भारत की जेलों में हमारे कैदी.. जिस भारत ने आजाद कराया अब उससे सीनाजोरी करने लगे मोहम्मद यूनुस
ढाका: बांग्लादेश में एक जांच आयोग ने देश से लोगों के गायब होने के पीछे भारत की भूमिका होने की शक जाहिर किया है। बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने इस आयोग का गठन किया था। आयोग ने दावा किया है कि शेख हसीना के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान 'जबरन गुमशुदगी' के मामलों में भारत की संलिप्तता थी। आयोग ने अपनी रिपोर्ट के पक्ष में दो विशेष मामलों का हवाला देते हुए रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) की भूमिका इसमें होने की बात कही है।
आयोग ने RAB को खत्म करने की भी सिफारिश की है। भारत और बांग्लादेश के संबंध फिलहाल तनाव के दौर से गुजर रहे हैं। ये नए आरोप इस तनाव को और ज्यादा बढ़ा सकते हैं।बांग्लादेश की सरकारी समाचार एजेंसी BSS का कहना है कि देश से लोगों के रहस्यमय ढंग से गायब होने की घटनाओं में भारत की भूमिका पर ये बड़ा खुलासा है। जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट में 3,500 से ज्यादा लोगों की गुमशुदगी के मामलों का अनुमान लगाया है। आयोग का कहना है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों में इस बात की चर्चा है कि कुछ बांग्लादेशी कैदी अभी भी भारत की जेलों में बंद हो सकते हैं।
आयोग ने भारत और बांग्लादेश के बीच कैदियों की अदला-बदली की खुफिया रिपोर्ट का भी जिक्र किया है। रिटायर जस्टिस की अध्यक्षता में बना है आयोगजांच आयोग ने कहा है कि जबरन गुमशुदगी की व्यवस्था में भारत की संलिप्तता सार्वजनिक रिकॉर्ड का विषय है। ऐसे में विदेश और गृह मंत्रालय उन बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान करने का प्रयास करें, जो भारत की जेलों में में कैद हो सकते हैं। आयोग ने कहा कि बांग्लादेश के बाहर इस मामले की जांच करना हमारे अधिकार क्षेत्र से बाहर है। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज की अगुवाई वाले आयोग ने जबरन गुमशुदगी को दिखाने के लिए दो मामलों का जिक्र किया है।
पहला मामला शुक्रंजन बाली का है, जिनका बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट परिसर से अपहरण किया गया था। बाद में वे एक भारतीय जेल में पाए गए। दूसरा मामला बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के नेता सलाहुद्दीन अहमद का है, ये बांग्लादेश-भारत प्रत्यर्पण प्रणाली का मामला है। रिपोर्ट में कई गंभीर आरोपपांच सदस्यीय आयोग ने मुहम्मद यूनुस को 'अनफोल्डिंग द ट्रुथ' शीर्षक की ये रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 3,500 से अधिक जबरन गुमशुदगी हुई हैं। आयोग ने बर्खास्त प्रधानमंत्री शेख हसीना के रक्षा सलाहकार, सेवानिवृत्त मेजर जनरल तारिक अहमद सिद्दीकी के साथ दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और कई अन्य अधिकारियों की जबरन गुमशुदगी में संलिप्तता का जिक्र किया है।आयोग के सदस्य सज्जाद हुसैन ने कहा कि जबरन गुमशुदगी की 1,676 शिकायतें दर्ज की गई हैं, जिनमें से अब तक 758 मामलों की जांच की जा चुकी है।
इनमें से 27 फीासदी पीड़ित कभी नहीं लौटे और जो लौटे उन्हें भी गलत तरीके से गिरफ्तार के रूप में दर्ज किया गया। आयोग मार्च में एक और अंतरिम रिपोर्ट देने की योजना बना रहा है। आयोग ने कहा है कि सभी आरोपों की समीक्षा पूरी करने में एक साल लगेगा।
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