India Pakistan News: भारत के SAU में पाकिस्तान के कितने छात्र? यूनिवर्सिटी के करोड़ों रुपये भी पचा बैठा है पाक

दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) देशों की संसद से मंजूरी के बाद 2010 में बनी अंतरराष्ट्रीय साउथ एशियन यूनिवर्सिटी (SAU) के दिल्ली स्थित मेन कैंपस में अब एक भी पाकिस्तानी छात्र नहीं पढ़ रहा है। पाकिस्तान से आवेदन करने वाले छात्रों की संख्या पिछले 4-5 वर्षों से बहुत ही कम रही है। कुछ छात्र एंट्रेंस क्लियर करते भी हैं तो वे वीजा संबंधी या दूसरी तकनीकी समस्याओं के चलते एडमिशन के लिए नहीं आते हैं।
2025-26 के शैक्षणिक सत्र के लिए साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के एंट्रेंस टेस्ट 26-27 अप्रैल को हो रहे हैं। दूसरे देशों में प्रॉक्टर्ड ऑनलाइन टेस्ट आयोजित किए जाते हैं। SAU में एडमिशन कैसे मिलता है?SAU के प्रेजिडेंट प्रो. अग्रवाल का कहना है कि जिन दूसरे SAARC देशों के छात्र आवेदन करते हैं, उनके देशों में भी ऑनलाइन टेस्ट होते हैं। साउथ एशियन यूनिवर्सिटी में दो तरीके से एडमिशन होते हैं। एक तो यूनिवर्सिटी का एंट्रेंस होता है। दूसरा तरीका यह है कि यूनिवर्सिटी उन देशों के नैशनल लेवल के एंट्रेंस टेस्ट को भी मान्यता देती है।
अगर कोई छात्र यूनिवर्सिटी का एंट्रेंस नहीं देता है, लेकिन उसने अपने देश के नैशनल लेवल का एंट्रेंस टेस्ट दिया है, तो भी उसके पास एडमिशन का चांस है। जैसे भारत में जेईई, सीयूईटी, यूजीसी नेट, नीट, कैट जैसे एंट्रेंस देने वाले छात्रों को डायरेक्ट एडमिशन का मौका भी रहेगा। अब यूनिवर्सिटी में अंडरग्रैजुएट कोर्सेज भी शुरू किए गए हैं। SAU Delhi में कितने पाकिस्तानी छात्र?प्रो केके अग्रवाल ने कहा कि जहां तक पाकिस्तान का सवाल है तो अभी पाकिस्तान के छात्र इस यूनिवर्सिटी में नहीं है। 2025-26 सेशन के लिए पाकिस्तान से 11 छात्रों ने आवेदन किया है, जिसमें से पीएचडी प्रोग्राम के लिए दो पाकिस्तानी छात्र, पीजी प्रोग्राम के लिए 4 और यूजी कोर्सेज के लिए 5 पाकिस्तानी छात्रों के आवेदन हैं।
यूनिवर्सिटी के अधिकरियों का कहना है कि भारत के बाहर दूसरे देशों में ऑनलाइन टेस्ट होता है। जहां तक पाकिस्तान की बात है तो अगर कोई छात्र एंट्रेंस क्लियर करता है और उसे वीजा मिलता है तो ही एडमिशन हो सकता है। एडमिशन के लिए साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के दिल्ली कैंपस में फिजिकल रजिस्ट्रेशन के लिए आना होता है। पहले पाकिस्तान के कुछ छात्रों ने पीएचडी के लिए नामांकन करवाया था और एक पाकिस्तानी छात्र कुछ महीने पहले पीएचडी थीसिस सब्मिट करके गया है।उनका कहना है कि पाकिस्तान ने पिछले चार-पांच वर्षों से यूनिवर्सिटी के लिए अपना शेयर भी नहीं दिया है, जो करीब 20 करोड़ से ज्यादा है।
अफगानिस्तान से सबसे ज्यादा स्टूडेंट्सप्रो. केके अग्रवाल ने बताया है कि इस बार अफगानिस्तान के छात्रों की संख्या में इजाफा हुआ है। इस बार विदेशों से मास्टर कोर्सेज के लिए 145, यूजी के लिए 56 और पीएचडी के लिए 63 कैंडिडेट्स ने एंट्रेंस टेस्ट का फॉर्म भरा। संख्या इस प्रकार है-
- अफगानिस्तान से सबसे ज्यादा- 120
- बांग्लादेश से- 71
- नेपाल से- 41
- पाकिस्तान से- 11
- भूटान से- 10
- श्रीलंका से- 7
- अमेरिका से- 3
- मालदीव से- 1
अभी किसी भी कोर्स में 50% स्टूडेंट्स भारत के होने चाहिए। लेकिन यह संख्या फिलहाल 70 से 75 प्रतिशत है। 15 साल पहले जब यूनिवर्सिटी बनी थी, उस समय सार्क के कई देशों में उच्च शिक्षा संस्थानों की कमी थी। लेकिन अब वहां पर संस्थान भी है। ऐसे में अगर सार्क देशों के लिए तय सीटों पर एडमिशन कम होते हैं तो वे सीटें भारतीय छात्रों को भी मिल जाती है। दिल्ली एनसीआर से बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स यूनिवर्सिटी में हैं।
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