राष्ट्रपति बनते ही ट्रंप का बड़ा फैसला, बाइडेन समर्थकों पर कसा शिकंजा

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अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति का पदभार संभालते ही डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पुराने विरोधियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए 51 पूर्व खुफिया अधिकारियों की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी, जिन्होंने 2020 के चुनाव से पहले हंटर बाइडेन के लैपटॉप विवाद को “रूसी दुष्प्रचार” बताया था।

पुराने मामलों पर लिया बड़ा फैसला
डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद पहला बड़ा कदम उठाते हुए इन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की। इनमें कई पूर्व अधिकारी ओबामा और बुश प्रशासन के शीर्ष पदों पर कार्यरत रह चुके हैं। इनमें पूर्व राष्ट्रीय खुफिया निदेशक जिम क्लैपर, पूर्व सीआईए निदेशक जॉन ब्रेनन, और कार्यवाहक सीआईए निदेशक जॉन मैकलॉघलिन जैसे नाम शामिल हैं।

हालांकि, कई अधिकारी पहले ही रिटायर हो चुके हैं और उनके पास कोई एक्टिव सुरक्षा मंजूरी नहीं है। बावजूद इसके, ट्रंप ने यह आदेश देकर यह संकेत दिया है कि वे अपने विरोधियों को कानूनी और राजनीतिक स्तर पर दंडित करने का इरादा रखते हैं।

हंटर बाइडेन लैपटॉप विवाद पर निशाना
2020 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान हंटर बाइडेन के लैपटॉप से जुड़ा विवाद चर्चा में रहा। ट्रंप और उनके सहयोगियों ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया था। वहीं, 51 खुफिया अधिकारियों ने इसे रूसी दुष्प्रचार करार दिया था। ट्रंप का आरोप है कि इन अधिकारियों ने डेमोक्रेटिक पार्टी का पक्ष लिया और उनके चुनाव अभियान को नुकसान पहुंचाया।

जून में एक चुनावी रैली में ट्रंप ने कहा था, “इन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाया जाना चाहिए।” और अब राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने इसे हकीकत में बदल दिया है।

रिपब्लिकन सांसदों का समर्थन
रिपब्लिकन सांसद भी इस मामले को लेकर ट्रंप के समर्थन में हैं। कैपिटल हिल पर कई जीओपी सांसदों ने इन 51 अधिकारियों को निशाने पर लिया है।

कई हस्ताक्षरकर्ताओं को बंद दरवाजों के पीछे गवाही देने के लिए बुलाया गया है।

मामले से संबंधित रिपोर्ट्स भी जारी की गई हैं।
क्या है ट्रंप का अगला कदम?
कार्यकारी आदेश में ट्रंप ने राष्ट्रीय खुफिया निदेशक को निर्देश दिया है कि वे 90 दिनों के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट व्हाइट हाउस को प्रस्तुत करें। यह रिपोर्ट इन 51 अधिकारियों और उनके बयानों की जांच पर आधारित होगी।

निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पद संभालते ही यह साफ कर दिया है कि वे अपने विरोधियों को बख्शने के मूड में नहीं हैं। उनकी यह कार्रवाई राजनीतिक तूफान खड़ा कर सकती है। हंटर बाइडेन लैपटॉप विवाद और इससे जुड़े अधिकारियों पर उनकी इस कार्रवाई ने अमेरिका की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। अब देखना यह है कि ट्रंप का यह बदले का मिशन कितनी दूर तक जाता है।

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