पाकिस्तान को लात, अफगानिस्तान को सौगात... 'दोस्त' की तरक्की के लिए भारत ने दिया क्या ऑफर?
नई दिल्ली: भारत ने इस हफ्ते अफगानिस्तान को ईरान स्थित चाबहार बंदरगाह के इस्तेमाल की पेशकश की है। उसका कहना है कि अफगानिस्तान के व्यापारी इस बंदरगाह का इस्तेमाल आयात-निर्यात के लिए कर सकते हैं। यह पेशकश विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी की अगुवाई में गए एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने की है। प्रतिनिधिमंडल ने अफगानिस्तान के कार्यवाहक रक्षा मंत्री मुल्ला याकूब से मुलाकात की।
इसके अलावा, भारत ने अफगानिस्तान को और मानवीय सहायता देने पर भी चर्चा की। यह ऐसे समय हुआ है जब पाकिस्तान किसी तरह से भारत से कारोबारी रिश्ते सुधारने के लिए मान-मनौव्वल में लगा है। हालांकि, भारत का इस पर रुख साफ है। उसका कहना है जब तक पाकिस्तान अपने यहां आतंकियों की फैक्ट्री बंद नहीं करेगा, वह इस दिशा में कतई आगे नहीं बढ़ने वाला है। विदेश मंत्रालय में पाकिस्तान-अफगानिस्तान-ईरान डिवीजन के संयुक्त सचिव जेपी सिंह के नेतृत्व में यह प्रतिनिधिमंडल 4-5 नवंबर को काबुल गया था। काबुल में उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और कुछ वरिष्ठ मंत्रियों से भी मुलाकात की।
चाबहार बंदरगाह के इस्तेमाल पर हुई चर्चा नई दिल्ली में गुरुवार को साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था, 'अपनी यात्रा के दौरान सिंह ने कार्यवाहक रक्षा मंत्री सहित अफगान मंत्रियों के साथ कई बैठकें कीं। उन्होंने अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और वहां संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के प्रमुख से भी मुलाकात की।'इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने इसे लेकर चर्चा की कि चाबहार बंदरगाह का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है।
भारत की मानवीय सहायता और अफगानिस्तान में व्यापारिक समुदाय की ओर से लेनदेन और निर्यात-आयात में यह काम आ सकता है। अफगानिस्तान इसके लिए दोस्त भारत से व्यवस्था चाहता है। अफगानियों के साथ खड़ा है भारत अफगानिस्तान को मानवीय सहायता प्रदान करना भारतीय सहायता कार्यक्रम का महत्वपूर्ण हिस्सा है। अब तक पिछले कुछ महीनों और वर्षों में मानवीय सहायता की कई खेप अफगानिस्तान भेजी गई हैं। अफगानिस्तान के लोगों के साथ भारत के लंबे समय से संबंध रहे हैं। ये संबंध देश के प्रति भारत के दृष्टिकोण का मार्गदर्शन करते रहेंगे।भारत 2021 से अफगानिस्तान पर शासन कर रहे तालिबान शासन को मान्यता नहीं देता है।
लेकिन, समय-समय पर अफगान लोगों को गेहूं, दवाएं और चिकित्सा सप्लाई सहित मानवीय सहायता प्रदान करता रहा है। सिंह की तालिबान के कार्यवाहक रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब से पहली मुलाकात थी। याकूब तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के बेटे हैं। तालिबान के रक्षा मंत्रालय ने 6 नवंबर को बैठक की एक तस्वीर पोस्ट की।
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