बुरे फंसे बाइडन

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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने बेटे हंटर बाइडन को आपराधिक मामलों में माफी देकर अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों को विवादास्पद बना दिया है। विशेष परिस्थितियों में किसी दोषी को माफी देना राष्ट्राध्यक्ष का विशेषाधिकार होता है, लेकिन यहां जिस तरह से उसका इस्तेमाल किया गया, उसे लेकर सवाल उठ रहे हैं। यह मामला सीधे-सीधे परिवारवाद का है और अगर राष्ट्रपति जैसे पद पर बैठी शख्सियत इस तरह के फैसले लेगी, तो उससे जनता के विश्वास को चोट ही पहुंचेगी। सवालों में फैसला:
बाइडन के पूरे कार्यकाल में उनके बेटे हंटर भी चर्चा में रहे। उन पर दो गंभीर संघीय अपराध साबित हुए थे। एक, बंदूक खरीदने के दौरान ड्रग्स इस्तेमाल करने से जुड़ी गलत जानकारी देना और दूसरा केस टैक्स चोरी का था। हंटर को इसी महीने के आखिर में दोनों केस में सजाएं होनी थीं, लेकिन अपने पिता की ‘दया’ से अब उन पर कोई आरोप नहीं है। इसने डॉनल्ड ट्रंप को पूछने का मौका दे दिया है कि जनवरी 2021 में हुए दंगे में शामिल लोगों को भी क्या माफी दी जाएगी? कोई हैरत नहीं, अगर अगले महीने पद संभालने जा रहे ट्रंप अपने समर्थकों को नए साल के तोहफे में माफी दे दें। बेजा दखल:
बाइडन इसलिए भी इस मामले में घिर रहे हैं, क्योंकि उन्होंने गंभीर आपराधिक मामलों में अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल किया। आमतौर पर इस तरह के निर्णय मानवीयता के आधार पर लिए जाते हैं या फिर उन जगहों पर, जहां मामले राजनीतिक प्रकृति के हों। वैसे, अपनों को राहत देने वाले बाइडन अकेले अमेरिकी राष्ट्रपति नहीं। ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में दामाद को और बिल क्लिंटन ने चचेरे भाई को माफी दी थी। हालांकि दोनों केस में सजा हो चुकी थी, जबकि यहां राष्ट्रपति ने पहले ही क्षमा दे दी, जिसे न्याय व्यवस्था में दखल कहा जाएगा। पुराने विवाद:
भारत में भी राष्ट्रपति और राज्यपाल के पास सजा को कम करने या माफ करने का अधिकार है। मंशा जो भी रही हो, लेकिन इस तरह के कदम कई बार विवाद भी पैदा कर देते हैं। 2013 में यूपी सरकार ने सीरियल ब्लास्ट के संदिग्धों पर से इस आधार पर केस वापस लेने का फैसला लिया था कि आरोप राजनीति से प्रेरित थे। हालांकि तब हाईकोर्ट को दखल देना पड़ा। आखिरी हथियार: स्टेट हेड को क्षमा का अधिकार इसलिए दिया गया है, ताकि न्याय प्रणाली में मानवीयता बनी रहे। यह आखिरी हथियार की तरह है, जिसका इस्तेमाल तभी किया जाता है, जब यह लग रहा हो कि किसी को न्याय नहीं मिल सका और उसे सजा देने में गलती हुई है। क्षमा करना सबसे बड़ा धर्म है, लेकिन यह भी मायने रखता है कि इसका पात्र कौन है और जिसे दूसरा मौका दिया जा रहा है, क्या वह उसके लायक है।