संपादकीय: तालमेल का संकट, झारखंड चुनाव से पहले I.N.D.I.A. में तकरार करेगी कितना नुकसान?

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हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार के बाद जब विपक्षी दलों के I.N.D.I.A. ब्लॉक को ज्यादा तालमेल और एकजुटता दिखाने की जरूरत थी, तब झारखंड में सीट बंटवारे के सवाल पर उसमें बिखराव दिख रहा है। आलम यह है कि गठबंधन का पुराना सहयोगी दल RJD साफ शब्दों में कह रहा है कि उसके सभी विकल्प खुले हैं। एकतरफा घोषणादिलचस्प है कि सीटों के बंटवारे पर घोषणा से पहले न केवल कांग्रेस नेता राहुल गांधी बल्कि RJD प्रमुख तेजस्वी यादव भी रांची में थे। फिर भी, मीडिया में सीट बंटवारे पर सहमति का एलान करते हुए RJD या लेफ्ट का प्रतिनिधित्व करने वाला कोई नहीं था। एकतरफा घोषणा कर दी गई कि 81 में से 70 सीटों पर कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) लड़ेंगे। बाकी सीटें अन्य दलों यानी RJD और CPI-ML को दी जानी हैं। मगर किसे कितनी सीटें मिलेंगी, इसे लेकर फिलहाल अटकलबाजी ही चल रही है। I.N.D.I.A. में नया ट्रेंड
कुछ ही समय पहले यूपी में दस सीटों पर हो रहे उपचुनाव के मद्देनजर समाजवादी पार्टी ने भी कुछ ऐसा ही किया था। कांग्रेस को विश्वास में लिए बगैर दस में से छह सीटों पर उसने अपने उम्मदीवार उतारने की घोषणा कर दी। वैसे तो राज्यों के चुनावों में पार्टियों का ऐसा रुख पहले भी दिखता रहा है, लेकिन खासकर हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद I.N.D.I.A. के क्षेत्रीय घटक दलों की ओर से उसे दबाव में लाने की कोशिश देखी गई। ऐसे में क्या झारखंड में JMM के साथ मिलकर दिखाया गया यह रुख उन दलों को कांग्रेस का जवाब है? बढ़ी हुई आकांक्षा
वैसे, अगर पिछले चुनावों के आंकड़ों की कसौटी पर देखें तो सीट बंटवारे का JMM-कांग्रेस फॉर्म्युला ज्यादा अटपटा नहीं लगता। पिछले विधानसभा चुनाव में RJD ने सात सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे और एक सीट पर उसे जीत मिली थी। पांच सीटों पर वह दूसरे नंबर की पार्टी थी। ऐसे में उसे छह सीटों की पेशकश एक स्तर पर तर्कसंगत ही कही जाएगी। RJD हालांकि इसे राज्य में अपने बढ़े हुए प्रभाव के आधार पर गलत करार दे रहा है। उसका कहना है कि आपसी बातचीत से मिलजुलकर कोई रास्ता निकाला जाना चाहिए था। दूसरे शब्दों में, उसे कुछ ज्यादा सीटें दी जानी चाहिए थीं। सर्वसम्मति की राह
खास बात यह कि कोई सर्वसम्मत फॉर्म्युला न निकाले जाने पर उसने 15 से 18 सीटें ऐसी बताई हैं जिन पर उसे भरोसा है कि राष्ट्रीय जनता दल, बीजेपी को हरा भी सकता है। अगर इसे बढ़ा-चढ़ाकर दिया गया बयान मान भी लें तो यह कहना गलत नहीं होगा कि पार्टी इन सीटों पर I.N.D.I.A. ब्लॉक की संभावनाएं बिगाड़ सकती है। आखिर, हरियाणा में कुछ हजार वोटों के अंतर से BJP के हाथ तीसरी बार सत्ता की चाबी लगी। इसलिए अच्छा होगा कि I.N.D.I.A. ब्लॉक में आपसी तालमेल बेहतर हो।