ऐसा एयरपोर्ट जहां फ्लाइट एक साथ 3 देशों में कर सकती हैं लैंड, देखने वाले की बस एक बात 'ऐसा कैसे?''
हम जिस एयरपोर्ट की बात कर रहे हैं, उसका नाम यूरो एयरपोर्ट बेसल-मुलहाउस-फ्रीबर्ग (Euro Airport Basel-Mulhouse-Freiburg) है। बता दें, ये एयरपोर्ट तीन अलग-अलग देश -स्विट्जरलैंड, फ्रांस और जर्मनी-में उतरने की अनुमति देता है। जिस वजह से ये एयरपोर्ट पूरी दुनिया में हमेशा चर्चा में बना रहता है।
कहां है ये एयरपोर्ट
ये अनोखा एयरपोर्ट पूरी तरह से फ्रांस के अलसेस रीजन (Alsace region) में स्थित है। इस एयरपोर्ट को इंटरनेशनल कोऑपरेशन का सिंबल माना गया है, जो स्विस और फ्रांसीसी सीमा कस्टम बॉर्डर को एक छत के नीचे मिलाता है। जिस वजह से तीनों देशों में एंट्री करने के लिए यहां नियम अलग- अलग है।
एयरपोर्ट में तीन देशों को मिला इतना एरिया
फ्रांस, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में उतरने की अनुमति देने वाला यूरो एयरपोर्ट 4.7 किमी (2.9 मील) पश्चिम में, स्विट्जरलैंड के बेसल शहर से 3.5 किमी (2.2 मील) उत्तर-पश्चिम में , फ्रांस के मुलहाउस से 20 किमी (12 मील) दक्षिण-पूर्व में और जर्मनी के फ्रीबर्ग इम ब्रेसगौ से 46 किमी (29 मील) दक्षिण-पश्चिम में है। ऐसे में एयरपोर्ट में हर देश को अपना एरिया दिया हुआ है, ताकि फ्लाइट्स आराम से लैंड और टेक- ऑफ कर सके।
1930 से शुरू हुआ था निर्माण
यूरो एयरपोर्ट बेसल-मुलहाउस-फ्रीबर्ग एयरपोर्ट के निर्माण की योजना 1930 के दशक में शुरू हुई थी, लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के कारण इसे रोक दिया गया था। जिसके बाद 1946 में इस बात पर सहमति बनी कि फ्रांस के 4 किमी (2.5 मील) उत्तर में एक एयरपोर्ट बनाया जाएगा। फिर इस एयरपोर्ट का निर्माण 8 मार्च 1946 को शुरू हुआ और 1,200 मीटर (3,900 फीट) रनवे वाला एक एयरपोर्ट आधिकारिक तौर पर 8 मई 1946 को खोला गया। 78 साल से ये एयरपोर्ट आज तक संचालित है।
एयरपोर्ट पर उतरने के बाद तीनों देशों के शहरों में कर सकते हैं एंट्री
यूरो एयरपोर्ट वर्तमान में तीन शहरों के लिए प्राथमिक प्रवेश बिंदु है, जो इस प्रकार है।- फ्रीबर्ग, जर्मनी- जर्मनी; मुलहाउस, फ्रांस- बेसल, स्विट्जरलैंड।हालांकि पूरे एयरपोर्ट का निर्माण फ्रांसीसी धरती पर हुआ है, जिस कारण एयरपोर्ट की देखरेख फ्रांसीसी अधिकारों द्वारा की जाती है। वहीं स्विस अधिकारियों के पास स्विस सेक्शन में कस्टम ड्यूटी, मेडिकल सर्विस और पुलिस कार्य के बारे में स्विस कानूनों को लागू करने का अधिकार है, जिसमें कस्टम रूट भी शामिल है।