अरबपति की ये बेटियां कौन, कहलाते हैं 'भारत के रिटेल किंग', पिता के महासाम्राज्य को कैसे बढ़ा रहीं आगे?

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नई दिल्‍ली: डी-मार्ट के मालिक राधाकिशन दमानी की बेटियां मधु चांदक, मंजरी चांदक और ज्योति काबरा सिर्फ अरबों डॉलर के रिटेल साम्राज्य की उत्तराधिकारी नहीं हैं। अलबत्ता, ये तीनों डी-मार्ट के भविष्य को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। ये तीनों बहनें अपने पिता के नक्‍शेकदम पर आगे बढ़ी हैं। इन्‍होंने पिता के कारोबार की बागडोर को मजबूती से संभाला है।
मधु वित्तीय रणनीति में माहिर हैं तो मंजरी रोजाना के ऑपरेशन और सप्‍लाई चेन मैनेजमेंट में अपनी पकड़ बना रही हैं। वहीं, ज्योति का फोकस मर्चेंडाइजिंग और कंज्‍यूमर कनेक्‍शन पर है। तीनों बहनों ने 2015 में बॉम्बे स्वदेशी स्टोर्स में 42 करोड़ रुपये में 50% हिस्सेदारी खरीदकर अपनी व्यावसायिक कुशलता का परिचय दिया था।राधाकिशन दमानी को 'भारत का रिटेल किंग' कहा जाता है। उन्‍होंने डी-मार्ट के जरिये रिटेल क्षेत्र में क्रांति लाने का काम किया है। 23 अरब डॉलर से ज्‍यादा की संपत्ति के साथ दमानी न केवल एक सफल उद्यमी हैं, बल्कि दूरदर्शी निवेशक भी हैं।
उन्होंने एवेन्यू सुपरमार्ट्स की स्थापना की और डी-मार्ट को आम आदमी के लिए किफायती उत्पादों का पर्याय बनाया। मधु चांदक सबसे बड़ी हालांकि, दमानी की विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी अब उनकी बेटियों के कंधों पर है। मधु चांदक उनकी सबसे बड़ी बेटी हैं। उनके पास वित्तीय दुनिया का अच्छा अनुभव है। कार्डिफ यूनिवर्सिटी से फाइनेंस में मास्टर डिग्री के साथ मधु बॉम्बे स्वदेशी स्टोर्स के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की सदस्य के रूप में अपने पिता के हितों का प्रतिनिधित्व करती हैं। इसके अलावा, मधु डी-मार्ट की सामाजिक जिम्मेदारियों (सीएसआर) की देखरेख भी करती हैं।
मंजरी के ज‍िम्‍मे है ये काम मंजरी चांदक एवेन्यू सुपरमार्ट्स लिमिटेड की डायरेक्टर हैं। पारिवारिक व्यवसाय से जुड़ी कई कंपनियों में वह सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। मर्चेंडाइजिंग और सप्‍लाई चेन मैनेजमेंट में उनकी गहरी दिलचस्पी है। यह डी-मार्ट की सफलता के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। अपने पिता के मार्गदर्शन में मंजरी उपभोक्ता-केंद्रित व्यवसायों में अपनी पकड़ मजबूत कर रही हैं। उत्पादों को बेहतर बनाने और ग्राहकों को बेहतर अनुभव प्रदान करने में जुटी हैं। ज्‍योति देखती हैं रोजमर्रा के ऑपरेशनतीसरी बेटी, ज्योति काबरा डी-मार्ट के रोजमर्रा के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
उनका ध्यान मर्चेंडाइजिंग और उपभोक्ता जुड़ाव पर केंद्रित है। यह रिटेल चेन की ग्रोथ के लिए जरूरी हैं। अपने पिता से रिटेल उद्योग की बारीकियों को सीखते हुए ज्योति भविष्य में कंपनी की कमान संभालने के लिए खुद को तैयार कर रही हैं। तीनों बहनों के नाम बड़ी उपलब्‍ध‍ि2015 में तीनों बहनों ने बॉम्बे स्वदेशी स्टोर्स में 50% हिस्सेदारी 42 करोड़ रुपये में खरीदकर सुर्खियां बटोरी थीं। बाल गंगाधर तिलक और जेआरडी टाटा जैसे स्वतंत्रता सेनानियों और उद्योगपतियों ने 1905 में यह स्‍टोर स्थापित किया था।
यह भारत की समृद्ध विरासत का प्रतीक है। इस निवेश के जरिए तीनों बहनों ने न केवल अपने रिटेल कारोबार का विस्तार किया है, बल्कि भारत के इतिहास के एक महत्वपूर्ण हिस्से को भी संरक्षित किया है। इस 115 साल पुराने ब्रांड को आधुनिक रूप देकर वे परंपरा और समकालीन रिटेल प्रथाओं का मेल स्थापित करना चाहती हैं। यह भविष्य के लिए उनके विजन को दर्शाता है।