Bihar: कृष्ण के हाथों जली थी कर्ण की चिता, बिहार के बांका में मौजूद है महाभारत काल की निशानी, जानें
बांका: बिहार के बांका जिले में आज भी महाभारत कालीन अवशेष मौजूद है। बिहार सरकार पर्यटन की दृष्टि से उसका विकास नहीं कर रही है। स्थानीय लोगों का मानना है कि उसका विकास हो जाने से इलाके में पर्यटन का और विकास होगा। जिले का अमरपुर इलाका अंग प्रदेश कहलाता है। महाभारत के पात्र दानवीर कर्ण अंग क्षेत्र के राजा थे। उन्हें अंगराज कर्ण भी कहा जाता था।
लोगों का मानना है कि महाभारत में जिस अंग क्षेत्र की चर्चा हुई थी, क्या वास्तव में यही क्षेत्र है। अंग प्रदेश के राजा कर्ण पुराने भागलपुर और मुंगेर जिले के आसपास का पूरा भू-भाग अंग महाजनपद था। वर्तमान के भागलपुर, बांका, मुंगेर, लखीसराय आदि जिले इसी के अंतर्गत आते थे। बांका जिले के अमरपुर प्रखंड में ज्येष्ठ गौरी नाथ मंदिर पास ही चांदन नदी किनारे अंगराज कर्ण की चिता जलाई गई थी। इसकी प्रमाणिकता पास ही मौजूद भीमसेन गांव और भीमसेन पहाड़ी भी है। कहा जाता है कि भीम यहां ठहरे थे। तब से इस गांव का नाम भीम के नाम पर भीमसेन पड़ गया।
मंदिर समीप है समाधि स्थलमहाभारत में दानवीर कर्ण की वीरता, साहस, धर्म और दान की अद्भुत गाथा है। कर्ण के चरित्र वर्णन अक्सर की उस ऊंचाई से की जाती है। जिसका कोई अंत नहीं है। कहा जाता है कि कुरुक्षेत्र के मैदान में जब कर्ण वीरगति को प्राप्त हुए थे, तो उनकी चिता ज्येष्ठ गौरी नाथ मंदिर समीप चांदन नदी के तट पर जलायी गयी थी। आज भी कर्ण की समाधि का यह स्थल लोगों के लिए काफी रोचक और रहस्य भरा है। पर्यटन और इतिहास में रुचि रखने वाले यहां घूमने आते हैं. हालांकि मूलभूत सुविधा की कमी और प्रचार-प्रसार की वजह से इस जगह का विकास नहीं हो पाया है।
सरकार का नहीं है ध्यानस्थानीय लोगों का मानना है कि सरकार अगर इस और ध्यान दे, तो यह अच्छे पर्यटन स्थलों में शुमार हो सकता है। दावा है कि कर्ण के अंतिम संस्कार में भगवान श्रीकृष्ण, पांडव और दुर्योधन के साथ आये थे। कर्ण ने श्रीकृष्ण से एक वरदान मांगा था कि उनकी चिता वहीं जलाई जाए, जहां एक भी पाप न हुआ हो। लिहाजा, कृष्ण इसके लिए अपने हाथ को ही उपयुक्त स्थान पाया। कहा जाता है कि कृष्ण के हाथों में ही कर्ण की चिता जली थी। समाधि-स्थल पर एक प्रतिमा भी इस कथा को पुष्ट करने के लिए स्थापित है। नदी के टापू पर मंदिरज्येष्ठ गौरी नाथ मंदिर के बगल स्थित नदी के एक टापू पर है।
ज्येष्ठ गौरी नाथ मंदिर भी इलाके में काफी प्रसिद्ध की आस्था इस मंदिर से जुड़ी हुई है। पहाड़ की तलहटी व मनोरम वादियों में स्थित बाबा ज्येष्ठ गौरी नाथ (जेठौर) महादेव मंदिर में एक मुखी शिवलिंग है। यह शिवलिंग जेठौर नाथ मुख्य मंदिर के उत्तर में स्थित लक्ष्मीनारायण मंदिर में स्थापित है। पुरातत्वविदों के अनुसार, यह एक मुखी शिवलिंग सदियों पुराना है। इस शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के लिए श्रद्धालु सालों भर दूर-दूर से आते हैं।
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