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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में दिखेगा दलित राजनीति का सियासी फैक्टर, केंद्रीय चेहरा बन सकते हैं जीतन राम मांझी!

रमाकांत चंदन, पटना: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव के केंद्र में आरक्षण का मुद्दा हावी होते दिखने लगा है। ये चुनाव सिर्फ किसी की जीत हार का गवाह ही नहीं बल्कि इस बात का गवाह भी बनेगा कि दलित आरक्षण को लेकर पक्षधरता किस ओर है। संभव है इस चुनाव में जिस ढंग से टकराहट बढ़ रही है, उस से लगता है विधानसभा चुनाव 2025 आरक्षण का नया आयाम तय करने जा रही है।
वह भी इस रूप में कि दलित आरक्षण में क्रीमी लेयर का विभाजन चाहते हैं या अपने पहले स्वरूप की तरह, जहां आरक्षण में कोटे के भीतर कोटा का प्रावधान न हो। लेकिन केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने आरक्षण से वंचित दलितों के नेता बनने की होड़ में शामिल तो हो ही गए हैं। मांझी का नजरिया अलगअनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरुद्ध खड़े हो कर केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने एनडीए के रणनीतिकारों की मुश्किलें बढ़ा दी है। अब तक तो मांझी बोल ही रहे थे लेकिन वे एक्शन में आते 18 जातियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर, आज यानी 21 अगस्त को भारत बंद के विरोध का ऐलान भी कर दिया।
जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार से मांग की है कि बिहार सरकार तत्काल दलितों में शामिल बेहद कमजोर जातियों के अलग से आरक्षण की प्रावधान करे, वर्ना वे सड़क पर उतरने को मजबूर हो जाएंगे। मांझी ने एक तरह से धमकी ही दी है कि दलितों के आरक्षण में क्रीमी लेयर की मांग का समर्थन करते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को तत्काल लागू किया जाना चाहिए। मांझी के विरुद्ध खड़े केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान दलितों के आरक्षण के भीतर कोटे का विरोध करते हैं। यह दीगर कि वे ये चाहते हैं कि क्रीमी लेयर वाले दलित स्वेच्छा से आरक्षण का लाभ न लें।
इसे कानून के दायरे में न लाया जाए। आंदोलन की राह पर मांझीआंदोलन की राह पर उतर चुके मांझी बिहार सरकार पर क्रीमीलेयर के आधार पर उपवर्गीकरण लागू कराना चाहते हैं। अपने समर्थन में उन 18 जातियों को मांझी अपने साथ खड़ा कर चुके हैं, जो आरक्षण का लाभ न के बराबर उठा रहे हैं। आरक्षण से वंचित मुसहर-भुईया, डोम, मेहतर तूरी, खरवार, भोक्ता, घुमंतू आदि जातियों की शह पर मांझी आरक्षण की एक नई बाजी खेल रहे हैं। इस बाजी में मांझी ने संपन्न दलित पर आरोप भी लगा डाला कि ये लोग जानबूझकर आरक्षण खत्म करने जैसा झूठ फैला रहे हैं।
जबकि सच्चाई यह है कि 78 साल तक जिस दलित के घर आरक्षण का लाभ नहीं पहुंचा, उन तक आरक्षण का लाभ तभी मिलेगा जब क्रीमी लेयर को अलग कर एक कोटा तैयार किया जाएगा। ऐसी 18 जातियां की आबादी 10% है उन्हें कम से कम 10% आरक्षण मिलना चाहिए। नमो के करीब आना चाहते है मांझीवरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की ओर से आंदोलन की चेतावनी को आरक्षण से वंचित दलितों के नेतृत्व से जोड़ कर देखते हैं। मांझी जानते हैं कि आरक्षण का सबसे ज्यादा लाभ पासवान जाति के लोगों ने उठाया है। जिन 18 दलित जातियों का वे नेतृत्व मांझी करना चाहते हैं, उनकी आबादी भी 10 प्रतिशत है।
मांझी के लिए यह समय मांझी जाति की राजनीति से ऊपर की है। और इसलिए भी वे मुखर हैं। दूसरी बात यह चर्चा में है कि पीएम नरेंद्र मोदी भी दलित आरक्षण में क्रीमी लेयर को बाहर कर उन दलितों तक आरक्षण पहुंचाना चाहते हैं जो अभी तक वंचित हैं। लेकिन क्रीमी लेयर को लेकर विपक्ष का विरोध इतना मुखर हुआ कि नमो को कदम पीछे खींचना पड़ा। सो, इस आंदोलन के बहाने नमो की नजर में भी आना चाहते हैं और लगभग एक डेढ़ प्रतिशत की राजनीति के बदले 10 प्रतिशत दलित की राजनीति कर चिराग पासवान की 6 से 7 प्रतिशत की राजनीति के विरुद्ध खड़ा भी होना चाहते हैं।

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