Kartik mass Pradosh Vrat 2024 : कार्तिक मास का आखिरी प्रदोष व्रत कब? जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

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भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए सबसे उत्तम प्रदोष व्रत को माना गया है। हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि आती है। साथ ही इस दिन भगवान शिव की उपासना करने से व्यक्ति को कई गुना अधिक फल मिलता है। वैसे को सभी महीने में आने वाली त्रयोदशी तिथि खास है लेकिन, कार्तिक मास में आने वाले प्रदोष व्रत का महत्व कई गुना अधिक बढ़ जाता है। आइए जानते हैं कार्तिक मास का प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा। जानें पूजा की विधि और महत्व। कब है प्रदोष व्रत ?
हिंदू पंचांग के अनुसार, 13 नवंबर को दोपहर में 1 बजकर 2 मिनट पर त्रयोदशी तिथि का आरंभ होगा। इस बार प्रदोष व्रत 13 नवंबर को ही रखा जाएगा। क्योंकि, प्रदोष व्रत में त्रयोदशी तिथि का प्रदोष काल में होना बेहद जरूरी है। 14 नवंबर को सुबह 9 बजकर 44 मिनट तक त्रयोदशी तिथि रहेगी। इसलिए प्रदोष व्रत बुधवार 13 नवंबर को ही रखा जाएगा। बता दें कि बुधवार होने के कारण यह बुध प्रदोष व्रत कहलाएगा। प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त
प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय की जाती है। इसलिए 13 नवंबर को प्रदोष व्रत की पूजा के लिए दो सबसे उत्तम मुहूर्त है। लाभ चौघड़िया शाम में 4 बजकर 7 मिनट से 5 बजकर 28 मिनट तक।इसके बाद शुभ चौघड़िया शाम में 7 बजकर 7 मिनट से 8 बजकर 46 मिनट तक। प्रदोष व्रत करने के लाभमान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत रखने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति की सारी इच्छाएं पूरी होती हैं। जो लोग संतान की कामना करते हैं उनके लिए प्रदोष व्रत बहुत ही शुभ फल देना वाला होता है। जब भी प्रदोष व्रत बुधवार के दिन होता है तो उसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, बुध प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को व्यापार और कारोबार में सफलता मिलती है। साथ ही वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियां भी काफी हद तक दूर हो जाती हैं।