क्या महाकुंभ में स्नान करने से मिलती है हर कर्म से मुक्ति? सद्गुरु ने बताया आखिर क्यों जाना जरूरी है कुंभ
मेले का आखिरी दिन 26 फरवरी 2025 है। माना जाता है, कुंभ मेले में स्नान करने से व्यक्ति के हर पाप धुल जाते हैं और मोक्ष मिलने की संभावना भी बढ़ जाती है। इस बीच आत्मज्ञानी योगी सद्गुरु का एक वीडियो बेहद वायरल हो रहा है, उसमें वो महाकुंभ में डुबकी लगाने का महत्व बता रहे हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि कुंभ में स्नान करने से क्या सही में कर्मों से छुटकारा मिलता है या नहीं। (photo credit: ishafoundation@X)
डुबकी लगाने के अलावा करें पूजा-पाठ भी सद्गुरु का कहना है कि, हर व्यक्ति को कुंभ में कुछ समय के लिए रुकना चाहिए। महाकुंभ कुल 48 दिन तक रहेगा, जिस दौरान 6 शाही स्नान होंगे। अगर आप कुछ दिनों के लिए कुंभ जाते हैं और वहां पूजा-पाठ और संगम में डुबकी लगाते हैं, तो इससे आपको काफी लाभ मिलेगा। इसके आगे उन्होंने कहा, इंसान का शरीर करीब दो तिहाई पाने से भरा है, अगर आप महाकुंभ के दौरान संगम में डुबकी लगाते हैं, तो शरीर को भी काफी लाभ मिलेगा।
महाकुंभ में अमृत स्नान का महत्व
अगर आप अभी तक स्नान के लिए नहीं जा पाएं हैं, तो बता दें 26 फरवरी तक मौका है आप कभी इस बीच स्नान के लिए जा सकते हैं। लेकिन अमृत स्नान का महत्व ही कुछ और है, जी हां महाकुंभ में शाही स्नान के लिए लोगों की सबसे ज्यादा भीड़ देखने को मिल रही है। तीसरा शाही स्नान 29 जनवरी को आयोजित होगा। अगर आप इसमें नहीं जा पाएंगे, तो 3 फरवरी के दिन भी जा सकते हैं।
ये अमृत स्नान बसंत पंचमी के दिन किया जाएगा। बसंत पंचमी का पर्व माता सरस्वती को समर्पित है। बता दें, इस साल बसंत पंचमी 3 फरवरी को मनाई जाएगी, इसी दिन महाकुंभ का आखिरी अमृत स्नान किया जाएगा। पहला अमृत स्नान 13 जनवरी को था और दूसरा अमृत स्नान मकर सक्रांति यानी 14 जनवरी 2025 को था। (photo credit: mahakumbh@X)
शाही स्नान की तिथियां
- पहला शाही स्नान- 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा)
- दूसरा शाही स्नान- 14 जनवरी (मकर संक्रांति)
- तीसरा शाही स्नान- 29 जनवरी (माघ अमावस्या)
- चौथा शाही स्नान- 3 फरवरी (बसंत पंचमी)
- पांचवां शाही स्नान- 13 फरवरी (माघ पूर्णिमा)
- आखिरी शाही स्नान- 26 फरवरी (महा शिवरात्रि)
स्नान के बाद जाएं ये दोनों मंदिर
महाकुंभ में शाही स्नान-दान के बाद बड़े हनुमान और नागवासुकि का दर्शन करने भी जरूर जाएं। माना जाता है शाही स्नान के बाद इन दोनों मंदिर में से किसी एक मंदिर में दर्शन करने से महाकुंभ की धार्मिक यात्रा अधूरी मानी जाती है।