अब चीन जाएंगे देसी जेम्स बॉन्ड अजित डोभाल, जानें क्या है वजह

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नई दिल्ली: भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल जल्द ही बीजिंग की यात्रा पर जाएंगे। उनका यह दौरा LAC से सेना हटाने के बाद विशेष प्रतिनिधि (Special Representative) वार्ता के लिए होगा। भारत-चीन के विशेष प्रतिनिधि 18 दिसंबर को बीजिंग में मिलेंगे। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस बात की जानकारी दी है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत-चीन के बीच हुए हालिया समझौतों के बाद यह बातचीत बेहद महत्वपूर्ण है।
चीन की तरफ से विदेश मंत्री वांग यी इसमें शामिल होंगे।यह वार्ता करीब पांच साल के अंतराल के बाद होगी। इससे पहले विशेष प्रतिनिधियों की वार्ता दिसंबर 2019 में नई दिल्ली में हुई थी। पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद के कारण पिछले पांच साल में कोई विशेष प्रतिनिधि वार्ता नहीं हुई। बीजिंग में 18 दिसंबर को वार्ता, मौजूद रहेंगे अजित डोभाल विशेष प्रतिनिधि वार्ता को फिर शुरू करने का निर्णय 23 अक्टूबर को रूस के कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बैठक में लिया गया था।
सूत्रों ने बताया कि एनएसए अजित डोभाल 23वें दौर की एसआर वार्ता में हिस्सा लेने के लिए 18 दिसंबर को बीजिंग में होंगे। चीन विदेश मंत्रालय ने कहा कि बीजिंग में भारत-चीन विशेष प्रतिनिधियों की वार्ता होगी। स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव वार्ता में होंगे शामिलभारत और चीन ने पांच दिसंबर को अपनी कूटनीतिक वार्ता में विशेष प्रतिनिधि वार्ता की तैयारी की थी। इस बातचीत के लिए भारत के विशेष प्रतिनिधि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डोभाल हैं, जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व विदेश मंत्री वांग यी कर रहे हैं। इस वार्ता को लेकर सूत्रों ने कहा कि यह अपेक्षित है।
हमें उम्मीद है कि चीजें जल्द ही पटरी पर आ जाएंगी। हमें उम्मीद है कि आगे की बातचीत के लिए चीन के साथ सार्थक बातचीत होगी और गलवान जैसी घटना से बचा जा सकेगा। क्यों अहम है डोभाल का ये दौरास्पेशल रिप्रेजेंटेटिव वार्ता में कई स्तरों पर चर्चा होने की उम्मीद है। इनमें LAC को और स्पष्ट रूप से परिभाषित करना शामिल हो सकता है। इसका अंतिम लक्ष्य स्थायी समाधान हासिल करना है। सूत्रों ने बताया कि इस बैठक में अगली कोर कमांडर स्तर की बैठक की समय-सीमा भी तय की जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि यह कमांडर स्तर की वार्ता मौजूदा गश्त और बफर जोन के संचालन संबंधी मुद्दों पर केंद्रित होगी ताकि आगे टकराव से बचा जा सके।
कैसे भारत-चीन में बढ़ गई थी दूरियांभारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ था। जून 2020 में गलवान घाटी में हुई घटना दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था। LAC पर संघर्ष के सात प्वाइंट्स थे। इनमें से पांच जगहों से सेना हटा ली गई थी। लेकिन देपसांग मैदान और डेमचोक में दोनों तरफ के सैनिक आमने-सामने थे। 21 अक्टूबर को हुए एक समझौते के तहत डेमचोक और देपसांग के दो टकराव प्वाइंट्स से सेना हटाने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद गतिरोध समाप्त हो गया।
दोनों देशों के बीच फिर शुरू हुआ वार्ता का दौर21 अक्टूबर को विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दिल्ली में कहा था कि यह समझौता पिछले कई हफ्तों से चल रही बातचीत के बाद हुआ है। इससे 2020 में उभरे मुद्दों का समाधान होगा। चार साल में इकतीस दौर की कूटनीतिक बैठकें और इक्कीस दौर की सैन्य वार्ता हुईं। जुलाई में विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच दो अहम बैठकें हुईं। इन बैठकों के बाद ही भारत और चीन LAC से सेना हटाने पर एक समझौते पर पहुंच पाए। जयशंकर ने बताया कैसे हैं दोनों देशों के संबंधचार साल बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री डॉ.
एस. जयशंकर ने 3 दिसंबर को लोकसभा में बताया कि पूर्वी लद्दाख में पूरी तरह से सेना हटा ली गई है। उन्होंने कहा कि भारत-चीन संबंधों में कुछ सुधार देखे गए हैं। यह मुलाकात दोनों देशों के रिश्तों को बेहतर बनाने की दिशा में एक अहम कदम है। बेहद अहम है डोभाल का बीजिंग दौराडोभाल और वांग यी के बीच होने वाली बातचीत में सीमा विवाद के समाधान के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। इससे दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली और आपसी सहयोग को बढ़ावा मिल सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मुलाकात के बाद दोनों देशों के रिश्तों में किस तरह के बदलाव आते हैं।