गौतम अडानी भी पहुंचे महाकुंभ मेला, त्रिवेणी संगम पर की परिवार संग पूजा, आखिर यही क्यों करते हैं भक्त स्नान-पूजा?
महाकुंभ मेले में अभी तक करोड़ों की संख्या में लोग शामिल हो चुके हैं, कोई ऐसा दिन नहीं जिसमें श्रद्धालुओं की संख्या गिरी हो, हर रोज अनगिनत लोग यहां देखे जा रहे हैं। इनमें ना केवल देश के बल्कि विदेश से भी लोग पर्यटक या भक्तों के रूप में यहां पहुंच रहे हैं। यही नहीं, इस लिस्ट में बड़ी-बड़ी हस्तियों ने भी दस्तक दी है, कुछ दिन पहले यहां स्टीव जॉब्स की पत्नी को देखा गया था, तो वहीं कुछ दिन बाद जया किशोरी भी यहां पूजा-अर्चना करते हुए देखी गई थी।
अभी फिर हाल ही में दुनिया के अरबपति गौतम अडानी भी अपने परिवार के साथ यहां पहुंचे हैं। उन्होंने यहां इस्कॉन पंडाल पर भंडारा करवाया, साथ ही त्रिवेणी संगम पर भी उन्हें पूजा करते हुए देखा गया है। इसके बाद वो यहां के बड़े हनुमान मंदिर भी जाएंगे। उनसे जब पूछा गया उनके बेटे की शादी कब और कहां होगी, तो उन्होंने कहा शादी सिंपल और पूरे ट्रेडिशनल तरीके से ही की जाएगी, साथ ही बेटे की शादी 7 फरवरी को है।
आप अभी तक कई बार सुन रहे होंगे कि लोग महाकुंभ मेले में स्नान के लिए त्रिवेणी संगम जा रहे हैं, आखिर ये जगह इतनी खास और महत्वपूर्ण क्यों है, ये सवाल शायद आपके भी मन में आ रहा होगा, तो चलिए आज हम आपको इस जगह के बारे में बताते हैं। (photo credit:vijaypatel@X)
तीन नदियों का संगम है त्रिवेणी
त्रिवेणी का मतलब है वो जगह जहां तीन नदियां आकर मिलती हैं। जहां तीन नदियों का संगम होता है। प्रयाग की गंगा में एक जगह ऐसी है, जहां तीन नदियों का मिलन होता है। संगम और त्रिवेणी एक ही स्थान हैं, जहां गंगा, यमुना, सरस्वती का संगम होता है। ये दुर्लभ संगम दुनियाभर में प्रसिद्ध है। बता दें, हिंदू धर्म के अधिकतर तीर्थ नदियों के तट पर ही बसे हुए हैं, उसमें भी जहां तीन नदियों का संगम हो रहा है वहां वो जगह काफी महत्वपूर्ण रही है। प्रयाग संगम पर गंगा और यमुना नदी अलग नजर आती है।
जो त्रिवेणी संगम में नहाता है उसे मिलता है मोक्ष कहते हैं उसी में सरस्वती भी मिली है, जो की अलग नजर नहीं आती। सरस्वती नदी के साथ एक अद्भुत चीज देखने को मिलती है, क्योंकि प्रत्यक्ष रूप से सरस्वती नदी का पानी कम ही जगहों पर देखने को मिलता है। त्रिवेणी संगम होने की वजह से इसे यज्ञ वेदी भी कहते हैं, पदम पुराण में माना गया है कि जो त्रिवेणी सगम पर नहाते हैं उसे मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।
आने वाले शाही स्नान हर 12वें साल पूर्ण कुंभ का और प्रत्येक छठे वर्ष अर्धकुम्भ मेले का त्रिवेणी संगम पर आयोजन किया जाता है। त्रिवेणी संगम पर महापर्व कुंभ के आयोजन में भक्तों की संख्या एक करोड़ से भी पार पहुंच चुकी है। अगर आप शाही स्नान के लिए जाना चाहते हैं, तो जान लें अब कब-कब होगा शाही स्नान।
आने वाले शाही स्नान हर 12वें साल पूर्ण कुंभ का और प्रत्येक छठे वर्ष अर्धकुम्भ मेले का त्रिवेणी संगम पर आयोजन किया जाता है। त्रिवेणी संगम पर महापर्व कुंभ के आयोजन में भक्तों की संख्या एक करोड़ से भी पार पहुंच चुकी है। अगर आप शाही स्नान के लिए जाना चाहते हैं, तो जान लें अब कब-कब होगा शाही स्नान।
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कैसे पहुंचे महाकुंभ मेला हवाई यात्रा नजदीकी हवाई अड्डे: प्रयागराज एयरपोर्ट (बम्हरौली) - महाकुंभ मेले से लगभग 12 किमी। वाराणसी एयरपोर्ट (लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा) - लगभग 120 किमी। लखनऊ एयरपोर्ट - लगभग 200 किमी। हवाई अड्डे से महाकुंभ तक टैक्सी या बस सेवा उपलब्ध है। रेल यात्रा प्रमुख रेलवे स्टेशन: प्रयागराज जंक्शन (इलाहाबाद जंक्शन) प्रयागराज छिवकी प्रयाग स्टेशन भारत के लगभग सभी प्रमुख शहरों से ट्रेन सेवाएं उपलब्ध हैं। सड़क यात्रा
सड़क मार्ग से प्रयागराज कई राजमार्गों से जुड़ा हुआ है: लखनऊ से: 200 किमी (NH-30) वाराणसी से: 120 किमी (NH-19) कानपुर से: 200 किमी (NH-19) राज्य परिवहन की बसें और निजी वाहन मेले तक पहुंचने का अच्छा विकल्प हैं।
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