Humaira Mushtaq: 13 साल की उम्र में पिता को खोया पर हिम्मत ना हारी, आज कार रेसिंग की दुनिया में भारत का नाम कर रही रोशन
Humaira Mushtaq: कहते हैं कि कामयाबी के रास्ते में मजबूरियां, लाचारी और बेबसी जैसे शब्द दम तोड़ देते हैं और हुनर हो तो फिर कोई भी बाधा सफलता पाने से रोक नहीं सकती। कार रेसिंग की दुनिया में भारत का नाम रोशन कर रही हुमैरा मुश्ताक की कहानी कुछ ऐसे ही शब्दों से होते हुए हिम्मत और जज्बे को ऐसे परिभाषित करती है कि जानने वाले इस 25 साल की लड़की के फैन हो जाते हैं।
ब्रिटिश एंड्योरेंस चैंपियनशिप में हिस्सा लेने वाली पहली भारतीय महिला रेसरजम्मू-कश्मीर से दक्षिण भारत और फिर दुबई और यूरोप के रास्ते हुमैरा मुश्ताक ने कार रेसिंग की दुनिया में ऐसा मुकाम हासिल कर लिया है कि आज वह इंटरनैशनल लेवल पर भारत का नाम रोशन करने के साथ ही लड़कियों के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है। हुमैरा मुश्ताक ब्रिटिश एंड्योरेंस चैंपियनशिप में भाग लेने वाली भारत की पहली और एकमात्र महिला रेसर हैं। इसके साथ ही इस महीने मिडिल ईस्ट में होने वाले जीटी रेस में भी वह हिस्सा ले रही हैं। आइए, आज हम आपको जम्मू-कश्मीर की पहली कार रेसर हुमैरा मुश्ताक के अब तक के सफर और संघर्ष के साथ ही सफलताओं की दिलचस्प कहानी बताते हैं।
ब्रिटिश एंड्योरेंस चैंपियनशिप में हिस्सा लेने वाली पहली भारतीय महिला रेसरजम्मू-कश्मीर से दक्षिण भारत और फिर दुबई और यूरोप के रास्ते हुमैरा मुश्ताक ने कार रेसिंग की दुनिया में ऐसा मुकाम हासिल कर लिया है कि आज वह इंटरनैशनल लेवल पर भारत का नाम रोशन करने के साथ ही लड़कियों के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है। हुमैरा मुश्ताक ब्रिटिश एंड्योरेंस चैंपियनशिप में भाग लेने वाली भारत की पहली और एकमात्र महिला रेसर हैं। इसके साथ ही इस महीने मिडिल ईस्ट में होने वाले जीटी रेस में भी वह हिस्सा ले रही हैं। आइए, आज हम आपको जम्मू-कश्मीर की पहली कार रेसर हुमैरा मुश्ताक के अब तक के सफर और संघर्ष के साथ ही सफलताओं की दिलचस्प कहानी बताते हैं।
4 साल की उम्र में लगावहुमैरा मुश्ताक को रेसिंग जैसे रोमांचक खेल का शौक बचपन में लग गया था। हाल ही में हुमैरा मुश्ताक से हमारी लंबी बातचीत हुई और इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं चार साल की थी, जब मुझे पहली बार कारों से प्यार हुआ। कश्मीर के एक पारंपरिक मुस्लिम परिवार में पली-बढ़ी किसी लड़की के लिए यह एक अप्रत्याशित शुरुआत थी। इस तरह के सपनों को पूरा करने के लिए परिवार से मंजूरी लेना भी आसान नहीं होता है। मैं घर पर टीवी के अलग-अलग चैनलों पर काफी ज्यादा रेसिंग देखती थी। जब मेरी उम्र के ज्यादातर बच्चे खिलौनों से खेल रहे होते थे तो मैं खुद को उन तेज कारों के पहिये के पीछे स्टीयरिंग पकड़े हुए रेसट्रैक पर सभी को पीछे छोड़ने की कल्पना करती थी।
4 साल की उम्र में लगावहुमैरा मुश्ताक को रेसिंग जैसे रोमांचक खेल का शौक बचपन में लग गया था। हाल ही में हुमैरा मुश्ताक से हमारी लंबी बातचीत हुई और इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं चार साल की थी, जब मुझे पहली बार कारों से प्यार हुआ। कश्मीर के एक पारंपरिक मुस्लिम परिवार में पली-बढ़ी किसी लड़की के लिए यह एक अप्रत्याशित शुरुआत थी। इस तरह के सपनों को पूरा करने के लिए परिवार से मंजूरी लेना भी आसान नहीं होता है। मैं घर पर टीवी के अलग-अलग चैनलों पर काफी ज्यादा रेसिंग देखती थी। जब मेरी उम्र के ज्यादातर बच्चे खिलौनों से खेल रहे होते थे तो मैं खुद को उन तेज कारों के पहिये के पीछे स्टीयरिंग पकड़े हुए रेसट्रैक पर सभी को पीछे छोड़ने की कल्पना करती थी।
स्पीड को लेकर दीवानगीसमय के साथ स्पीड को लेकर हुमैरा की दिलचस्पी और दीवानगी लगातार बढ़ती गई और वह जुनून की हद तक पहुंच गई थी कि टीनएज में जाते-जाते हुमैरा को पता चल गया कि उनकी दिलचस्पी रेस देखने से ज्यादा इसका हिस्सा बनने में है। हुमैरा के पिता काफी सपोर्टिव थे और चूंकि वह खुद भी रेसिंग में दिलचस्पी लेते रहते थे तो हुमैरा उनसे बहुत कुछ सीखती रहती थीं। हालांकि, भारत में परिवार के साथ ही समाज का भी महत्व होता है तो हुमैरा को सामाजिक ताने भी मिलते रहे। पारंपरिक और कंजर्वेटिव कम्युनिटी में पली-बढ़ी होने का मतलब था कि उसे अक्सर पुरुषों के प्रभूत्व वाले कामों को करने से दूर रहने के लिए कहा जाता था।
स्पीड को लेकर दीवानगीसमय के साथ स्पीड को लेकर हुमैरा की दिलचस्पी और दीवानगी लगातार बढ़ती गई और वह जुनून की हद तक पहुंच गई थी कि टीनएज में जाते-जाते हुमैरा को पता चल गया कि उनकी दिलचस्पी रेस देखने से ज्यादा इसका हिस्सा बनने में है। हुमैरा के पिता काफी सपोर्टिव थे और चूंकि वह खुद भी रेसिंग में दिलचस्पी लेते रहते थे तो हुमैरा उनसे बहुत कुछ सीखती रहती थीं। हालांकि, भारत में परिवार के साथ ही समाज का भी महत्व होता है तो हुमैरा को सामाजिक ताने भी मिलते रहे। पारंपरिक और कंजर्वेटिव कम्युनिटी में पली-बढ़ी होने का मतलब था कि उसे अक्सर पुरुषों के प्रभूत्व वाले कामों को करने से दूर रहने के लिए कहा जाता था।
जिस समाज में लड़कियों को कमतर समझा जाता है, वहां...हुमैरा ने कहा कि मुझे पता था कि मेरे लिए ये सब कुछ यह आसान नहीं होने वाला है। कश्मीरी कल्चर में हमारे परिवारों की महिलाओं को शायद ही कभी गाड़ी चलाते देखा जाता था, रेसिंग तो दूर की बात है। जब भी मैं रेसर बनने के अपने सपने का जिक्र करती तो लोग हंसते या मुझे ऐसा करने से रोकने की कोशिश करते। लेकिन मैं अपने इरादों की पक्की थी। मुझे पता था कि अगर मैं अपने सपनों को पूरा करने का इरादा पक्का न करती तो मुझे जीवन भर इसका पछतावा होगा। इस सपने को पूरा करने में हुमैरा के पापा ने काफी मदद की। लेकिन 13 साल की उम्र में हुमैरा की जिंदगी में ऐसा तूफान आया, जिसके बारे में उन्होंने सोचा भी नहीं था।
जिस समाज में लड़कियों को कमतर समझा जाता है, वहां...हुमैरा ने कहा कि मुझे पता था कि मेरे लिए ये सब कुछ यह आसान नहीं होने वाला है। कश्मीरी कल्चर में हमारे परिवारों की महिलाओं को शायद ही कभी गाड़ी चलाते देखा जाता था, रेसिंग तो दूर की बात है। जब भी मैं रेसर बनने के अपने सपने का जिक्र करती तो लोग हंसते या मुझे ऐसा करने से रोकने की कोशिश करते। लेकिन मैं अपने इरादों की पक्की थी। मुझे पता था कि अगर मैं अपने सपनों को पूरा करने का इरादा पक्का न करती तो मुझे जीवन भर इसका पछतावा होगा। इस सपने को पूरा करने में हुमैरा के पापा ने काफी मदद की। लेकिन 13 साल की उम्र में हुमैरा की जिंदगी में ऐसा तूफान आया, जिसके बारे में उन्होंने सोचा भी नहीं था।
पापा की मौत ने हुमैरा के सपने को तोड़ दिया थाहुमैरा जब 13 साल की थी, तब उनके पापा की आकस्मिक मौत हो गई और इस वजह से वह सदमे में चली गई। पिता के जाने के गम ने हुमैरा को डिप्रेशन में धकेल दिया और उससे उबरने में काफी समय लग गया। इस दौरान हुमैरा की मां ने ना सिर्फ उन्हें संभाला, बल्कि उनमें हौसला भी भरा कि वह जो करना चाहती है, इसके लिए खुद को तैयार करे। हुमैरा का रेसट्रैक तक का रास्ता सिर्फ सामाजिक तौर पर नामंजूर किए जाने के सबसे बड़े जोखिम के साथ ही काफी बड़ी वित्तीय मुश्किलों से भी जूझ रहा था।
पापा की मौत ने हुमैरा के सपने को तोड़ दिया थाहुमैरा जब 13 साल की थी, तब उनके पापा की आकस्मिक मौत हो गई और इस वजह से वह सदमे में चली गई। पिता के जाने के गम ने हुमैरा को डिप्रेशन में धकेल दिया और उससे उबरने में काफी समय लग गया। इस दौरान हुमैरा की मां ने ना सिर्फ उन्हें संभाला, बल्कि उनमें हौसला भी भरा कि वह जो करना चाहती है, इसके लिए खुद को तैयार करे। हुमैरा का रेसट्रैक तक का रास्ता सिर्फ सामाजिक तौर पर नामंजूर किए जाने के सबसे बड़े जोखिम के साथ ही काफी बड़ी वित्तीय मुश्किलों से भी जूझ रहा था।
मां से किया वादा पूरा कियादरअसल, मोटरस्पोर्ट दुनिया के सबसे महंगे खेलों में से एक है और एक मध्यम-वर्गीय परिवार से होने के कारण रेसिंग से जुड़े खर्चों को सहन और वहन करना लगभग असंभव था। लेकिन हुमैरा ने अपनी एजुकेशन और पैशन को बैलेंस करने के साथ-साथ, अपने परिवार की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए मेडिकल स्कूल में दाखिला लिया। दरअसल, हुमैरा की मां ने उनसे वायदा किया था कि जब वह पढ़ाई करके मेडिकल सीट सुनिश्चित करेगी तो वह उनके रेसिंग के पैशन को पंख देने की तमाम कोशिशें करेंगीं। दरअसल, हुमैरा के पिता और माता, दोनों पेशेवर डॉक्टर रहे, ऐसे में हुमैरा ने भी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया और इसके साथ ही रेसिंग के प्रति अपने जुनून को भी नहीं छोड़ा। आखिर में वह अपने सपनों को पूरा करने में सफल भी रही।
मां से किया वादा पूरा कियादरअसल, मोटरस्पोर्ट दुनिया के सबसे महंगे खेलों में से एक है और एक मध्यम-वर्गीय परिवार से होने के कारण रेसिंग से जुड़े खर्चों को सहन और वहन करना लगभग असंभव था। लेकिन हुमैरा ने अपनी एजुकेशन और पैशन को बैलेंस करने के साथ-साथ, अपने परिवार की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए मेडिकल स्कूल में दाखिला लिया। दरअसल, हुमैरा की मां ने उनसे वायदा किया था कि जब वह पढ़ाई करके मेडिकल सीट सुनिश्चित करेगी तो वह उनके रेसिंग के पैशन को पंख देने की तमाम कोशिशें करेंगीं। दरअसल, हुमैरा के पिता और माता, दोनों पेशेवर डॉक्टर रहे, ऐसे में हुमैरा ने भी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया और इसके साथ ही रेसिंग के प्रति अपने जुनून को भी नहीं छोड़ा। आखिर में वह अपने सपनों को पूरा करने में सफल भी रही।
मेडिकल के साथ ही रेसिंग भी हुमैरा ने माना कि जिंदगी में कुछ ऐसे पल भी आए, जब उन्हें लगा कि मैं दोहरी जिंदगी जी रही हूं। दिन के समय मैं एक मेडिकल स्टूडेंट थी, जिसकी उम्मीद हर कोई मुझसे करता था, लेकिन मेरे दिल में मैं लगातार इस बारे में सोचती रहती थी कि मैं ट्रैक पर कैसे पहुंचूंगी। यह एक मानसिक उलझन थी, लेकिन मैं अपने किसी भी सपने को अधूरा नहीं छोड़ना चाहती थी। अपने रेसिंग के सपने को साकार करने के लिए हुमैरा ने पार्ट-टाइम नौकरियां भी कीं और स्पॉन्सरशिप के लिए भी अप्लाई किया, लेकिन पुरुषों के प्रभुत्व वाले इस खेल में एक महिला होने के नाते उन्हें काफी सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
मेडिकल के साथ ही रेसिंग भी हुमैरा ने माना कि जिंदगी में कुछ ऐसे पल भी आए, जब उन्हें लगा कि मैं दोहरी जिंदगी जी रही हूं। दिन के समय मैं एक मेडिकल स्टूडेंट थी, जिसकी उम्मीद हर कोई मुझसे करता था, लेकिन मेरे दिल में मैं लगातार इस बारे में सोचती रहती थी कि मैं ट्रैक पर कैसे पहुंचूंगी। यह एक मानसिक उलझन थी, लेकिन मैं अपने किसी भी सपने को अधूरा नहीं छोड़ना चाहती थी। अपने रेसिंग के सपने को साकार करने के लिए हुमैरा ने पार्ट-टाइम नौकरियां भी कीं और स्पॉन्सरशिप के लिए भी अप्लाई किया, लेकिन पुरुषों के प्रभुत्व वाले इस खेल में एक महिला होने के नाते उन्हें काफी सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
पहली रेस के बाद हौसलों ने भरी उड़ानहुमैरा ने बताया कि जब उन्होंने पहली बार रेसिंग मुकाबले में हिस्सा लिया तो हौसला और बढ़ गया। इसके बाद उन्होंने और मुकाबलों में शामिल होना शुरू किया। वह अक्सर इस इवेंट में अकेली महिला होती थीं और महसूस करती थीं कि लोग मुझ पर नजर रख रहे हैं, संदेह कर रहे हैं। यह महज तेज गाड़ी चलाने के बारे में नहीं था, बल्कि यह साबित करने के बारे में था कि मैं ऐसी दुनिया में हूं, जो मेरे जैसी किसी को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।
पहली रेस के बाद हौसलों ने भरी उड़ानहुमैरा ने बताया कि जब उन्होंने पहली बार रेसिंग मुकाबले में हिस्सा लिया तो हौसला और बढ़ गया। इसके बाद उन्होंने और मुकाबलों में शामिल होना शुरू किया। वह अक्सर इस इवेंट में अकेली महिला होती थीं और महसूस करती थीं कि लोग मुझ पर नजर रख रहे हैं, संदेह कर रहे हैं। यह महज तेज गाड़ी चलाने के बारे में नहीं था, बल्कि यह साबित करने के बारे में था कि मैं ऐसी दुनिया में हूं, जो मेरे जैसी किसी को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।
पहली सफलताहुमैरा ने बताया कि मुझे पहली बड़ी सफलता तब मिली, जब मुझे प्रतिष्ठित ब्रिटिश एंड्योरेंस चैंपियनशिप रेस के लिए चुना गया। ग्लोबल प्लैटफॉर्म पर भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए वह प्रतिष्ठित एस्टन मार्टिन टीम के लिए रेस कर रही थीं। यह एक सपना सच होने जैसा था, लेकिन इसके साथ मैं काफी ज्यादा दबाव मे भी थी। अब सिर्फ अपना प्रतिनिधित्व नहीं कर रही थी, बल्कि मैं अपने देश, अपने जेंडर और उन सभी का प्रतिनिधित्व कर रही थी, जिन्होंने कभी न कभी मुझ पर संदेह किया था। उनके पुरुष साथियों, खासकर उनके को-पायलट का शुरुआती संदेह स्पष्ट था। लेकिन कहते हैं ना कि आप अगर सच्चे मन से और हिम्मत से अपने लक्ष्य के प्रति आगे बढ़ते हैं तो सफलता आपके कदम चूमती है, वही हुमैरा के भी साथ हुआ। जेके टायर मोटोस्पोर्ट्स और एमआरएफ ने हुमैरा के करियर को संवारने में अहम भूमिका निभाई।
पहली सफलताहुमैरा ने बताया कि मुझे पहली बड़ी सफलता तब मिली, जब मुझे प्रतिष्ठित ब्रिटिश एंड्योरेंस चैंपियनशिप रेस के लिए चुना गया। ग्लोबल प्लैटफॉर्म पर भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए वह प्रतिष्ठित एस्टन मार्टिन टीम के लिए रेस कर रही थीं। यह एक सपना सच होने जैसा था, लेकिन इसके साथ मैं काफी ज्यादा दबाव मे भी थी। अब सिर्फ अपना प्रतिनिधित्व नहीं कर रही थी, बल्कि मैं अपने देश, अपने जेंडर और उन सभी का प्रतिनिधित्व कर रही थी, जिन्होंने कभी न कभी मुझ पर संदेह किया था। उनके पुरुष साथियों, खासकर उनके को-पायलट का शुरुआती संदेह स्पष्ट था। लेकिन कहते हैं ना कि आप अगर सच्चे मन से और हिम्मत से अपने लक्ष्य के प्रति आगे बढ़ते हैं तो सफलता आपके कदम चूमती है, वही हुमैरा के भी साथ हुआ। जेके टायर मोटोस्पोर्ट्स और एमआरएफ ने हुमैरा के करियर को संवारने में अहम भूमिका निभाई।
हजारों-लाखों के लिए प्रेरणास्रोत हैं हुमैराहुमैरा ने खुद को ट्रैक पर साबित किया और सारी मुश्किलों को धता बताते हुए और अपने साथियों का सम्मान अर्जित करते हुए लगातार रेसिंग में सफलताएं हासिल कीं। अब जब वह अपनी अगली चुनौती के लिए तैयार हो रही हैं, जो कि जीटी. चैंपियनशिप है, हुमैरा न केवल विपरीत हालात पर जीत का प्रतीक हैं, बल्कि भारत की अनगिनत युवा लड़कियों के लिए प्रेरणा भी हैं, जो मोटरस्पोर्ट और कार रेसिंग जैसे प्रतिष्ठित स्पोर्ट्स में जुड़ने और जीतने जैसे बड़े सपने देखने की हिम्मत रखती हैं।
हजारों-लाखों के लिए प्रेरणास्रोत हैं हुमैराहुमैरा ने खुद को ट्रैक पर साबित किया और सारी मुश्किलों को धता बताते हुए और अपने साथियों का सम्मान अर्जित करते हुए लगातार रेसिंग में सफलताएं हासिल कीं। अब जब वह अपनी अगली चुनौती के लिए तैयार हो रही हैं, जो कि जीटी. चैंपियनशिप है, हुमैरा न केवल विपरीत हालात पर जीत का प्रतीक हैं, बल्कि भारत की अनगिनत युवा लड़कियों के लिए प्रेरणा भी हैं, जो मोटरस्पोर्ट और कार रेसिंग जैसे प्रतिष्ठित स्पोर्ट्स में जुड़ने और जीतने जैसे बड़े सपने देखने की हिम्मत रखती हैं।
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