समारोह में उनकी उपस्थिति ने प्रशंसकों और उनके पूर्व साथी खिलाड़ियों को हैरान कर दिया। इस वीडियो में कांबली, सचिन तेंदुलकर का सहारा लेते हुए चलते हुए दिखे, जो उनकी कठिनाइयों को उजागर करता है।
2013 में, कांबली को दिल का दौरा पड़ा था। इससे पहले, 2012 में, उन्होंने दो ब्लॉक आर्टरी को खोलने के लिए एंजियोप्लास्टी करवाई थी। इन हृदय संबंधी समस्याओं ने उनके स्वास्थ्य को और खराब कर दिया। हालिया वीडियो में उनकी कमजोरी और चलने में संघर्ष साफ नजर आया।
शराब की लत ने उनकी स्थिति को और खराब कर दिया। उनके करीबी मित्र और पूर्व अंपायर मार्कस कौटो ने खुलासा किया कि कांबली को 14 बार पुनर्वास केंद्रों में भर्ती कराया गया है।
कांबली ने डिप्रेशन के साथ अपनी लड़ाई के बारे में भी खुलकर बात की है। डिप्रेशन और शराब की लत के बीच एक गहरा संबंध है। शोध यह दर्शाता है कि दोनों समस्याएं एक-दूसरे को और बढ़ावा दे सकती हैं।
क्रिकेट जगत ने कांबली की मदद करने की इच्छा व्यक्त की है। कपिल देव ने कहा, “हम सब उनकी मदद करना चाहते हैं, लेकिन उससे ज्यादा जरूरी यह है कि कांबली खुद अपनी मदद करने के लिए तैयार हों।”
सुनील गावस्कर ने भी समर्थन व्यक्त करते हुए कहा, “हमारा लक्ष्य है कि विनोद कांबली को फिर से अपने पैरों पर खड़ा कर सकें।”
कांबली की कहानी: मानसिक और शारीरिक सेहत की जरूरत
विनोद कांबली का संघर्ष यह दिखाता है कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों को समय पर पहचानना और उनका समाधान करना कितना जरूरी है। यह कहानी सेवानिवृत्त खिलाड़ियों के लिए मजबूत समर्थन प्रणाली की आवश्यकता को भी उजागर करती है।
प्रशंसक और क्रिकेट समुदाय कांबली के बेहतर स्वास्थ्य की उम्मीद कर रहे हैं। सचिन तेंदुलकर और अन्य दिग्गज खिलाड़ियों के समर्थन से, उनके लिए इस मुश्किल समय से उबरने की संभावना अब भी जीवित है। उनके संघर्षों से प्रेरणा लेते हुए, यह जरूरी है कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाई जाए।